लंगर में न मास्क व न ही Physical Distancing का पालन, लापरवाही पड़ सकती है भारी
शहर में कर्फ्यू के दौरान सेवा करने वाले लंगर लगाकर अपना फर्ज निभा रहे हैं लेकिन जरा सी लापरवाही से उनकी यह सेवा शहर के लोगों के लिए अभिशाप बन सकती है।
जालंधर, [सुक्रांत]। शहर में कर्फ्यू के दौरान सेवा करने वाले लंगर लगाकर अपना फर्ज निभा रहे हैं, लेकिन जरा सी लापरवाही से उनकी यह सेवा शहर के लोगों के लिए अभिशाप बन सकती है। गरीब और जरूरतमंद लोगों तक खाने-पीने का सामान और लंगर लगाने वाली सैकड़ों संस्थाएं बीते कुछ दिनों से लगातार काम कर रही हैं। कुछ लोग तो नियमों का पालन कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग नियमों को ताक पर रखकर शहर के लिए खतरा बन रहे हैं। कई जगह पर लंगर बांटने वाले जब पहुंचते हैं तो सैकड़ों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है। लंगर लेने की होड़ में न तो शारीरिक दूरी का पालन किया जाता है और न ही मुंह पर मास्क लगाया जाता है।
मंगलवार को टांडा रोड पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। लंगर लगाने पहुंची संस्था के सदस्यों ने लंगर बांटना शुरू किया तो वहां भीड़ लग गई। न तो लंगर बांटने वालों ने नियम का ख्याल किया और न ही लेने वालों ने इस बात का ध्यान रखा। जिस तरह से जालंधर में मामले बढ़ते जा रहे हैं उससे यदि लंगर की किसी ऐसी भीड़ में कोरोना वायरस चला गया तो उस शहर के लिए कितना घातक साबित हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस बारे में जिला और पुलिस प्रशासन को जल्द ही कोई सख्त कदम उठाना पड़ेगा।
कम नहीं हो रही गली-मोहल्लों की भीड़
कर्फ्यू को गंभीरता से न लेने वाले लोगों को समझाने के लिए अब पुलिस को सख्त होना ही पड़ेगा। क्योंकि गली मोहल्लों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। शहर की हर गली हर मोहल्ले में लोग इस तरह घूम रहे हैं जैसे यह कर्फ्यू सिर्फ मजाक में लगाया है। पीसीआर कर्मी जब हूटर मारते निकलते हैं तो सारे घरों में भाग लेते हैं। लेकिन उनके जाते ही फिर से गली में आकर खड़े हो जाते हैं। शाम ढलते ही ज्यादा बुरा हाल होता है। महिलाएं और बच्चे भी गलियों में बाहर निकल कर बैठ जाते हैं और महफिल सजाने लगे हैं।
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