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सियासत के मैदान में परगट का सटीक गोल, कभी विश्व के बेस्ट डिफेंडर रहे हैं जालंधर कैंट के विधायक

वर्ष 1996 में अटलांटा में हुई ओलिंपिक में परगट सिंह भी ध्वजवाहक रह चुके हैं। परगट सिंह वर्ष 1988 1992 व 1996 तीन बार ओलिंपिक खेल चुके हैं। वह वर्ष 1992 व 1996 में भारतीय हाकी टीम के कप्तान थे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 10:59 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 11:05 AM (IST)
जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह विश्व के बेस्ट डिफेंडर रहे हैं।

कमल किशोर, जालंधर। जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह का नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी कैबिनेट में मंत्री बनना लगभग तय है। ओलिंपियन परगट सिंह राजनीति में आने से पहले हाकी में बेस्ट डिफेंडर के रूप से जाने जाते थे। परगट सिंह को विश्व का बेस्ट डिफेंडर कहा जाता है। परगट ने सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल मिट्ठापुर में पढ़ाई की और 11 वर्ष की आयु में हाकी खेलना शुरू किया। लायलपुर खालसा कालेज में पढ़ते हुए हाकी प्रेम और बढ़ा। वर्ष 1996 में अटलांटा में हुई ओलिंपिक में परगट सिंह भी ध्वजवाहक रह चुके हैं।

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परगट सिंह वर्ष 1988, 1992 व 1996 तीन बार ओलिंपिक खेल चुके हैं। वह वर्ष 1992 व 1996 में भारतीय हाकी टीम के कप्तान थे। उनकी खेलने की पोजीशन फुल बैक की थी। उनको विश्व के सर्वश्रेष्ठ रक्षकों (डिफेंडर) में से एक माना जाता है। वह राजनीति में कदम रखने से पहले पंजाब पुलिस में एसपी भी रह चुके हैं। वर्ष 2005-2012 तक वह डायरेक्टर स्पोर्ट्स के पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं।

परगट को कैंट से लड़ाने के लिए सुखबीर सिंह बादल ने तत्कालीन विधायक जगबीर सिंह बराड़ की टिकट काट दी थी। उसके बाद बराड़ चुनाव हार गए और उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। बराड़ की कुंडली में परगट की छाया ऐसी पड़ी कि बीते तीन चुनाव से दोनों एक दूसरे को काट रहे हैं। इस बार बराड़ ने दोबारा अकाली दल ज्वाइन कर लिया है और इस सीट से उम्मीदवार बनाए गए हैं। परगट को इस सीट से कांग्रेस से टिकट मिलती है तो बराड़ के मुकाबले में खड़े होंगे।

परगट को मालूम था कि इस बार कैंट की लड़ाई उनके लिए आसान नहीं है, क्योंकि दस सालों में अपने हलके में न तो परगट कोई खास प्रोजेक्ट दे पाए हैं और न ही विकास के मामले में कुछ खास कर पाए हैं। परगट को भी पता है कि उनके हलके का विकास नहीं हो पा रहा है। उन्होंने पूर्व चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार की दखलंदाजी के बाद कुछ काम करवाए थे। उन्हें पता है कि अगर उन्हें मंत्री बना दिया जाता है तो आने वाले तीन चार महीनों में अपना कद और बड़ा करके जालंधर में अपने विरोधियों को काफी हद तक दबा लेंगे।

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