अस्पताल में बढ़ी वायरल और डेंगू के मरीजों की संख्या
सिविल अस्पताल में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की रिटायरमेंट के बाद पिछले करीब तीन सप्ताह से आर्थिक संकट पूरी तरह से छा चुका है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : सिविल अस्पताल में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट की रिटायरमेंट के बाद पिछले करीब तीन सप्ताह से आर्थिक संकट पूरी तरह से छा चुका है। मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते आर्थिक तंगी के चलते इलाज प्रभावित होने लगा है। नतीजतन मरीजों की परेशानी बढ़ने लगी हैं। अस्पताल प्रशासन फंड होने के बावजूद खर्च करने के लिए अधिकार नहीं रख रहा। सिविल अस्पताल के मेडिकल वार्ड वायरल व डेंगू के मरीजों से पूरी तरह फुल है।
डॉक्टर थोड़े ठीक हुए मरीजों को घर भेजने की कवायद कर रहे हैं, इस पर उन्हें मरीजों का विरोध सहना पड़ रहा है। वहीं इलाज के लिए दवाइयों की कमी भी आड़े आने लगी है। फगवाड़ा से संदिग्ध डेंगू की मरीज सुनीता मेडिकल फीमेल वार्ड में दाखिल है। उनके परिजनों का कहना है कि मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ और डॉक्टर उन्हें छुट्टी देकर घर भेजने का दबाव बना रहे हैं।
वहीं महज एक गोली देकर इलाज करने का दावा किया जा रहा है। उधर, मरीज सीता रानी का कहना है कि डॉक्टरों ने उसे आते ही बिना चैक किए कहा कि आप बिल्कुल ठीक हैं और घर जाकर आराम करें जबकि उनकी हालत इतनी खराब थी कि वह पूरी तरह से चल भी नहीं पा रही थी। जब हलका विरोध किया तो डाक्टरों ने उसे दाखिल कर इलाज शुरू किया। मरीजों के परिजनों का कहना है कि वार्ड पूरी तरह फुल होने के बावजूद एडजस्टमेंट की जा रही है लेकिन अस्पताल का स्टाफ कोई सहयोग नहीं दे रहा। वार्ड में तैनात स्टाफ का रवैया कड़वा है और मरीजों को हाथ में दवा ग्लूकोज व दवा थमाकर निकल लेते हैं। डायलसिस की सेवाएं प्रभावित : सिविल अस्पताल में आर्थिक मंदी के चलते डायलसिस करवाने वालों के लिए सामान की सप्लाई न आने की वजह से कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। राज्य सरकार ने किडनी रोगियों के लिए सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मुहैया करवाई थी, जो आर्थिक तंगी के चलते बंद हो गई है। सिविल अस्पताल में रोजाना 5 से 7 डायलसिस किए जाते हैं। सेवाएं ठप्प होने की वजह से मरीजों को निजी सेंटरों में 3 से 4 हजार रुपये खर्च कर डायलसिस करवाना पड़ रहा है।
डेंग के टेस्ट भी हुए बंद : इन दिनों वायरल व डेंगू बुखार के सीजन में सिविल अस्पताल में आर्थिक मंदी में लेबोरेटरी के कामकाज भी ठप्प हो गए हैं। डेंगू टेस्ट के लिए उपयोग होने वाली किटें शुक्त्रवार को खत्म हो जाने के बाद संकट और गहरा गया। अस्पताल प्रशासन ने जगह-जगह सूचनापट्ट लगाकर लोगों को जागरूक किया है। अस्पताल में रोजाना 40-50 टेस्ट किए जा रहे हैं। सिविल अस्पताल के कार्यकारी मेडिकल सुपिरन्टेंडेंट डा. त्रिलोचन सिंह का कहना है कि अस्पताल में फंड तो है लेकिन सेहत विभाग ने उसे खर्च करने के अधिकार नहीं दिए हैं। इसकी वजह से डीलर सप्लाई देने से कन्नी कतरा रहे हैं। सेहत विभाग ने सिविल सर्जन को फंड का इस्तेमाल करने के अधिकार जारी कर दिए हैं। सोमवार से समस्याओं का समाधान होने के आसार हैं।