Highways पर औसतन 0.64 KM में एक मौत, Accidents and traffic research में कई चौंकाने वाले खुलासे
सड़क हादसों में रोजाना औसतन 13 लोगों की मौत हो रही है। यह आंकड़ा साल 2018 का है। इस साल सड़क हादसों में 4725 लोगों की मौत हुई।
जालंधर [मनीष शर्मा]। राज्य में सड़क हादसों में रोजाना औसतन 13 लोगों की मौत हो रही है। यह आंकड़ा साल 2018 का है। इस साल सड़क हादसों में 4,725 लोगों की मौत हुई। सबसे चिंताजनक बात यह है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या भी छह फीसद बढ़ी है। साल 2017 में 4,459 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई थी।
जानलेवा बन चुकी पंजाब की सड़कों की यह खतरनाक सच्चाई पंजाब रोड एक्सीडेंट्स एंड ट्रैफिक रिसर्च रिपोर्ट में उजागर हुई है। इसे पंजाब पुलिस के ट्रैफिक विंग ने तैयार किया है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में देश की सिर्फ 2.28 फीसद आबादी रहती है, लेकिन सड़क हादसों में देश भर में होने वाली मौतों में पिछले पांच वर्षों में पंजाब का हिस्सा 3.3 से 3.5 फीसद तक पहुंच चुका है।
इस कड़वी सच्चाई के बाद राज्य के एडीजीपी (ट्रैफिक) ने ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को सड़कों पर चालान काटने के बजाय ट्रैफिक रेगुलेट करने और सीनियर अफसरों को फील्ड में जाकर उसके कारण ढूंढ दूर करने का आदेश दिया था। ये आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए। जमीनी सच्चाई अभी भी एडीजीपी के आदेश के बिल्कुल उलट है।
राजमार्गों पर आंकड़ा चौंकाने वाला
सबसे ज्यादा चौंकाने वाला आंकड़ा राष्ट्रीय और प्रांतीय राजमार्गों पर मौतों का है। पंजाब की कुल 72,037 किलोमीटर लंबी सड़कों में यह 5.8 फीसद हैं, लेकिन 74 फीसद मौतें इन्हीं पर हुईं। कटु सच्चाई है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर औसतन 0.64 किलोमीटर में एक मौत हो रही है, जबकि प्रांतीय राजमार्गों पर 1.65 किमी पर एक व्यक्ति की मौत हो रही है।
तीन जिलों में राज्य के औसत से दोगुनी मौतें
राष्ट्रीय औसत देखें तो प्रति 10 लोगों के पीछे सड़क हादसों में 111 लोगों की मौत होती है। पंजाब में यह आंकड़ा 155 पहुंच चुका है। पंजाब में रूपनगर, फतेहगढ़ साहिब व एसएएस नगर ऐसे जिले हैं, जहां आबादी के लिहाज से मौतों का आंकड़ा राज्य के औसत से दोगुना हो चुका है।
चार महीनों में ज्यादा, चार में कम मौतें
साल 2017 के मुकाबले 2018 के फरवरी, मार्च, जून व अक्टूबर में सड़क हादसों में मौतें कम हुई हैं, लेकिन जनवरी, मई, अगस्त व सितंबर में 15 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है। 2018 के जनवरी में 412, फरवरी में 345, मार्च में 369, अप्रैल में 397, मई में 424, जून में 341, जुलाई में 346, अगस्त में 370, सितंबर में 390, अक्टूबर में 444, नवंबर में 457 और दिसंबर में 430 की मौत सड़क हादसे में हुई।
ओवरस्पीड, नशे में ड्राइविंग बड़ा कारण
रिसर्च में सामने आया कि पंजाब में सड़क हादसों में मौतों की बड़ी वजह ओवरस्पीड व नशे में ड्राइविंग है। साल 2018 में ओवरस्पीड की वजह से हुए हादसों में 2,540 लोगों की मौत हुई। वहीं, ड्रंकन ड्राइविंग से 85 लोगों की जान गई।
पुलिस कमिश्नरेट के हालात भी बदतर
जालंधर, लुधियाना व अमृतसर में साल में 519 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई, जो कुल मौतों का 11 फीसद है।
मृतकों 18 से 45 साल वाले सर्वाधिक, पुरुष ज्यादा
सड़क हादसों में मरने वालों में सबसे ज्यादा तादाद 18 से 45 साल वालों की है। रिपोर्ट के मुताबिक मरने वालों में 18 साल से कम उम्र के 203, 18 से 25 साल के 1,056, 25 से 35 साल के 1,348, 35 से 45 साल के 1,161, 45 से 60 के 731, 60 साल से ऊपर 170 और जिनकी उम्र का पता नहीं चल सका, उनकी संख्या 71 है। मरने वालों में पुरुष ज्यादा हैं। साल में मरे लोगों में 86 फीसद पुरुष व 14 फीसद महिलाएं शामिल हैं।
शाम के तीन घंटे में ज्यादा मौतें
सड़क हादसों के लिहाज से पंजाब में शाम छह बजे से रात नौ बजे तक का वक्त काफी संवेदनशील है। इस समय में सबसे ज्यादा 963 सड़क हादसे हुए। इसके बाद रात नौ बजे से आधी रात 12 बजे तक 658, दोपहर बाद तीन बजे से छह बजे तक 612, सुबह छह से नौ बजे 555, सुबह नौ से दोपहर 12 बजे तक 553, दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक 533, दोपहर बाद तीन बजे से छह बजे तक 328, दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक 306 और 232 हादसों के समय का पता नहीं चल सका।
ग्रामीण इलाके में ज्यादा हादसे लेकिन जानलेवा शहरों में
रिपोर्ट में सामने आया कि कुल सड़क हादसों में 58 फीसद सड़क हादसे ग्रामीण क्षेत्रों में हुए हैं। शहरों में 42 फीसद हादसे हुए, लेकिन ये जानलेवा हादसे थे और साल 2017 के मुकाबले 2018 में शहरी एरिया में जानलेवा हादसों में पांच फीसद की बढ़ोत्तरी हुई। इनमें पैदल व साइकिल वालों की गिनती ज्यादा है।
राज्य को 4,757 करोड़ का नुकसान
सोशियो-इकोनॉमिक कॉस्ट एनालिसिस के हिसाब से देखें तो साल 2018 में पंजाब को सड़क हादसों में 4,757 करोड़ का नुकसान हुआ। इसमें इलाज खर्च, गाड़ी का नुकसान, इन्फ्रॉस्ट्रक्चर को हुई हानि, जख्मी या मौत होने से कमाई बंद होने जैसे कई तरह के खर्चे शामिल हैं।
ज्यादा हादसे वाली जगहें करेंगे ठीक : नवदीप असीजा
पंजाब सरकार के ट्रैफिक एडवाइजर नवदीप असीजा ने कहा कि रिसर्च में जो सच्चाई सामने आई है, उसके आधार पर ज्यादा हादसे वाली जगहें ढूंढ रहे हैं, ताकि उन्हें ठीक कर हादसे रोके जा सकें। इसके लिए दस जिलों में दस रोड सेफ्टी इंजीनियर भेज चुके हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल अभी तक मौतों में कमी आई है। अगर ब्लैक स्पॉट ठीक कर दिए जाएं तो निसंदेह हादसों में कमी आएगी। नेशनल हाइवेज पर ज्यादा हादसे व मौतें हो रही हैं। यह केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए राज्य सरकार के माध्यम से रिपोर्ट केंद्र को भेजकर इस पर कार्रवाई की मांग की जाएगी।
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