पटाखों की गड़गड़ाहट से सहमे नॉडी, हंटर और व्हिस्की, अस्पताल में चल रहा इलाज
कुत्तों के कान बहुत संवेदनशील होते हैं। इसी कारण दिवाली की रात पटाखे छोड़े जाने वे सहम जाते हैं और तनाव में खाना छोड़ देते हैं।
जालंधर, जेएनएन। लोग दिवाली की रात पटाखे चलाकर खुशियां मना रहे थे और उनके घर के रखवाले पालतू डॉगी सहमे हुए थे। पटाखों की गड़गड़ाहट से नॉडी, हंटर, व्हिस्की और एल्बर्ट जैसे कई पेट कुत्ते तनाव का शिकार हो गए। सोमवार को निजी व सरकारी पशु चिकित्सकों के पास इलाज के लिए आने वाले कुत्तों में करीब 40 फीसद पटाखों की गड़गड़ाहट के कारण बीमार थे।
पटाखों के डर और स्ट्रेस की वजह से छोड़ देते हैं खाना
मॉडल टाउन में रहने वाले दमनजीत और हरजीत सिंह का कहना है कि उनके पास गोल्डन रिट्रिवर नस्ल का एल्बर्ट है। तीन चार दिन पहले बच्चों ने थोड़े पटाखे चलाए तो डर के मारे कमरे में घुस कर छिप जाता था। दिवाली की रात को पटाखों की गड़गड़ाहट की वजह से वह सहमा हुआ था। तनाव में रहने लगा और खाना भी छोड़ दिया था। डर के मारे उसे बुखार भी हो गया। सोमवार को डाक्टर से जांच करवाई तो उन्होंने बताया कि पटाखों की गड़गड़ाहट के डर से उसकी हालत बिगड़ी है।
पशु चिकित्सक डॉ. जीएस बेदी का कहना है कि उनके घर में नॉडी का नाम का कुत्ता है। पटाखों की वजह से पिछले कई दिनों से परेशान है। उसकी वजह से घर के अन्य सदस्यों को भी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। उनका कहना है कि कुत्ते काफी संवेदनशील होते है। इनके कान अधिक आवाज वाले पटाखों की गड़गड़ाहट से खासे परेशान होते हैं। कई कुत्ते पटाखों के डर से घर से बाहर भाग जाते हैं। वे बीमार हो जाते है और स्ट्रेस की वजह से खाना भी छोड़ देते हैं।
बहुत संवेदनशील होते हैं कुत्तों के कान
पशु चिकित्सक डॉ. एसएस भट्टी का कहना है कि लोगों को हर दिवाली पर कुत्तों की संभाल के लिए टिप्स दिए जाते हैं। इसके बावजूद दिवाली के अगले दिन पटाखों की वजह से स्ट्रेस व बुखार के वजह से आने वाले पशुओं की संख्या 30-40 फीसद तक पहुंच जाती है। कुत्तों के कान काफी संवेदनशील होते हैं। इसलिए पटाखों की आवाज उन्हें बहुत परेशान करती है।