पिता के दिखाए एक वीडियो ने ऐसे दिखाई दो भाइयों को राह, चला दी मुहिम
दो भाई आदित्य मित्तल और आयान मित्तल। उम्र महज 15 और 10 साल पर अंगदान के प्रति ऐसी अनोखी जागरूकता मुहिम चलाई है कि अब एक हजार के करीब बच्चे इसमें योगदान देने लगे हैं।
जालंधर [अंकित शर्मा]। दो भाई आदित्य मित्तल और आयान मित्तल। उम्र महज 15 और 10 साल, पर अंगदान के प्रति ऐसी अनोखी जागरूकता मुहिम चलाई है कि अब एक हजार के करीब बच्चे इसमें योगदान देने लगे हैं। अंगदान से अनमोल जिंदगियों को बचाया जा सके, इसके लिए आदित्य और आयान इन दिनों शहर के स्कूलों व कॉलेजों में अंगदान के प्रति विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को जागरूक कर रहे हैं।
ये दोनों लवली स्वीट्स के डायरेक्टर नरेश मित्तल और सोनल मित्तल के बेटे हैं। वे कहते हैं कि देश में रक्तदान के प्रति अब अधिकांश लोग जागरूक हो चुके हैं। अंगदान के प्रति लोग अभी ज्यादा जागरूक नहीं हैं। एक व्यक्ति अंगदान करके आठ लोगों की जान बचा सकता है। जनसंख्या में भारत विश्व में दूसरे नंबर है। इसके बावजूद यह अंगदान में अंतिम रैंक पर है।
पापा ने दिखाई वीडियो, जिसके बाद खुद रिसर्च कर जाने फैक्ट
देहरादून के रेजिडेंशियल स्कूल दून में दसवीं के छात्र आदित्य कहते हैं कि वे छुट्टियों में घर आए थे। पिता नरेश मित्तल ने एक वीडियो दिखाई। उसमें एक ब्राजीलियन मिलेनियर अपनी नई विटेंज गाड़ी को अपने घर के लॉन में दफना रहा था। इसकी लोगों और मीडिया ने बड़ी आलोचना की थी। बकौल आदित्य, शुरू में तो मुझे भी बहुत खराब लगा था कि यह व्यक्ति क्या कर रहा है। पागल ही होगा, जो अपनी नई कार को ऐसे दफन कर रहा है।
वीडियो में दिखाया था कि ब्राजीलियन मिलेनियर ने मीडिया और लोगों को अपने घर बुलाया। फिर कहा कि मैं तो अपनी कार दफन कर रहा था, तो आप इतनी उसकी आलोचना कर रहे हैं। आप उनकी आलोचना क्यों नहीं करते जो व्यक्ति के मर जाने के बाद उसके शरीर को दफन कर देते हैं। उसके अंग भी तो किसी का जीवन बचा सकते हैं..। उसका यह संदेश दिमाग में बैठ गया। मैंने मन में ठान लिया कि लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए कुछ करना है।
स्कूल जा फैक्ट जुटाने शुरू किए
बकौल आदित्य, छुट्टियों के बाद स्कूल लौटने पर मैंने अंगदान से संबंधित तथ्य जुटाने शुरू कर दिए। मैंने पाया कि जनसंख्या में दूसरे नंबर पर गिना जाने वाला हमारा देश अंगदान के मामले में विश्व में सबसे अंतिम स्थान पर है। पंजाब की हालत तो बेहद खराब है। दो महीने में प्रेजेंटेशन तैयार करने के बाद मां सोनल मित्तल को भेजी, ताकि वे भी उसे चेक करें। मां ने भी कुछ तथ्य जुटाए।
परिवार की रजामंदी मिलने के बाद मेक यूअर सेल्फ प्राउड संस्था और पेज बनाया। इसके तहत स्कूल और कॉलेजों में अपाइंटमेंट लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया। आदित्य कहते हैं कि एक मोबाइल एप तैयार करूंगा। एप में जानकारी होगी कि आप अंगदान कहां कर सकते हैं। आपके नजदीकी शहर के किस अस्पताल में अंग मिल सकते हैं।
अंगदान से जुड़े तथ्य
- देश में हर साल पांच लाख लोगों की अंग न मिलने से मौत हो जाती है।
- हर साल दो लाख लोग Liver और 50 हजार लोग हृदय रोगों से मर जाते हैं। अंगदाताओं की संख्या 708 के करीब होती है।
- दो लाख Kidney transplant का इंतजार कर रहे हैं। 10 हजार डोनर हैं।
- 50 हजार लोगों को Heart transplant की डिमांड है। महज 339 डोनर हैं।
- दस लाख लोग Corneal blindness के शिकार हैं।
- Liver के 100 मामलों में बमुश्किल एक Liver डोनर ही मिल पाता है।
- हर साल पौने दो लाख Kidney transplant की जरूरत है। 6000 Kidney transplant ही हो पाती है।
आठ तरह के अंग व टिश्यूज किए जा सकते हैं दान
- दोनों आंखें, दोनों किडनी, हार्ट, Liver, पैनक्रियाज, छोटी आंत, फेफड़े (लंग्स), त्वचा (स्किन)। इनके अलावा हड्डियों, हार्ट वॉल्व, हाथ आदि अंग व टिश्यूज को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
- सामान्य मौत में आंखों को छोड़कर अन्य अंग जल्द बेकार होने लगते हैं। सिर्फ आंखें ही बचती हैं। ज्यादातर मामलों में दिल की धड़कन रुकने से दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों में खून का बहाव रुक जाता है। इसे कार्डिएक डेथ कहा जाता है। ऐसे में आंखों को छोड़कर अन्य अंग जल्द ही बेकार होने लगते हैं। ऐसी सूरत में केवल आंखें ही दान की जा सकती हैं।
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