मेयर जगदीश राजा के राज में 'प्रजा' बेहाल, जालंधर में विकास कार्य ना होने से उठे सवाल
जालंधर के मेयर जगदीश राज राजा तमाम कोशिशों के बाद करनेश शर्मा को नगर निगम का कमिश्नर लगवा पाने में सफल हो गए लेकिन शहर व निगम की व्यवस्था में कोई भी सुधार नहीं दिखाई दे रहा है।
जालंधर, मनोज त्रिपाठी। नगर निगम की खस्ता हालत में सुधार के लिए सालों से संघर्ष जारी है। तमाम कोशिशों के बाद मेयर जगदीश राज राजा करनेश शर्मा को नगर निगम का कमिश्नर लगवा पाने में सफल हो गए, लेकिन शहर व निगम की व्यवस्था में सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। तमाम मुद्दे पहले जैसे ही हैं और उन्हें हल भी नहीं किया जा सका है। इस बीच सरकार ने करनेश पर दो और विभागों का भार डाल दिया है। अब उन्हें जेडीए व स्मार्ट सिटी की जिम्मेवारी भी सौंप दी गई है।
भले ही करनेश की पढ़ाई जालंधर में हुई हो और वो जालंधर को जानते हैं, लेकिन उनकी जानकारी विकास कार्यों में कहीं नहीं दिखाई दे रही है। खैर मेयर इस बात को लेकर ही गदगद हैं कि उन्होंने अपना कमिश्नर लगवा लिया है। दूसरे विभागों का भार भी करनेश के सिर पर आ जाने से बेचारे बुरे फंस गए हैं।
महिला से खौफजदा हैं पुलिस अधिकारी
जालंधर में बीते कई सालों से एक भाजपा नेता पर आरोप लगाकर न्याय की गुहार लगाने वाली महिला काफी समय से जिला पुलिस हेडक्वार्टर में खौफ का पर्याय बन चुकी है। महिला जिस भी अधिकारी के पास न्याय की गुहार लेकर पहुंचती है या तो अधिकारी मिलने से इन्कार कर देता है या फिर पहले ही मौके से खिसक लेता है, ताकि महिला से सामना न हो सके। महिला ने भाजपा नेता पर काफी पहले आरोप लगाकर प्रधानमंत्री तक से शिकायत कर कारवाई की मांग कर चुकी है।
बीते दिनों शहर में लगे एक धरने में भी महिला ने जाकर भाजपा नेताओं के एजेंडे को मौके पर पलट दिया था। तब काफी हंगामा भी हुआ था। बीते सप्ताह ही एक पुलिस अधिकारी ने आपबाती सुनाते हुए कहा था कि सानूं पहले तो ही कम परेशानियां नई हन, इसदे ऊपर जदों ओह आ जांदी ए फेर टाइम देणा पै जांदा ए।
अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे
शहर में आरटीआइ को लेकर लाखों लोग जागरूक हो चुके हैं। इन्हीं में कुछ आरटीआइ कार्यकर्ता वास्तव में समाज के भले के लिए विभिन्न सरकारी दफ्तरों में आरटीआइ लगाकर तमाम मामलों का राजफाश कर रहे हैं तो कई ऐसे भी हैं, जिन्होंने इसे हथियार बनाकर लोगों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया है। बीते सप्ताह ऐसी ही एक घटना वरिष्ठ कांग्रेस नेता मेजर सिंह के साथ भी घटी।
कांग्रेस नेता ने ट्रैप लगाकर उस आरटीआइ एक्टिविस्ट को पुलिस से पकड़वा भी दिया। पहले खबर निकली कि उसपर पर्चा दर्ज हो गया है, फिर साफ हुआ कि पुलिस ने केवल जांच के लिए हिरासत में लिया था, बाद में छोड़ दिया। अब कौन सही है और कौन गलत, इसका फैसला पुलिस की जांच पूरी होने के बाद होगा, लेकिन इतना जरूर है कि इस मामले पर सभी की नजर है कि आखिरकार सही कौन निकलता है आरटीआइ कार्यकर्ता या कांग्रेस नेता।
पहले किया फैसला, फिर टूटा हौसला
मामला नगर निगम, यातायात पुलिस और जिला प्रशासन के फैसले से जुड़ा हुआ है। रोजाना सड़कों पर कब्जों व अतिक्रमण के चलते नागरिक घंटों जाम में फंसते हैं। जिन लोगों के कब्जों व अतिक्रमण की वजह से आए दिन जाम लगते हैं, वो लाखों रुपये के वारे न्यारे कर रहे हैं। इनके पीछे भी अधिकारियों व नेताओं का गठजोड़ है, जिनके दम पर कब्जाधारियों की बल्ले-बल्ले है और कोई कुछ नहीं कर पा रहा।
बीते दिनों सभी विभागों ने विधायकों की मांग पर फैसला किया कि सड़कों को हर हाल में कब्जा मुक्त करवाना है। अगले दिन अभियान शुरू किया गया, लेकिन वह आगे नहीं बढ़ सका। इसकी पड़ताल जब खबरनवीस ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से की तो मामला निकला कि जिन्होंने कब्जों के खिलाफ अभियान शुरू करने का फैसला किया था, दुकानदारों के दबाव में उन्हीं का हौसला जवाब दे गया है। फिर कार्रवाई आगे कैसे बढ़ाई जाए।