शिक्षा को बेहतर बनाने में एनआरआइज ने बढ़ाए हाथ
श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित चौथा एनआरआइ सम्मेलन करवाया गया।
जागरण संवाददाता, जालंधर : सर्वहितकारी शिक्षा समिति की ओर से सीमावर्ती इलाकों में चलाए जा रहे 'शिक्षा सेवा अभियान' में सक्रिय सहयोग देने वाले एनआरआइ को सम्मानित करने तथा श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित चौथा एनआरआइ सम्मेलन करवाया गया। ये आयोजन सर्वहितकारी शिक्षा समिति के मुख्यालय विद्या धाम के डॉ. आंबेडकर सभागार में हुआ था।
उद्घाटन समारोह में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने में अहम भूमिका अदा करने वाले खेती विरासत मिशन के प्रधान उमेंद्र दत्त ने कहा कि खेती को खुराक से, खुराक को विद्यार्थियों और स्वास्थ्य से जोड़ना है। उन्होंने सर्वहितकारी शिक्षा समिति को भी अपने विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का आह्वान किया।
सम्मेलन के संचालक मनोज ने बताया कि दस से अधिक एनआरआइ पंजाब के विभिन्न इलाकों में शिक्षा सेवा के क्षेत्र से जुड़ रहे हैं और पंजाब के सीमांत गावों में बड़ी संख्या में संस्कार केंद्र खोलने मदद करेंगे। सम्मेलन में 35 देशों से 80 एनआरआइ पहुंचे। इस दौरान सर्वहितकारी विद्या मंदिरों के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों और आचार का भी प्रदर्शन एक प्रदर्शनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सर्वहितकारी विद्या मंदिर लाडोवाली रोड के विद्यार्थियों ने गिद्दा पेश कर समां बांधा
मौके पर विजय नड्डा, प्रधान जयदेव वातिश, महामंत्री अशोक बब्बर, प्रांत प्रचारक प्रमोद, प्रचारक राजेंद्र व रामगोपाल, कमलकांत ऐरी, सोमेश लूथरा, अजय चौधरी, दिनेश, विजय ठाकुर, वरिद्र बंटी, मनदीप, डॉ. स्वर्ण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला, रूचि चुघ, ऊषा चौधरी, अखिलेश्वर अरोड़ा, मोहित चुघ, राजीव लूथरा के अलावा संस्था के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद थे। 1952 में पहला सरस्वती विद्या मंदिर हुआ था शुरू : शिवकुमार
विद्या भारती अखिल भारतीय संस्थान के महामंत्री शिवकुमार ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद शिक्षा व्यवस्था का तंत्र और विचार स्वदेशी होना चाहिए था परंतु तत्कालीन शासकों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 1952 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पहला सरस्वती विद्या मंदिर प्रारंभ किया गया। 1977 में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की स्थापना हुई। 1952 में जो कार्य एक बीज के रूप में था, वर्तमान में वह एक वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका। देश में 13 हजार औपचारिक और 15 हजार अनौपचारिक शिक्षण संस्थानों का कुशलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। पंजाब में भी 127 औपचारिक और 377 अनौपचारिक शिक्षण संस्थान चल रहे हैं। हिन्दुत्व और शिक्षा का परचम फहराया
फलोरिडा में रहने वाले ब्रह्म आर अग्रवाल ने विदेश में भी हिन्दुत्व व शिक्षा की अलख जगाए रखने के लिए परचम फहराया है। 1975 में यूके गए थे। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश कंपनी में बतौर चीफ अकाउंटेंट की सेवाएं दी और तरक्की की। इसके बाद अमेरिका में गए जहां 30 साल से पार्क सक्येर होम्स व्यापार कर रहे है। वर्तमान में हिदू यूनिवर्सिटी तथा पतंजलि योग पीठ के चेयरमैन हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भारतीयों को ही नहीं विदेशियों को भी योग का मुरीद बनाया है। बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाने के लिए देश विदेश में खासे प्रयास किए जा रहे हैं। अकाल फाउंडेशन के बैनर तले देश में 54 हजार बच्चे शिक्षा ले रहे हैं। मेधावी बच्चों के लिए वजीफे की सुविधा के लिए विवेक वेलफेयर एवं एजुकेशन फाउंडेशन चला रहे हैं। टैक्सी चलाकर किया था करियर शुरू अब रेडियो चैनल के मालिक
अपना रेडियो की प्रधान मनधीर कौर ने बताया कि उनके पति जगतार सिंह ने कनाडा के विन्नीपैग में टैक्सी चलाकर अपना कैरियर शुरू किया था। पंजाब में वह लुधियाना के रहने वाले हैं। कनाडा में कड़ी मेहनत करके वहां रेडियो लांच किया जो भारतीयों के मनोरंजन का बड़ा साधन बना। रेडियो के माध्यम से भारतीय विद्यार्थियों में दोस्ती की नींव पक्की करने के लिए प्रोग्राम सुनाए जाते हैं। उन्हें शिक्षा तथा मेहनत करके देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। विदेशी दूल्हे दुल्हनों की धोखाधड़ी पर लगाया अंकुश
कनाडा सरीं के रहने वाले परविदर सिंह गिल ने कहा कि उन्होंने देश से शादी करके कनाडा जाकर आपस में धोखाधड़ी करने वालों के लिए कनाडा सरकार के साथ मिलकर नया कानून बनवाया। पंजाब में खिलचियां में रहने वाले गिल ने बताया कि उन्होंने कनाडा सरकार पर दबाव बनाकर कानून लागू करवाने में अहम भूमिका निभाई। अब देश से शादी करवाने के बाद कनाडा जाने वाले दो साल तक एक दूसरे से अलग नहीं होंगे और ना ही तालाक देंगे। वहीं इसके बाद दूसरी शादी करने पर पांच साल तक नया दंपती पंजीकृत नही हो सकता है। उन्होंने बताया कि वह कनाडा में भी भारतीय सभ्यता को जीवित रखने के लिए काम कर रहे हैं। सरकार देश में ही शिक्षा और रोजगार के बेहतर साधन उपलभ्ध करवाए
नकोदर निवासी डॉ. नवप्रीत सिंह गिल का कहना है कि उनकी पत्नी गलीना मैक्सिको से पढ़ी है और वहां की सिटीजन है। डॉ. गिल का कहना है कि वर्तमान में शिक्षा का ट्रेंड ही बदल गया है। एक दशक पहले किसी को पूछे तो अपनी डिग्री एमफिल और पीएचडी बताते थे। वर्तमान में किसी यूथ को पूछो तो वह अपनी शिक्षा आईलेट्स बताते हैं। बच्चे स्कूल कॉलेजों में जाने की बजाय आईलेट्स सेंटरों में ज्यादा हैं। देश का पैसा व यूथ ब्रेन विदेश जा रहा है। भविष्य में देश में इसका अभाव विकास की राह में बाधा बनेगा। उन्होंने यूथ के विदेशों में जाने की दौड़ को बंद करने के लिए देश में ही अव्वल शिक्षा और रोजगार के साधन पैदा करने के लिए सरकार को विचार करने की जरूरत पर बल दिया।