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महंगाई के चूल्हे में ‘उज्ज्वला’ का निकला दम, गरीबों की जेब पर भारी पड़ने लगे गैस सिलेंडरों के कनेक्शन

गैस सिलेंडर की कीमत में तेजी से उछाल आया है जिससे घरेलू बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। मजबूरी में गरीब घरों की महिलाओं को अब गैस सिलेंडर छोड़कर खाना बनाने के लिए चूल्हे पर शिफ्ट होना पड़ रहा है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 12:13 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 12:13 PM (IST)
महंगाई के चूल्हे में ‘उज्ज्वला’ का निकला दम, गरीबों की जेब पर भारी पड़ने लगे गैस सिलेंडरों के कनेक्शन
गैस सिलेंडर की कीमतों में तेजी आई है, जिस कारण घरेलू बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है।

जालंधर, जेएनएन। केंद्र सरकार की गरीबों के लिए शुरू की गई महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना के तहत वितरित किए गए गैस सिलेंडरों के कनेक्शन अब गरीबों की जेब पर भारी पड़ने लगे हैं। बीते कुछ दिनों में गैस सिलेंडरों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के चलते मजबूरी में गरीब घरों की महिलाओं को अब गैस सिलेंडर छोड़कर खाना बनाने के लिए चूल्हे पर शिफ्ट होना पड़ रहा है। इन महिलाओं की जिंदगी से धुआं खत्म करने के बाद सिलेंडरों की बढ़ी कीमतों ने एक बार फिर उन्हें चूल्हे की राख व धुएं में ढकेलने का काम शुरू कर दिया है।

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पिछले एक सप्ताह से गैस सिलेंडर की कीमत में तेजी से उछाल आया है, जिससे घरेलू बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया। पिछले कुछ दिनों में ही गैस सिलेंडर की कीमत 849 रुपये तक पहुंच गई है। घरेलू बजट गड़बड़ाने के बाद खास कर देहात की महिलाओं ने दोबारा चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है। लोग महंगी गैस जलाने के बजाय चूल्हा जलाना बेहतर समझ रहे हैं। पिछले साल मई में गैस सिलेंडर की कीमत 587 रुपये थी। दिसंबर 2020 में 727 तथा फरवरी 2021 में 802 रुपये थी।

एक समय का खाना चूल्हे पर बनाती हूं : हरप्रीत कौर

करतारपुर के गांव लिद्दड़ा की हरप्रीत कौर का कहना है कि पिछले दस माह में गैस सिलेंडर की कीमत 262 रुपये बढ़ी है। कारोबार पहले ही ठंडा है और आमदनी काफी कम हो गई थी। केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर और कनेक्शन मिला, परंतु गैस भरवाने के लिए पैसे जेब से खर्च करने पड़ते हैं। सिलेंडर महंगा होने की वजह से घर का बजट गड़बड़ा गया है। अब परिवार के सदस्यों ने दिन में कम से कम एक समय का खाना चूल्हे पर बनाने का फैसला किया है।

सिलेंडर के दाम बढ़ने के कारण चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर

किशनगढ़ की गुरमीत कौर का भी कहना है कि उनके परिवार में केवल चूल्हे पर ही खाना तैयार होता था। सरकारी स्कीम के बाद खाना गैस पर तैयार करना शुरू किया। घर में पड़े बालन को भी सर्दियों में जला कर खत्म कर दिया। अब गैस सिलेंडर के दाम आसमान छूने लगे हैं। वहीं राशन भी महंगा होने लगा है। महंगाई के चलते घर में सिर्फ जरूरत का ही सामान आ रहा है। अब फिर से घर में गैस के बजाय मजबूरन चूल्हे पर खाना बनाना शुरू कर दिया है।

महंगा सिलेंडर मानसिक रूप से कर रहा प्रताड़ित 

गोराया के गांव चाचड़ी की लखविंदर कौर भी सिलेंडर महंगा होने से काफी नाराज हैं। वह कहती हैं कि पहले सरकार ने स्कीम चलाकर लोगों को गैस पर खाना बनाने की आदत डाल दी और अब सिलेंडर महंगा कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। चूल्हे के धुएं से आंखों को राहत मिली थी। अब गैस सिलेंडर महंगा होने की वजह परिवार वालों ने चूल्हे पर ही खाना बनाने की मन बनाया है, ताकि सिलेंडर के पैसे बचाकर घर के बजट को गड़बड़ाने से बचाया जा सके।

आमदनी बढ़ी नहीं, सिलेंडर हुआ महंगा: छिंदो

शाहकोट के गांव सद्दीकपुर की बुजुर्ग छिंदो कहती हैं कि पहले सरकार ने स्कीम के तहत गैस सिलेंडर और कनेक्शन देकर चूल्हे से निजात दिलाई और अब सिलेंडर महंगा कर दोबारा चूल्हा जलाने को मजबूर कर दिया है। सरकार ने आमदनी बढ़ाने का कोई रास्ता नहीं बनाया, बल्कि महंगाई से लोगों की तेजी से जेब खाली करने लगी है। सरकार उन्हें बुढ़ापा पेंशन देती है, लेकिन उससे भी अधिक पैसों में उन्हें महीने का एक सिलेंडर मिलता है। सिलेंडर महंगा होने के बाद उन्होंने दोबारा चूल्हा जला कर खाना बनाना शुरू कर दिया है।


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