नौकरी की उम्मीद में पहुंचे हजारों बेरोजगार, वेतन सिर्फ पांच से सात हजार Jalandhar News
नकोदर में आयोजित रोजगार मेले में अब तक की सबसे बड़ी कमी यह जाहिर हुई है कि सरकार ने न्यूनतम वेतन ही तय नहीं किया है।
जालंधर [मनीष शर्मा]। पहले रोजगार मेले में बेरोजगारों के लिए तरसती पंजाब सरकार के नकोदर में महितपुर रोड स्थित सरकारी आइटीआइ में लगाए दूसरे रोजगार मेले में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा पहुंचे। नौकरी की उम्मीद में युवकों के साथ युवतियां भी पहुंची थी, लेकिन जब मेले में नौकरी और वेतन की बात सामने आई तो अधिकतर युवा मेले से मायूसी लेकर वापस लौटे। रोजगार देने के दावे करने वाली सरकार के रोजगार मेले में आई कंपनियों बेरोजगार युवकों को वेतन के तौर पर पांच से सात हजार तक देने की बातें कर रहीं थी। ऐसे सरकार के खिलाफ भड़ास निकालते हुए वो युवा मायूस होकर वापस लौट गए।
कुछेक कंपनियों को छोड़ दें, तो ज्यादातर कंपनियों ने यही वेतन बेरोजगारों को बताया। रोजगार मेले में अब तक की सबसे बड़ी कमी यह जाहिर हुई है कि सरकार ने न्यूनतम वेतन ही तय नहीं किया है। इस वजह से कंपनियां महंगाई के इस दौर में चंद हजार का वेतन बता नौकरी की आस में पहुंचे बेरोजगारों की बेरोजगारी का मजाक उड़ा रही हैं। सरकार को खुश करने के लिए अफसरों के बताए आंकड़ों में भले ही यह रोजगार मेले कामयाब ठहराएं जाएं लेकिन हकीकत यही है कि यहां मिलने वाली नौकरी पंजाब की कैप्टन सरकार के लिए राजनीतिक लाभ की कोशिश तो हो सकती है पर बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं की जिंदगी में इसका बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा।
नाम फॉर एवर लिविंग, काम एसी रिपेयर
रोजगार मेले में कुल 34 कंपनियों को बुलाया गया था, इनमें से सिर्फ 28 कंपनियां पहुंची। इनमें ज्यादातर इंश्योरेंस व हर्बल मेडिसिन की कंपनियां नजर आईं। एक कंपनी का नाम फॉर एवर लिविंग था, लेकिन जब उनसे नौकरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि घरों व कार के एयर कंडीशनर रिपेयरिंग का काम करना है। इसके लिए वह पांच से छह हजार रुपये देंगे। हर्बल मेडिसिन की कंपनी में भी ज्यादातर फोन पर सामान बेचने की नौकरी थी या फिर ऑर्डर की डिलीवरी करनी थी, इसके लिए भी वेतन आठ से दस हजार बताया गया।
40 किमी दूर घर, पांच-सात हजार में नहीं गुजारा
मेले में पहुंचे गांव गदरा तलवण के हरप्रीत व लुबाया ने कहा कि वो आठवीं तक पढ़े हैं। यहां आए तो हेल्पर की नौकरी बताई गई। वेतन सिर्फ पांच से सात हजार है। उनका गांव 40 किलोमीटर दूर है, इतना पैसा तो महीने में आने-जाने में ही खर्च हो जाएगा, अगर यहीं रहेंगे तो रहने व खाने का भी गुजारा नहीं होगा। इस वेतन से ज्यादा दिहाड़ी तो वो गांव में ही कमा लेंगे। लुबाया ने गुस्सा जताया कि उनके गांव में घोषणा की गई कि पंजाब सरकार में अनपढ़ से लेकर आगे पढ़ाई करने वालों के लिए नौकरियां निकली हैं, खुले मेले में पहुंचे। यहां आकर पता लगा कि सरकारी नौकरी नहीं बल्कि कंपनियों में काम करना है।
प्रशासन का दावा, 2210 का चयन
मेले की समाप्ति के बाद प्रशासन ने दावा किया है कि इस मेले में 3,091 बेरोजगार युवा इंटरव्यू देने पहुंचे। जिनमें से 2,210 का कंपनियों ने नौकरी के लिए चयन कर लिया है। वहीं, 111 को शॉर्टलिस्ट भी किया गया है। मेले में 34 कंपनियों ने हिस्सा लिया। अगला मेला 24 सितंबर को डीएवी इंस्टीट्यूट में लगाया जा रहा है।