कोरोना काल में 'बीमार' पड़ी स्कूली बच्चों की सेहत जांच
लॉकडाउन और कर्फ्यू लगते ही शिक्षण संस्थान बंद हो गए। इसके बाते से बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जांच भी नहीं हो रही है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना काल में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगते ही शिक्षण संस्थान बंद हो गए। इसके बाद से सरकारी व सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे चार माह से घर बैठे हैं। ऐसे में उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए जांच भी नहीं हो रही है। कारण, सेहत विभाग ने स्कूल बंद होते ही इनकी जांच करने के लिए बनाई टीमों की ड्यूटी कोविड 19 में लगा दी थीं।
दरअसल, सेहत विभाग की ओर से जिले में सरकारी और सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच के लिए देहात में 18 व शहर में एक टीम तैनात की है। प्रत्येक टीम में एक महिला व एक पुरुष डॉक्टर, फार्मासिस्ट तथा स्टाफ नर्स को तैनात किया गया है। केंद्र सरकार ने बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए ये कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत दिल, किडनी सहित 30 बीमारियों का मुफ्त इलाज करने का प्रावधान है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 तक जिलेभर में टीमों ने 1,56,942 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की, जिनमें से 1249 बच्चों का विभिन्न बीमारियों से निजात दिलाने के लिए ईलाज करवाया गया। हालांकि 16 मार्च के बाद से बच्चों की स्वास्थ्य जांच ठप पड़ी है, क्योंकि उक्त टीमों को कोरोना के मरीजों के ईलाज के लिए अस्पतालों में तैनात कर दिया है।
स्कूल शुरू होने पर विजिट करेंगी टीमें
सिविल सर्जन डॉ. गुरिदर कौर चावला ने कहा कि मार्च में कोरोना के चलते स्कूलों में राज्य सरकार की ओर से छुट्टियां कर दी थीं और टीमों के स्कूलों में दौरे बंद कर दिए थे। अब स्कूल शुरू होने के बाद ही टीमें वहां विजिट करेंगी। फिलहाल कोरोना के चलते घर बैठे स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए विभाग की ओर से कोई हिदायतें जारी नहीं हुई। विभाग की टीमें कोरोना को लेकर डोर-टू-डोर सर्वे कर रही हैं।