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स्मार्ट झूला: बच्चों के मूड के हिसाब से झुलाएगा और मां की लोरी भी सुनाएगा

जालंधर-अमृतसर बाईपास पर स्थित डा.बीआर आबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट आप टेक्नोलाजी के विद्यार्थियों ने ऐसे स्मार्ट झूले का निर्माण किया है जिसे माता-पिता मोबाइल की मदद से आपरेट कर सकेंगे। यह झूला बच्चे को झुलाने के साथ-साथ मां की आवाज में लोरी व गाने सुनाएगा।

By Edited By: Published: Fri, 20 May 2022 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 07:00 AM (IST)
स्मार्ट झूला: बच्चों के मूड के हिसाब से झुलाएगा और मां की लोरी भी सुनाएगा
विद्यार्थियों ने स्मार्ट झूले का किया निर्माण। (जागरण)

मनोज त्रिपाठी, जालंधर: चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के। आप खाए थाली में मुन्ने को दे प्याली में... प्याली गई टूट मुन्ना गया रूठ...गीत को आप सभी ने बचपन में अपनी मां से सुना ही होगा। बच्चों को बहलाने व उन्हें सुनाई जाने वाली लोरी में अभी तक इसका स्थान नंबर वन पर ही है। अब जालंधर-अमृतसर बाईपास पर स्थित डा. बीआर आबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी के विद्यार्थियों ने ऐसे स्मार्ट झूले का निर्माण किया है जिसे माता-पिता मोबाइल की मदद से आपरेट कर सकेंगे।

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मां की आवाज में लोरी व गाने सुनाएगा झूला

यह झूला बच्चे को झुलाने के साथ-साथ मां की आवाज में लोरी व गाने सुनाएगा। झूले को माता-पिता अपने से करीब 100 मीटर दूर रहकर भी आपरेट कर सकते हैं और मोबाइल पर बच्चे को देख भी सकेंगे। इसका इस्तेमाल घर से लेकर अस्पतालों में बेबी केयर यूनिटों तक में किया जा सकता है। इसका पेटेंट भी एनआईटी ने करवा लिया है। इसकी लागत 8 से 10 हजार रुपये के बीच आएगी। आनलाइन बाजार में इससे पहले इस प्रकार के कई झूले मौजूद हैं, लेकिन इस झूले की विशेषता यह है कि इसे मैनुअल व मोबाइल दोनों तक से आपरेट किया जा सकता है। झूले में बच्चे को लिटाते ही पहले सेंसर की मदद से झूला बच्चे के मूड को पढ़ेगा।

मूड के हिसाब से होगी झूले की स्पीड

उसके बाद मूड के हिसाब से उसे कितनी स्पीड से झुलाना है, झूला खुद तय करेगा। अगर बच्चे का मूड मस्त है तो झूला उसे तेज स्पीड से झुलाएगा। अगर बच्चे का मूड खराब है तो झूला पहले उसे लोरी सुनाकर उसका मूड अच्छा करेगा फिर धीरे-धीरे बच्चे को झुलाना शुरू करेगा। माता-पिता अपने मोबाइल के जरिए दूर रहकर भी बच्चे को देखने के साथ-साथ खुद भी झूले की स्पीड कम ज्यादा कर सकेंगे। इतना ही नहीं झूले में लगे स्पीकरों की मदद से माता पिता लोरी के अलावा अपनी आवाज में या किसी और आवाज में गीत भी रिकार्ड करके रख सकते हैं। जरूरत पड़ने पर वह उक्त लोरी या गीतों को मोबाइल से आपरेट करके बच्चे को सुना सकते हैं।

झूले को तैयार करने में लगी एक साल की मेहनत

झूले में लगे स्पीकरों के जरिए माता-पिता बच्चे को रोने से लेकर उसकी हर प्रकार की आवाज को भी सुन सकेंगे और कैमरे की मदद से उसे देख भी सकेंगे। इस अविष्कार को लेकर एनआईटी के डायरेक्टर बिनोद कुमार कन्नौजिया व डीन डा.जेएन चक्रवर्ती ने विद्यार्थियों व स्टाफ को बधाई दी है। विद्यार्थियों की टीम ने एक साल की मेहनत के बाद इसे तैयार किया। इनमें बीटेक फाइनल इयर के इंस्ट्रूमेंटल एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल एंड कंप्यूटर साइंस विभाग की अशक्रिती शुक्ला, प्राशुल गुप्ता, श्रृष्ठी बंगा, टुनीर खरगोनकर, कीर्ती दागा, अप्रित रंकवार, अदित्य मनचंदा, दिव्याशा शर्मा ने एसोसिएट प्रोफेसर डा. कुलदीप सिंह नागला व सहायक प्रोफेसर डा.डी मुर्गन की मदद से तैयार किया है।

ऐसे काम करता है झूला

-आर्टीफिशियल इंटिलिजेंस टूल्स की मदद से झूला बच्चे के मूड को पढ़ता है।

-आनबोर्ड स्मार्ट सेंटर टेक्नोलाजी की मदद से झूले को आपरेट करते हैं।

-झूले में चार्जिंग वाली 12 वोल्ट की बैटरी भी लगाई जा सकती है, जिसे अटाप्टर के माध्यम से चार्ज कर सकते हैं।

-झूले में लगी मोटर के जरिए इसकी स्पीड कम व ज्यादा की जा सकती है।

-स्टील के स्ट्रक्चर व कपड़े से इसे बनाया गया है।

-झूले में लगे स्पीकर व माइक्रोफोन के मदद से बच्चे को लोरी सुनाने व उसकी आवाज सुनी जा सकती है।

कहां से आया आइडिया?

डा. कुलदीप नागला ने बताया कि यह अविष्कार पूरी टीम की मेहनत से सफल हुआ है। एक बार टीम के ही एक सदस्य ने घर में नवजन्मे बच्चे के झूले के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया तो बाजार में जो झूले मौजूद मिले उनमें प्रैक्टिकल रूप से बच्चों को हैंडिल करने की बात नहीं दिखाई दी। उसके बाद ऐसे झूले के बारे में विचार-विमर्श किया क्योंकि आज कल वर्किंग माता-पिता की संख्या लगातार बढ़ रही है। उसके बाद इस अविष्कार पर टीम ने काम शुरू किया।


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