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पहले ही दिन नहीं माने सरकार के आदेश, तीन घंटे भी नहीं बैठ पाए प्रोग्राम अधिकारी

डाक्टरों की कमी को देखते हुए सिविल सर्जन आफिस में तैनात प्रोग्राम अफसरों को तीन घंटे के लिए ओपीडी में मरीज देखने के आदेश वरिष्ठ अधिकारियों को रास नहीं आ रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 11:45 PM (IST)
पहले ही दिन नहीं माने सरकार के आदेश, तीन घंटे भी नहीं बैठ पाए प्रोग्राम अधिकारी

जगदीश कुमार, जालंधर

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डाक्टरों की कमी को देखते हुए सिविल सर्जन आफिस में तैनात प्रोग्राम अफसरों को तीन घंटे के लिए ओपीडी में मरीज देखने के आदेश वरिष्ठ अधिकारियों को रास नहीं आ रहे। यहीं कारण रहा कि पहले ही दिन उन्होंने आदेशों को नहीं माना। पांच में से कोई भी प्रोग्राम अधिकारी तीन घंटे भी ओपीडी में बैठकर मरीजों को नहीं देख पाया। कोई एक घंटे बैठा तो कोई कुछ देर। सभी ने आदेशों की महज रस्म अदायगी रही। जिला परिवार कल्याण अधिकारी, जिला टीकाकरण अधिकारी, सहायक सिविल सर्जन, डिप्टी मेडिकल कमिश्नर व जिला दंत चिकित्सा अधिकारी को ओपीडी में बैठना था। सिविल अस्पताल प्रशासन भी उनके बैठने के पुख्ता प्रबंध नहीं कर पाया। सिविल सर्जन आफिस से भी इन डाक्टरों को कामकाज के संबंध में फोन बजते रहे। डाक्टरों ने बताया..इसलिए नहीं दे पाए पूरा समय

जिला परिवार कल्याण अधिकारी डा. रमन गुप्ता :

पूरे आठ बजे सिविल अस्पताल की ईएनटी ओपीडी में पहुंचे और मरीजों की जांच की। करीब साढ़े दस बजे तक वहां मौजूद डाक्टरों के साथ ओपीडी का कामकाज किया। कहा कि सिविल सर्जन आफिस में जरूरी कार्य की वजह से वापस जाना पड़ा। जिला दंत चिकित्सा अधिकारी डा. बलजीत कौर रुबी

करीब 9.20 बजे दंत विभाग में ओपीडी के लिए पहुंची। उन्होंने 11 बजे तक मरीजों की जांच करने के बाद सिविल सर्जन आफिस में लौटी। कहा कि वह तो पहले से ही रोजाना ओपीडी में आकर काम करती है। सहायक सिविल सर्जन डा. वरिदर कौर

9.15 बजे सिविल अस्पताल के जच्चा बच्चा सेंटर की ओपीडी में पहुंची। उन्होंने करीब एक घंटे तक मरीजों की जांच पड़ताल की। इसके बाद सिविल सर्जन आफिस में पहुंची। कहा कि इससे पहले वह पीपी यूनिट में जच्चा बच्चा की जांच के लिए गई थी। सिविल सर्जन आफिस में पहले सी मेडिकल बोर्ड बुलाया था और मेडिकल करवाने वाले उम्मीदवारों के आवेदनों को जारी करना जरूरी था। जिला टीकाकरण अधिकारी डा. राकेश चोपड़ा

9.25 बजे सिविल अस्पताल के एमएस आफिस में पहुंचे। एमएस आफिस का स्टाफ सुबह 9 बजे आता है। उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्टों को लेकर फाइलों का रिव्यू किया। इसके अलावा शवगृह का दौरा किया। कहा कि वह फोरेंसिक स्पेशलिस्ट है और यह ओपीडी की श्रेणी में नहीं है। वह करीब सवा घंटे में फाइलों का पूरा काम निपटाकर आफिस में आ गए। डिप्टी मेडिकल कमीश्नर डा. ज्योति शर्मा

9.10 पर सिविल अस्पताल में अपने कार्यालय में पहुंची। उनका कहना है कि उन्हें ओपीडी की अलाटमेंट नहीं की गई है। अस्पताल प्रशासन को उनके आफिस में ही मरीज भेजने की बात कही गई है। इससे पहले भी कई मरीज उनके आफिस में जांच करवने के लिए आते है।

------------------------------------------------- सिविल सर्जन ने कहा-हमारे पास पहले से स्पेशलिस्ट डाक्टर है

सिविल सर्जन डा. रणजीत सिंह ने कहा कि सिविल अस्पताल जालंधर में पहले से ही हर स्पेशलिस्ट डाक्टर है। विभाग के आदेशों की पालना करते हुए प्रोग्राम अफसरों को ओपीडी के लिए वहां भेजा गया था। पहला दिन होने के वजह से सिविल सर्जन आफिस और सिविल अस्पताल का काम चलाने के लिए एडजेस्टमेंट की गई। इस योजना से काम किया जाएगा कि दोनों तरफ का कामकाज प्रभावित न हो सके। अस्पताल प्रशासन को भी इन डाक्टरों की ओपीडी के लिए पुख्ता प्रबंध करने की बात कही गई है। उन्हें सेहत विभाग के आला अधिकारियों के समक्ष ओपीडी में जाने का समय 9 बजे से करवाने का मामला रखने की बात कही है। सप्ताह का अंतिम दिन होने की वजह से कामकाज प्रभावित न होने पाए इसकी वजह से समस्याएं आई। -----

रोस्टर तैयार करवाया जाएगा : मेडिकल सुपरिंटेंडेंट

सिविल अस्पताल के कार्यकारी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. गुरमीत लाल का कहना है कि स्पेशलिस्ट के आधार पर प्रोग्राम अफसर संबंधित ओपीडी में ही मरीज देख सकेंगे। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। ओपीडी में डाक्टरों की भीड़ न होने पाए इसके लिए ड्यूटी रोस्टर तैयार करवाया जाएगा।

----- एसएमओ भी नहीं करते ओपीडी

प्रोग्राम अफसरों ने भले ही थोड़ा समय ओपीडी परंतु सिविल अस्पताल मं तैनात चारों एमएमओ ओपीडी नहीं कर रहे। वह लंबे अर्से से एमएस आफिस में बैठकर प्रबंधकीय कामकाज कर रहे है। इनमें मेडिसन, सर्जरी, गायनी तथा डेपुटेशन पर आने वाले एसएमओ शामिल है।

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सभी डाक्टरों को देना होगा लेखा-जोखा

सेहत विभाग के अनुसार ओपीडी में मरीज देखने वाले हर डाक्टर को मरीजों की स्वास्थ्य जांच को लेकर विभाग को लेखा-जोखा देना होगा। विभाग की ओर से सभी को लागिन आईडी जारी की गई है। खाली बैठने वाले सभी डाक्टरों को काम करना पड़ेगा।


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