चेयरमैन आहलूवालिया बोले- बिना कीमत स्टेशन के सेकेंड एंट्री गेट के लिए जमीन नहीं देगा ट्रस्ट Jalandhar News
आहलुवालिया बोले- जमीन के लिए अगर रेलवे पैसा नहीं दे सकता है तो स्मार्ट सिटी कंपनी भुगतान कर दे। फ्री में जमीन देने का फैसला तो सीएम ही कर सकते हैं।
जालंधर, जेएनएन। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया ने कहा कि रेलवे स्टेशन के सेकेंड एंट्री गेट के लिए बिना कीमत के जमीन देना संभव नहीं है क्योंकि ट्रस्ट आर्थिक संकट में है। फिलहाल, उनके लिए 20 करोड़ रुपये कीमत की यह जमीन मुफ्त में देना संभव नहीं है। फिर भी, अगर कोई ऐसा चाहता है तो जमीन देने का फैसला सरकार करेगी।
उन्होंने कहा कि अभी तक उनके पास जमीन लेने के लिए प्रपोजल नहीं आया है। अगर यह आता है तो वह सरकार को पत्र लिखेंगे। फ्री में जमीन देने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री के पास है। चेयरमैन ने कहा कि जमीन के लिए अगर रेलवे पैसा नहीं दे सकता तो इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी भुगतान कर सकती है। इस पर पहले ही फैसला होना चाहिए था कि जमीन के बदले कीमत कौन चुकाएगा।
सूर्या एन्क्लेव पार्क की जमीन ट्रस्ट की
सूर्या एन्क्लेव में पांच एकड़ जमीन पर पार्क डवलप करने के मामले में उन्होंने कहा कि यह जमीन फिलहाल विवादित है, लेकिन इस पर कोई कब्जा नहीं कर सकता। यह जमीन ट्रस्ट की ही रहेगी। इसके इस्तेमाल पर फैसला मिल बैठकर ही होगा। इसके लिए सांसद चौघरी संतोख सिंह और विधायक राजिंदर बेरी से मीटिंग करेंगे। आहलुवालिया ने कहा कि पहले यह जमीन नो कंस्ट्रक्शन जोन के तहत थी, लेकिन केंद्र सरकार के नियम बदलने के बाद यह जमीन अब कंस्ट्रक्शन जोन में है। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पास इसका अधिकार है कि वह जमीन को किस तरह इस्तेमाल करे।
सुपरिंटेंडेंट की गिरफ्तारी मामले में ईओ को भी सम्मन की अपील
जासं, जालंधर। प्रॉपर्टी डीलर चेतन से रजिस्ट्री करवाने के बदले में नौ हजार की रिश्वत मांगने वाले इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के सुपरिंटेंडेंट मोहिंदर पाल के मामले में नया मोड़ आ गया है।अब प्रॉपर्टी डीलर के वकील संजय जांगड़ा ने ईओ सुरिंदर कुमारी को भी आरोपित बनाने के लिए अर्जी लगा दी है। वकील संजय जांगड़ा ने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले में ईओ सुरिंदर कुमारी को भी शामिल किया जाए। चेतन ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में ईओ की शामिल थीं। आरोप है कि मोहिंदर पाल ने रिश्वत के पैसे ईओ सुरिंदर कुमारी तक पहुंचाने के नाम पर मांगे थे।
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