ओवरलोड, कंडम वाहन व टूटी सड़कें बन रहे हादसों का कारण
जिले में शहर में बढ़ रहे सड़क हादसों के पीछे बड़ी वजह वाहन चालकों की लापरवाही ही है।
सुक्रांत, जालंधर
जिले में शहर में बढ़ रहे सड़क हादसों के पीछे बड़ी वजह वाहन चालकों की लापरवाही ही है। ऐसे लोग यातायात नियमों का सही ढंग से पालन न करने के साथ-साथ नशा करके वाहन चलाते हैं जोकि हादसों का कारण बनते हैं। इसके अलावा टूटी सड़कें, कंडम वाहन, ओवरलोड वाहन, खराब स्ट्रीट लाइटें भी सड़क हादसों का मुख्य कारण हैं।
सबसे खराब पहलू यह है कि इस लापरवाही को रोक पाने में न तो प्रशासन गंभीर है और न ही सरकार इस पर ज्यादा ध्यान देती है। वहीं आम जन की तो बात ही अलग है। उन्हें नियमों का पालन करना एक बोझ लगता है। साल 2020 में अब तक करीब 45 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और सौ के करीब लोग गंभीर घायल हो चुके हैं। वहीं, पिछले साल की बात करें तो 95 लोगों ने हादसों में दम तोड़ा और 190 जख्मी हुए। सड़क पर खड़े कंडम या खराब वाहन
सड़़क किनारे खड़े कंडम या खराब वाहन भी सड़क हादसों का कारण बनते हैं। हर साल ऐसे वाहनों से दर्जनों लोग असमय अपनी जान गंवा बैठते हैं या फिर अपाहिज होकर जीवन भर प्रशासन को कोसते रह जाते हैं। वहीं ओवरलोड वाहन के चालक भी जरा से मुनाफे के लिए अपनी और बाकियों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। तकरीबन रोजाना ही कोई ओवरलोड वाहन सड़क पर पलटा दिखता है। नशा और अंडर एज वाहन चालक
अंडर एज वाहन चालकों की वजह से सड़क दुर्घटना आम बात हो गई है। लोग अपने नाबालिग बच्चों को वाहन देकर स्कूल, ट्यूशन या फिर बाजार भेज देते हैं। ये भी हादसों का कारण बन रहे हैं। वहीं, शराब के नशे में वाहन चलाने वाले लोग भी अपने साथ-साथ दूसरों की जान से खिलवाड़ करते हैं। सबसे दुखदायी पहलू यह है कि सवारियों को लेकर जाने वाले कुछ तीन पहिया और चार पहिया वाहनों के चालक भी नशे की हालत में गाड़ी चलाते हैं। कुछ पल बचाने को जोखिम में डाल रहे जान
शहर के लोग थोड़ा सा समय बचाने के लिए अपनी कीमती जान को जोखिम में डाल रहे हैं। ये भी हादसों का मुख्य कारण है। लोग कट से मुड़ने की बजाय सड़क के डिवाइडर को पार करने की कोशिश करते हैं। ऐसा करके वे न केवल अपनी बल्कि दूसरी ओर से आ रहे वाहन चालक की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं। इसके अलावा, शहर के जितने भी प्वाइंट्स खतरनाक साबित हो रहे हैं, वहां पर ट्रैफिक सिग्नल, रिफ्लेक्टर, जरूरी दिशा निर्देश सूचना पट्ट तो लगे हुए हैं, लेकिन थोड़ा सा समय बचाने के लिए लोग इनका पालन नहीं करते। यह हैं लापरवाहियां
-शहर के कई इलाकों की सड़कें या तो टूटी हुई हैं या नियमों के विपरीत बनी हुई हैं।
-थोड़े से पैसे बचाने के लिए ठेकेदार हल्का निर्माण सामान प्रयोग करते हैं।
-नियमित रूप से सड़कों की मरम्मत न होना।
-नशा करके वाहन चलाना।
-पैसों के लिए जरूरत से ज्यादा सामान रखना या सवारियां बिठाना।
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शहर की खस्ताहाल सड़कों के चलते सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। शहर के जीटी रोड से लेकर गली-मोहल्लों में अधिकतर जगहों पर सड़कें खस्ता हालत में हैं, जहां से गुजरते समय वाहन पलट रहे हैं और लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं।
डा. रमेश कंबोज, सदस्य, रोड सेफ्टी कमेटी ट्रैफिक नियमों का पालन न करने से हादसे बढ़ रहे हैं। प्रशासन को सख्ती करनी होगी।, वहीं ड्राइविग लाइसेंस प्रणाली में पारदर्शिता जरूरी है। शिक्षण संस्थाओं में आनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ ट्रैफिक नियमों की जानकारी भी देनी चाहिए।
सुरिंदर सैनी, प्रधान, जालंधर वेलफेयर सोसायटी लोगों को ट्रैफिक नियम मानने चाहिएं। पुलिस भी ट्रैफिन नियमों को मनवाने के लिए पूरी सख्ती करती है। कहीं थोड़ी कमी रह जाती है लेकिन फिर भी पुलिस अपना काम कर रही है। लोग अपनी तथा दूसरों की जिदगी बचाने के लिए यातायात नियमों का पालन करें।
नरेश डोगरा, डीसीपी ट्रैफिक