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जान खतरे में डाल भूख से बचने को हाईवे पर दौड़ती बदहवास ¨जदगी

कंधे पर टंगे बैग में रखी चंद खाने की चीजों के सहारे श्रमिक जालंधर से सहारनपुर तक की 260 किलोमीटर की दूरी पैदल ही नापने निकल पड़े हैं।

By Edited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 01:09 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 05:45 PM (IST)
जान खतरे में डाल भूख से बचने को हाईवे पर दौड़ती बदहवास ¨जदगी

जालंधर, [मनीष शर्मा]। न कामकाम, न वेतन। खाने को भी कुछ नहीं। नतीजा जान कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे में डाल बदहवास ¨जदगी हाईवे पर दौड़ रही है। आगे उनका भविष्य क्या होगा? किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं। यह हालत है यहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों का। जो कोरोना वायरस से नहीं, बल्कि भूख से अपनी ¨जदगी बचाने के लिए घरों को लौट रहे हैं। कंधे पर टंगे बैग में रखी चंद खाने की चीजों के सहारे वो जालंधर से सहारनपुर तक की 260 किलोमीटर की दूरी पैदल ही नापने निकल पड़े हैं। फोकल प्वाइंट से निकलकर किसी तरह यूपी पहुंचने की कोशिश में पुरुषों के साथ महिलाएं भी हैं, जो जरूरी सामान लेकर निकल रहे ट्रक वालों के आगे लिफ्ट के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। कोई यह नहीं पूछता कि ट्रक कहां तक जाएगा, बस बैचेनी इतनी है कि किसी तरह बैठ जाएं।

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जालंधर-अमृतसर हाइवे पर उत्तर प्रदेश के गोंडा जाने को सात साथी मजदूरों के साथ निकले रामलाल कहते हैं कि फिलहाल तो पैदल ही निकल रहे हैं, कहीं कोई लिफ्ट मिल गई तो ठीक, वरना दो-तीन दिन में पहुंच ही जाएंगे। यहां भूखों मरने से बेहतर है कि हम घर लौट जाएं। कम से कम परिवार के पास तो रहेंगे। आगे खड़े ट्रक को देख तीन महिलाओं के साथ दौड़ रही रश्मि कहती है कि यहां परेशान हैं। घर में खाने का सामान नहीं है और बाहर निकल नहीं सकते। सरकार कब सुध लेगी और प्रशासन कब आएगा, कुछ पता नहीं, बस भाग रहे हैं कि शायद किसी तरह घर पहुंच जाएं।

ऐसे ही बदतर हालात अमृतसर में हलवाई की दुकान में काम करने वाले रामपाल की है। रामपाल अंबाला का रहने वाला है और आठ सालों से वहां काम कर रहा था। क‌र्फ्यू लगा तो दुकान बंद हो गई। अब न वेतन है और न नौकरी। अमृतसर से एक ट्रक वाले ने लिफ्ट दे दी लेकिन अमृतसर हाईवे पर उतार दिया। अब न अमृतसर जाने लायक रहा और न अंबाला। यहां कोई लिफ्ट नहीं दे रहा, अब पैदल ही जाना पड़ेगा। दस साथियों के साथ सहारनपुर जा रहे राजू ने कहा कि काम धंधा है नहीं और मकान मालिक ने कहा कि 31 मार्च से पहले किराया नहीं दिया तो मकान खाली कर दो। ऐसे में जो थोड़े-बहुत पैसे बचे थे, वो किराया देने में खर्च हो जाते तो खाते क्या? इसलिए मकान खाली कर अब पैदल ही लौट रहे हैं। जिन लोगों के पास साइकिल हैं, वो उसी पर उत्तर प्रदेश जाने के लिए निकल गए हैं। यह परेशानी अकेले इनकी नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा जैसे अन्य प्रदेशों से यहां आकर कारोबार में अहम योगदान देने वाले हजारों कर्मचारियों को इसी संकट का सामना करना पड़ रहा है।

हाईवे पर कोई रोकने वाला नहीं

पुलिस ने शहर में तो नाकाबंदी कर रखी है लेकिन हाईवे पर कोई पुलिस वाला नहीं है। यही वजह है कि लोग घरों से बाहर निकलकर यहां तक पहुंच रहे हैं। बड़ा सवाल जरूरी सेवाएं देने वाले ट्रकों व अन्य वाहनों पर भी है, जो क‌र्फ्यू के नियमों का उल्लंघन कर दूसरे लोगों को अपने साथ बैठाकर ले जा रहे हैं।

मजदूरों तक पहुंचाएंगे राशन : डीसी

डिप्टी कमिश्नर वरिंदर शर्मा ने कहा कि शहर में काम कर रहे मजदूरों को खाने का सामान मुहैया कराने के लिए सेंट्रल वेयरहाउस बना दिया गया है। उन्होंने पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर व एसएसपी नवजोत माहल के साथ यहां का जायजा भी लिया और जेडीए की एसीए नवनीत कौर बल को इसका इंचार्ज बनाया गया है। यह वेयरहाउस सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेगा। उन्होंने कहा कि हालात सामान्य होने तक जरूरतमंदों को प्रशासन से पूरी मदद मिलेगी।


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