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Online property tax कलेक्शन सिस्टम ने नगर निगम के रेवेन्यू में लगाई ब्रेक Jalandhar News

क्लेक्शन घटने से ऑनलाइन सिस्टम लागू करने के समय पर भी सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि 30 सितंबर तक टैक्स देने पर 10 प्रतिशत रिबेट मिलती है।

By Edited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 09:18 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 04:01 PM (IST)
Online property tax कलेक्शन सिस्टम ने नगर निगम के रेवेन्यू में लगाई ब्रेक Jalandhar News

जेएनएन, जालंधर। प्रॉपर्टी टैक्स का ऑनलाइन कलेक्शन सिस्टम लागू करने के बाद प्रॉपर्टी टैक्स से नगर निगम का रेवेन्यू 15 प्रतिशत ही रह गया है। ऑनलाइन सिस्टम के लिए अभी तक टैब और ¨प्रट मशीनें न मिलने से स्टाफ फील्ड में जाकर कलेक्शन नहीं कर पा रहा है। एक अगस्त को सिस्टम लागू करने से पहले प्रॉपर्टी टैक्स की डेली कलेक्शन रोजाना 10 लाख रुपये तक पहुंच गई थी लेकिन अब यह गिरकर डेढ़ लाख रुपये पर आ गई है। अगस्त महीने में बुधवार तक नगर निगम को सिर्फ आठ लाख रुपये प्राप्त हुए हैं।

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क्लेक्शन घटने से ऑनलाइन सिस्टम लागू करने के समय पर भी सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि 30 सितंबर तक टैक्स देने पर 10 प्रतिशत रिबेट मिलती है और अगस्त महीने के दो महीने में टैक्स कलेक्शन तेज होती है। 31 जुलाई तक नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स कलेक्शन में पिछले साल के मुकाबले एक करोड़ रुपये आगे था लेकिन अब पिछड़ने लगा है। नगर निगम ने रिहायशी कॉलोनियों में सर्वे करके दबाव बनाया था जिस कारण अब तक छह हजार यूनिट्स से ज्यादा टैक्स मिला है लेकिन ऑनलाइन सिस्टम लागू होते ही टैक्स कलेक्शन में गिरावट आ गई है।

लुधियाना और अमृतसर ने दिखाई समझदारी

प्रॉपर्टी टैक्स क्लेक्शन के लिए ऑनलाइन सिस्टम अपनाने में लुधियाना, अमृतसर नगर निगम ने सूझबूझ दिखाते हुए इसे पेंडिंग में डाल दिया। दोनों निगम इस सिस्टम को अक्टूबर महीने में लागू करेंगे। जालंधर में सिस्टम अगस्त में लागू होने से रेवेन्यू में गिरावट आने से नगर निगम के पास कम पैसा इकट्ठा होने के कारण उसके कई काम रुकने के आसार बन गए हैं। चूंकि इसी रेवेन्यू से नगर निगम ने शहर में विकास कार्य करवाने होते हैं। मेयर जगदीश राजा ने कहा कि इस पर सरकार से बात करेंगे कि सॉफ्टवेयर की खामियों को जल्द से जल्द दूर करवाएं।

डिफाल्टरों से वसूली में मुश्किल

प्रॉपर्टी टैक्स सिस्टम में यह तय है कि पुराना टैक्स पहले लिया जाएगा। प्रॉपर्टी टैक्स साल 2013-14 में लागू हुआ था। जिन लोगों ने अब तक टैक्स जमा नहीं करवाया है, उन्हें साल 2013-14 से ही टैक्स जमा करवाना होगा। नए सॉफ्टवेयर में साल 2013-14 के टैक्स लेने का सिस्टम नहीं है। पहले साल में टैक्स की दरें जमीन के कलेक्टर रेट से जुड़ीं थी लेकिन साल 2014-15 में इसे जमीन के एरिया के हिसाब से कर दिया गया था। सॉफ्टवेयर में नया सिस्टम है। सुपरिंटेंडेंट महीप सरीन और राजीव रिशी का कहना है कि इस पर लोकल बाडी डिपार्टमेंट को लेटर लिख कर जानकरी लेंगे।

सॉफ्टवेयर में प्रिंटिंग की ऑप्शन नहीं

सुपरिंटेंडेंट महीप सरीन ने कहा कि नए सॉफटवेयर में प्रिंटिंग की आप्शन नहीं है। अगर कोई टैक्स जमा करवाता है तो उसे रसीद देना भी जरुरी है। साफ्टवेयर के साथ प्रिंटिंग का साफ्टवेयर डवलप करवाने के लिए कहा गया है। इसमें एक हफ्ता लग सकता है। उसके बाद ही टैब काम आएंगे। कैंसर सैस सिर्फ सॉफ्टवेयर में ही लागू प्रॉपर्टी टैक्स पर कैंसर सैस लेने की नोटिफिकेशन अप्रैल 2013 में जारी हो गई थी।

लेकिन अभी तक यह लिया नहीं जा रहा था। लोकल बाडी डिपार्टमेंट के तैयार करवाए गए सॉफ्टवेयर में कैंसर सैस की ऑप्शन डाल दी गई है और 2 प्रतिशत टैक्स कंप्लसरी हो गया है। जहां-जहां ऑनलाइन सिस्टम लागू हो रहा है वहां कैंसर सैस भी लिया जा रहा है।

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