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जालंधर नगर निगम ने कसा शिकंजा, अवैध कालोनियों से फीस वसूली का हिसाब बनाने में जुटे अफसर

फीस वसूली के मामले में तय से ज्यादा जमीन पर बनी कालोनी पर एक बार फिर से पेंच फंस सकता है। पहले भी यही मुश्किल खड़ी हो गई थी। जांच में सामने आया था कि जितनी जमीन पर मंजूरी मांगी गई है उससे ज्यादा जमीन पर कालोनी विकसित की है।

By Edited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 06:23 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 09:16 AM (IST)
अवैध कालोनियों से बकाया रेगुलाइजेशन फीस वसूलने का काम शुरू। (फाइल फाेटाे)

जालंधर, जेएनएन। अवैध कालोनियों से बकाया रेगुलाइजेशन फीस वसूलने के लिए निगम की बिल्डिंग ब्रांच ने सभी कालोनियों की असेसमेंट शुरू कर दी है। हिसाब लगाया जा रहा है कि कालोनी पर कितना बकाया लंबित है और इसका कितना ब्याज बनेगा। एमटीपी परमपाल सिंह ने कहा कि सभी कालोनाइजरों को निर्देश दिया गया है कि वे कालोनियों में प्लाटों की बिक्री का पूरा विवरण दें।

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उन्होंने कहा कि असेसमेंट में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि इसमें प्लाट की बिक्री के साल को देखते हुए ही फीस तय की जानी है। सभी कालोनियों के दस्तावेज पूरे किए जा रहे हैं और सड़कों की चौड़ाई के साथ-साथ मूल सुविधाओं के लिए जमीन छोड़ने जैसी शर्तों की भी जांच की जा रही है। सभी कालोनियों के नक्शे भी उनके पास मौजूद हैं, जिसमें सड़कों की चौड़ाई और सुविधाओं के लिए छोड़ी जमीन का रिकार्ड है।

तय जमीन से ज्यादा पर विकसित कालोनी का फंसेगा पेंच

फीस वसूली के मामले में तय से ज्यादा जमीन पर बनी कालोनी पर एक बार फिर से पेंच फंस सकता है। पहले भी यही मुश्किल खड़ी हो गई थी। बिल्डिंग कमेटी की जांच में सामने आया था कि जितनी जमीन पर मंजूरी मांगी गई है, उससे ज्यादा जमीन पर कालोनी विकसित की गई है। इसमें कई कालोनाइजर फंस सकते हैं और अफसरों पर भी गाज गिर सकती है।

यह भी पढ़ेःजिले की मंडियों में धान की खरीद का काम जारी

जिले की मंडियों में धान की खरीद का काम जारी है। किसानों की सुविधा के लिए पहली बार बनाए गए 149 खरीद केंद्रों पर वीरवार को देर शाम तक किसान धान की ट्रालियां लेकर पहुंचे। मार्केट कमेटी के चेयरमैन राज कुमार अरोड़ा ने इस बार छुट्टी वाले दिन भी खरीद का काम जारी रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में फसल की खरीद के लिए जिले में 78 खरीद केंद्र बनाए जाते रहे हैं। इस बार 71 शैलरों को भी धान की खरीद के लिए केंद्र बना दिया गया है। इससे किसानों को अपने नजदीकी केंद्र पर फसल की बिक्री करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

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