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अस्पताल की लापरवाही : झगड़ों में घायलों के साथ रखे टीबी मरीज

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से स्वस्थ मरीजों पर भी टीबी के बादल मंडरा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 09:53 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 06:06 AM (IST)
अस्पताल की लापरवाही : झगड़ों में घायलों के साथ रखे टीबी मरीज
अस्पताल की लापरवाही : झगड़ों में घायलों के साथ रखे टीबी मरीज

जागरण संवाददाता, जालंधर : सिविल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से स्वस्थ मरीजों पर भी टीबी के बादल मंडरा रहे हैं। एक तरफ विभाग टीबी के मरीजों की संख्या को कम करने के लिए जागरूरकता अभियान चला रहा है वहीं विभाग के अधिकारी नीतियों की जमकर धज्जियां उड़ा रहे। अस्पताल में लड़ाई झगड़े की वजह से मेडिको लीगल केसों (एमएलसी) के वार्ड में टीबी के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। टीबी का एक लाइलाज मरीज साल में दस नए मरीजों को टीबी का शिकार बना रहा है। अस्पताल प्रशासन स्टाफ की कमी बताकर स्वस्थ लोगों की जिदगी दांव पर लगा रहा है।

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अस्पताल प्रशासन ने डेंगू के सीजन में स्टाफ की कमी के चलते टीबी वार्ड बंद करके मरीजों को एमएलसी वार्ड में शिफ्ट कर दिया था। डेंगू का सीजन खत्म हुए दो सप्ताह बीत चुके हैं और टीबी के मरीजों को उनके वार्ड में शिफ्ट नहीं किया गया है। एमएलसी वार्ड में लड़ाई झगड़ों में घायल मरीजों को इलाज के लिए रखा गया है। वहीं, इसी वार्ड में एक तरफ टीबी के मरीजों को रखा गया है। टीबी रोगी के परिजन मास्क पहनकर उनके पास रह रहे हैं औ घायल मरीज बिना मास्क के बीमारी होने का इंतजार कर रहे हैं। वार्ड में टीबी के चार और एमएलसी के दो मरीज व उनके परिजन हैं। इसी वार्ड में कैदियों को भी रखने की व्यवस्था है। कैदियों के लिए तैनात पुलिस के जवान भी टीबी के मरीजों की वजह से ज्यादातर समय बरामदे में ही काटते हैं।

इस बारे में अस्पताल के एमएसओ डॉ. चन्नजीव सिंह का कहना है कि डेंगू के सीजन में स्टाफ की कमी से टीबी के मरीजों को एमएलसी वार्ड में शिफ्ट किया गया था। स्टाफ की कमी बरकरार होने से दोबारा शिफ्ट ही नहीं पाए। इन्हें आईसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।


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