World Tourism Day: पंजाब में पर्यटन बढ़ाने का था उद्देश्य, सात वर्ष से पठानकोट यार्ड में ही खड़े हैं दो चार्टर्ड कोच
8 अप्रैल 2015 को रेलवे ने करोड़ों रुपयों से निर्मित दोनों चार्टर्ड कोच पठानकोट-जोगिन्द्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर चलाने को भेजे थे। उद्देश्य नैरोगेज सेक्शन पर पर्यटन को को बढ़ावा देना था जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
जासं, पठानकोट: पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सात साल पहले पठानकोट की लोको को भेजे गए चार्टर्ड कोच को अभी तक एक भी सवारी नहीं मिली है। इस कारण यह कोच रेलवे यार्ड में पड़े-पड़े धूल फांक रहा है। हालांकि, चार साल पहले पहले चार्टर्ड कोच के लिए पर्यटकों द्वारा बुकिंग की मांग की गई थी, परंतु तब भी किराया फिक्स न होने को लेकर मामला फंस गया था।
अब जबकि किराया फिक्स हो चुका है, इसके बावजूद इस चार्टर्ड कोच को जल्द सवारी मिलना मुमकिन नहीं लग रहा। बता दें कि चक्की रेलवे पुल बह जाने के कारण पठानकोट-हिमाचल के बीच रेल यातायात बंद है। रेलवे द्वारा नूरपुर से जल्द ट्रेनें शुरू कर दी जाएंगी, लेकिन अभी इसमें भी समय लगेगा। इसके चलते चार्टर्ड कोच को सवारी जल्द मिल नहीं रही और फिलहाल इसे रेलवे यार्ड में ही रखने के सिवाय कोई विकल्प भी नहीं है।
करोड़ों रुपये की लागत से तैयार दोनों कोच की पठानकोट के कर्मचारी केवल रखवाली ही कर रहे हैं। सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि रेलवे की ओर से पर्यटन को बढ़ाने देने के लिए बनाई गई योजना पूरी तरह से फेल साबित हो रही है।
आइआरसीटीसी करेगी बुकिंग
एक स्थानीय रेल अधिकारी ने बताया कि पहले इसकी डिवीजन लेवल पर बुकिंग होनी थी, अब इसकी बुकिंग की जिम्मेदारी आइआरसीटीसी को सौंपी गई है। माना जा रहा है कि नूरपुर से रेल यातायात शुरू करने के बाद इन चार्टर्ड कोच की बुकिंग शुरू की जा सकती है।
साल 2015 में नैरोगेज रेल सेक्शन पर चलाने को भेजे गए थे चार्टर्ड कोच
8 अप्रैल 2015 को रेलवे ने करोड़ों रुपयों से निर्मित दोनों चार्टर्ड कोच पठानकोट-जोगिन्द्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर चलाने को भेजे थे। ये कोच कालका वर्कशाप द्वारा निर्मित किए गए हैं। लग्जरी कोच को पठानकोट भेजने के पीछे रेलवे का उद्देश्य नैरोगेज सेक्शन पर पर्यटन को को बढ़ावा देना था, जिससे रेलवे को भी आर्थिक तौर पर भारी लाभ होता। कोच तो रेलवे ने भेज दिए, परंतु अभी तक इसकी बुकिंग शुरू नहीं हो सकी है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कोच को भले कोई सवारी नहीं मिल रही परंतु खड़े कोच का भी विभाग को खर्च पड़ता है। प्रत्येक तीन माह बाद इसका इंस्पेक्शन होता है और इसकी साफ-सफाई करवाई जाती है। अधिकारियों की मूवमेंट कब हो जाए और कब वह इसे चेक कर लें, कुछ कहा नहीं जा सकता। इंस्पेक्शन के दौरान यदि कोई खामी पाई गई तो संबंधित अधिकारी को सजा मिलनी तय होगी। इसलिए हर तीन महीने बाद इसकी सफाई जरूर होती है।