नर्सों और डीएनबी डाक्टरों की हड़ताल से जालंधर के सिविल अस्पताल में पसरा सन्नाटा, स्वास्थ्य सेवाएं पटरी से उतरी
नर्सों और एनएचएम मुलाजिमों की हड़ताल के कारण सिविल अस्पताल में दाखिल मरीजों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। जच्चा-बच्चा वार्ड में दाखिल मरीज परेशान होने लगे हैं। डीएनबी कर रहे एक दर्जन डाक्टर भी काउंसलिंग न होने की वजह से हड़ताल पर चल रहे हैं।
जासं, जालंधर। सिविल अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ सहित विभिन्न स्वास्थ्य कर्मियों और डीएनबी स्टाफ की हड़ताल के कारण मरीजों का हाल बेहाल हरो गया है। नर्सों ने मांगों को लेकर दूसरे दिन हड़ताल हड़ताल जारी रखी। इस कारण सिविल अस्पताल में वार्डों और इमरजेंसी में तमाम सेवाएं ठप रही। इस दौरान नर्सिंग छात्राओं के अलावा फार्मेसी और फिजियोथैरेपी के विद्यार्थियों ने स्वास्थ्य सेवाओं की कमान संभाली।
इससे पहले ही सेहत विभाग में ठेके पर तैनात मुलाजिम पिछले एक महीने से हड़ताल पर चल रहे हैं। हड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वार्ड में दाखिल मरीजों को छुट्टी की जा रही है और नए मरीजों के दाखिल होने की संख्या बहुत कम है।
एसोसिएशन की प्रधान कांता रानी का कहना है कि पहले स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह और उसके बाद डिप्टी सीएम ओपी सोनी ने समस्या का समाधान करने आश्वासन दिया था। हालांकि अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि उनका वेतनमान 4600 रुपये से घटाकर 3200 रुपये कर दिया गया है। नर्सों को अलाउंस भी नही मिल रहे हैं और पदनाम बदलने की मांग भी पूरी नही हुई है।
जच्चा-बच्चा वार्ड में मरीज होने लगे परेशान
एनएचएम के तहत तैनात मुलाजिमों की हड़ताल के चलते अस्पताल में दाखिल मरीजों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। जच्चा-बच्चा वार्ड में दाखिल मरीज परेशान होने लगे हैं। वहीं, सिविल अस्पताल में डीएनबी कर रहे एक दर्जन डाक्टर भी काउंसलिंग न होने की वजह से हड़ताल पर चल रहे हैं। उन्होंने इमरजेंसी सेवाएं भी ठप कर दी हैं। इसके अलावा एनएचएम, पंजाब ऐड्स कंट्रोल सोसायटी तथा नशा छुड़ाओ केंद्रों ठेके पर तैनात स्टाफ पहले से ही हड़ताल पर चल रहा है। आरडीडीएल कोविड-19 लैब में तैनात ठेका कर्मचारियों ने भी हड़ताल जारी रखते हुए सैंपलों की जांच नहीं की है।
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