पर्याप्त संख्या में Safety Kit न होने से सिविल के डॉक्टर्स व स्टाफ पर मंडरा रहा Coronavirus का खतरा
सिविल अस्पताल जालंधर में 50 के करीब संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। इनकी जांच करने के लिए टीम को रोजाना 10 से 12 किटों की जरूरत पड़ती है।
जालंधर, जेएनएन। सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों का उपचार करने वाली टीम खुद वायरस के खतरे में सांसे ले रही है। संदिग्ध मरीजों की निगरानी करने व सैंपल लेने डॉक्टर्स व स्टाफ के सदस्यों पर भी कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है। पर्याप्त पर्सनल प्रोटेक्शन किट्स न होने से डॉक्टरों व स्टाफ खतरे के साये में ड्यूटी कर रहे हैं। सेहत विभाग के पास किटों की संख्या ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। खुद को असुरक्षित समझते हुए दर्जा चार कर्मियों ने रोष प्रदर्शन भी किया परंतु नतीजे ढाक के तीन पात रहे। यह सामान अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ के सदस्यों को मांगने पर भी समान नहीं मिल रहा है। मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन भी गंभीर नही है।
12 घंटे बाद किट बदलना जरूरी
डॉक्टरों व स्टाफ की माने तो ट्रोमा सेंटर के आइसीयू में कोरोना वायरस से संक्रमित चार मरीज उपचाराधीन हैं और आइसोलेशन वार्ड में 46 के करीब संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। इनकी जांच करने के लिए टीम को रोजाना 10 से 12 किटों की जरूरत पड़ती है। 12 घंटे के बाद किट बदलना जरूरी है। एक किट को केवल एक ही व्यक्ति एक ही बार इस्तेमाल कर सकता है।
किट की डिमांड जिल प्रशासन को भेजी : एसएमओ
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. चन्नजीव सिंह का कहना है कि मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. मनदीप कौर की ओर से करीब एक हजार पीपीई किट्स की डिमांड जिला प्रशासन को भेजी गई है। सिविल अस्पताल में 25 व सिविल सर्जन के स्टोर में 68 किट हैं। जिला प्रशासन ने उन्हें जल्द किट मुहैया करवाने का आश्वासन दिया है। सांसद नरेश गुजराल की ओर से एमपी लैड फंड के तहत भी पांच हजार पीपीई किटों की डिमांड तैयार कर भेजी गई है।
ऐसे करते हैं बचाव
- आइसोलेशन वार्ड से बाहर निकलते ही खुद को करते हैं सैनिटाइज।
- साबुन से हाथ पैर और मुहं को धोना।
- घर जाकर बूट व कपड़े एक अलग कमरे में उतार कर रखना।
- हल्के गर्म पानी से नहाने के बाद साफ कपड़े पहन कर परिवार से मिलना।
- पुराने कपड़ों को तुरंत गर्म पानी व सर्फ के साथ धुलाई करवाना।
- दिन में गर्म पानी व पौष्टिक आहार का सेवन करना।
-ड्यूटी से आकर उतारे जूते रखने के बाद तीसरे दिन इस्तेमाल करना।