निष्क्रिय रहे छोटे राजनीतिक दल, NOTA से भी कम रहा कुल मतों का आंकड़ा
यह पहला अवसर है जब लोकसभा चुनाव में छोटे राजनीतिक दल पूरी तरह से निष्क्रिय रहे।
By Edited By: Published: Sun, 26 May 2019 07:46 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 12:05 PM (IST)
शाम सहगल, जालंधर। यह पहला अवसर है जब लोकसभा चुनाव में छोटे राजनीतिक दल पूरी तरह से निष्क्रिय रहे। जिन छोटे राजनीतिक दलों ने मैदान में उम्मीदवार उतारे भी थे, वह भी चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं हुए। यही कारण रहा कि अधिकतर छोटे राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को पड़े कुल वोट नोटा के आंकड़े से भी नीचे रहे हैं। जालंधर लोकसभा चुनाव में इस बार 12324 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया है। जबकि, कुल नौ छोटे राजनीतिक दलों को 11844 मत पड़े हैं। खास बात यह कि इनमें से कोई भी छोटा राजनीतिक दल अपनी जमानत भी नहीं बचा सका है। यहीं नहीं, कई छोटे दल दो निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा हासिल की गई वोटों से भी कम में ही निपट गए। चुनावी प्रक्रिया में किसी भी छोटे राजनीतिक दल ने न तो किसी बड़े राजनीतिक दल के साथ जुड़ने की कोशिश की और न ही किसी बड़े राजनीतिक दल ने उनको अपने साथ जोड़ने में रुचि दिखाई। लिहाजा, दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों की आमने-सामने भिड़ंत के बीच छोटे राजनीतिक दल दबकर रह गए।
- अस्तित्व बचाने के पड़े लाले
लोकसभा चुनाव के दौरान गनमैन लेकर घूमने वाले छोटे दलों के उम्मीदवारों को अब अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने के लाले पड़ गए हैं। कारण, अधिकतर छोटे राजनीतिक दलों के उम्मीदवार न तो अपनी जमानत बचा सके हैं व न ही पार्टी का प्रचार ही कर सके हैं। जबकि, पार्टी का प्रचार करने के लिए चुनाव ही सबसे बेहतर अवसर होता है।
- नोटा के ग्राफ से भी पिछड़ा, छोटे दलों का कुल आंकड़ा
लोकसभा चुनावों में 12324 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। इसी तरह छह आजाद उम्मीदवारों को कुल 12647 मत मिले थे। जबकि, कुल नौ छोटे राजनीतिक दल मिलकर 11844 मत ही हासिल कर सके हैं। इससे छोटे दलों के अस्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
- वोट का आंकड़ा बढ़ा है : गोरिया
लोकसभा चुनाव में शिवसेना बाल ठाकरे के उम्मीदवार रहे सुभाष गोरिया बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में उन्हें 760 मत हासिल हुए थे। जबकि, इस बार 2470 मत प्राप्त किए हैं। इससे पार्टी के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद पार्टी का प्रचार व लोगों की सेवा करना है। इसके चलते विस चुनावों में वह फिर से मैदान में उतरेंगे।
- किस दल ने कितने हासिल किए मत
अंबेदकर नेशनल कांग्रेस : 1340
शिवसेना : 2470
पीपल्स पार्टी आफ इंडिया (डेमोक्रेकिट) : 1191
भारत प्रभात पार्टी : 500
हम भारतीय पार्टी : 1430
बहुजन समाज पार्टी (अंबेदकर) : 2463
रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (ए) : 684
नेशनल जस्टिस पार्टी : 845
बहुजन मुक्ति पार्टी : 921
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- अस्तित्व बचाने के पड़े लाले
लोकसभा चुनाव के दौरान गनमैन लेकर घूमने वाले छोटे दलों के उम्मीदवारों को अब अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने के लाले पड़ गए हैं। कारण, अधिकतर छोटे राजनीतिक दलों के उम्मीदवार न तो अपनी जमानत बचा सके हैं व न ही पार्टी का प्रचार ही कर सके हैं। जबकि, पार्टी का प्रचार करने के लिए चुनाव ही सबसे बेहतर अवसर होता है।
- नोटा के ग्राफ से भी पिछड़ा, छोटे दलों का कुल आंकड़ा
लोकसभा चुनावों में 12324 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। इसी तरह छह आजाद उम्मीदवारों को कुल 12647 मत मिले थे। जबकि, कुल नौ छोटे राजनीतिक दल मिलकर 11844 मत ही हासिल कर सके हैं। इससे छोटे दलों के अस्तित्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
- वोट का आंकड़ा बढ़ा है : गोरिया
लोकसभा चुनाव में शिवसेना बाल ठाकरे के उम्मीदवार रहे सुभाष गोरिया बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में उन्हें 760 मत हासिल हुए थे। जबकि, इस बार 2470 मत प्राप्त किए हैं। इससे पार्टी के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद पार्टी का प्रचार व लोगों की सेवा करना है। इसके चलते विस चुनावों में वह फिर से मैदान में उतरेंगे।
- किस दल ने कितने हासिल किए मत
अंबेदकर नेशनल कांग्रेस : 1340
शिवसेना : 2470
पीपल्स पार्टी आफ इंडिया (डेमोक्रेकिट) : 1191
भारत प्रभात पार्टी : 500
हम भारतीय पार्टी : 1430
बहुजन समाज पार्टी (अंबेदकर) : 2463
रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (ए) : 684
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