सिविल अस्पताल का बुरा हाल, डॉक्टर को देने पड़ रहे हैं प्रिंटिंग इंक के लिए पैसे
जालंधर का सिविल अस्पताल में इलाज करवाने जा रहे मरीजों को पर्चियां भी आसानी से नहीं मिल पा रही हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। सिविल अस्पताल मरीजों को सुविधाएं देने में नाकाम साबित हो रही है। लेबोरेटरी के केमिकलों की कमी के बाद स्टेशनरी भी खत्म हो गई है। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि कंप्यूटर प्रिंटर की फीकी पड़ी स्याही को निखारने के लिए डाक्टर अपनी जेब से पैसे खर्च करने लगे हैं।
शनिवार को ओपीडी पर्चियां व फाइलें खत्म होने के कारण मरीजों व स्टाफ को काफी परेशानियों से जूझना पड़ा। कंप्यूटर विंग के स्टाफ ने मरीजों को हाथ से सादे कागजों पर पर्चियां बनाकर दी। इस दौरान कामकाज की स्पीड धीमी पडऩे के कारण मरीजों व परिजनों की लाइनें ओपीडी ब्लाक-1 व रैंप तक पहुंच गई। बाद में कंप्यूटर विंग ने जुगाड़ लगाकर प्रिंटर की सेटिंग कर बड़े प्लेन कागजों पर ओपीडी पर्चियां बनाई। इससे लोगों को कुछ हद तक राहत मिली। लेकिन स्याही फीकी होने के कारण लोगों को परेशान होना पड़ा। स्थिति का जायजा लेने के पहुंचे कार्यकारी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. त्रिलोचन सिंह ने फीकी प्रिंटिंग देख प्रिंटिंग रिबन खरीदने के लिए अपनी जेब से पैसे निकालकर दिए।
दवा की कमी पहले थी, फाइलें भी हो गई खत्म
दोपहर होते ही मरीजों को दाखिल करने के लिए बनने वाली फाइलें भी खत्म हो गई। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने ओपीडी वाली पर्ची पर ही वार्ड में दाखिल होने वाले मरीजों का इलाज शुरू करवाया। अस्पताल की व्यवस्था को देख कर कई मरीजों व उनके परिजनों ने अपत्ति जताई। शनिवार को भी ओपीडी व अस्पताल में दाखिल मरीजों को ईलाज करवाने के लिए दवाइयों की कमी से जूझना पड़ा। मरीजों के परिजनों को बाजार से दवाइयां खरीदनी पड़ी।
स्टेशनरी के लिए दिया है आर्डर
इस मामले में जब सिविल अस्पताल के कार्यकारी मेडिकल सुपिरटेंडेंट डॉ. त्रिलोचन सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्टेशनरी के लिए आर्डर जारी दिया गया है। जल्दी ही स्टेशनरी मिल जाएगी।