खेल-खेल मेंः भरावा पेन गुम न कर दवीं...और छह साल बाद दर्द समझे चौधरी
हैपी सिंह खेल विभाग के आफिस में पेन से कुछ लिखने लगे तो अफसर ने कहा- भाई पेन न गुम कर देना विभाग के पास एक रुपये का भी फंड नहीं है।
जालंधर। कड़ाके की सर्दी में हैप्पी सिंह बीएमसी चौक से कुछ आगे निकले तो रास्ते में पड़ते जिला खेल विभाग के ऑफिस पहुंचे। वहां अफसर बैठे थे। हैप्पी सिंह ने जब टेबल से पेन उठाकर लिखना शुरू किया तो अफसर ने कहा कि देखीं पेन गुम न हो जावे। पेन की कीमत एक रुपये की थी। हैप्पी सिंह ने हंसी के साथ पूछा पेन में क्या है कि गुम नहीं होना चाहिए। अफसर मुस्कराते हुए व सिर पर हाथ रखकर बोले कि विभाग के पास एक रुपये तक फंड नहीं है। पेन नहीं खरीद सकते। हैप्पी सिंह बोले तो फिर खेलों को कैसे प्रोत्साहित करेंगे। विभाग का खर्च कैसे चलेगा। अफसर बोले, अपनी जेब से कर रहे हैं। हैप्पी सिंह ने पेन को अफसर के हाथों में थमाया और अपने गंतव्य की तरफ चल दिए।
खातिरदारी पड़ रही जेब पर भारी
एक तरफ कड़ाके की ठंड पड रही है तो दूसरी तरफ खेल को लेकर नई-नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। यही कारण है कि जिला खेल विभाग में इन दिनों काफी चहल-पहल है। खेल प्रोग्राम बन रहे हैं और हर विंग के कोच भी ऑफिस में आ रहे हैं। ऐसे में उनकी सेवा में चाय-पानी का बंदोबस्त भी जरूरी है। अब तो हालात यह हो गए हैं कि ठंड के समय में आने वालों की खातिरदारी पर होने वाले खर्च की चिंता अफसरों को सताए जा रही है। कारण एक तो पहले ही विभाग के पास फंड का टोटा है और जब कोई उनके पास किसी कार्य से आ रहा है तो उसकी चाय का खर्च भी अफसरों को अपनी ही जेब से ही करना पड़ रहा है। हालात ऐसे हो गए है कि रोजाना अफसर की पॉकेट से मेहमाननवाजी के चक्कर में ही 100 से 200 रुपये का खर्च हो रहा है जोकि अब उन्हें चुभने लगा है।
खिलाड़ियां दे पैसे तां दे देओ
हैप्पी सिंह शहर से निकल स्पोट्र्स कॉलेज के एथलेटिक्स ट्रैक के पास पहुंच गया। यहां देश का नंबर वन एथलीट खेलो इंडिया की तैयारी में जुटा था। हैप्पी सिंह ने एथलीट से पूछा इस बार स्वर्ण पक्का है फेर। एथलीट ने हंसते हुए कहा कि राज्य में चाहे स्वर्ण, रजत चाहे कांस्य पदक जित के ले आओ पर इनामी राशि नहीं मिलदी। पंज महीने पहलां मोहाली विच खिलाड़ियों दा सम्मान समारोह होया सी। अजे तक उसदी इनामी राशि खाते विच नहीं आई हेगी। विभाग वी बहाने ला ¨दंदा कि तुहाडा बैंक खाता गलत सी, आइएफसी कोड गलत सी। फेर सरकार फंड न होण दी गल करन लग पैंदी ए। हैप्पी सिंह ने कहा कि सरकार केहंदी ए पंजाब दे खिलाड़ी हरियाणा दा मुकाबला करणगे।
छह साल बाद दर्द समझे चौधरी
वैसे तो चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है, लेकिन बात जब सांसद चौधरी की हो तो वो थोड़ा धीमे रह गए। जो समस्या आठ साल से मुंह उठाए खड़ी थी। उसका पता चलने में सांसद चौधरी को छह साल लग गए। वो दनदनाते हुए अफसरों की फौज के साथ पहुंचे, इसका पता समस्या से परेशान लोगों को भी लगा ओर समाधान की उम्मीद भी जगी। मगर हुआ वही जो हर बार होता आया है। वादे कर चौधरी भी फोटो खिंचवा कर निकल गए। हालांकि समस्या से परेशान लोगों को अब भी उम्मीद है कि कुछ होगा क्योंकि उन लोगों ने भी तो चाचा चौधरी पर दोबारा उम्मीद जताई है।
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