अकाली-भाजपा गठबंधन की 2002 जैसी करारी हार
जागरण संवाददाता, जालंधर : एनडीए को इस बार नगर निगम चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा।
जागरण संवाददाता, जालंधर : एनडीए को इस बार नगर निगम चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा। अकाली-भाजपा गठबंधन केवल 15 प्रतिशत सीटें ही ले पाया। 15 साल पहले भी उसे इतनी ही सीटें मिली थीं। अजब इत्तेफाक है कि तब भी सूबे में कैप्टन अमरिंदर सिंह सीएम थे और अब भी अमरिंदर ही सीएम हैं।
भाजपा इस बार कुल 80 सीटों में से केवल आठ (दस प्रतिशत) और अकाली दल केवल चार (पांच प्रतिशत) ही ले पाया जबकि 2002 में भी तब कुल 60 वार्डो में से भाजपा को छह (दस प्रतिशत) व अकाली दल (पांच प्रतिशत) को तीन सीटों से सब्र करना पड़ा था।
इस बार बही कांग्रेस की आंधी में भाजपा के धुरंधर रवि महेंद्रू और कृष्ण कोछड़ मिंटा को हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि भाजपा के मनजिंदर चट्ठा और अकाली दल के पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया की पत्नी जसपाल कौर भाटिया उल्टी हवा के बावजूद जीतने में कामयाब रहे।
भाजपा व शिअद के जिला जालंधर शहरी प्रधानों ने दैनिक जागरण से अलग-अलग बातचीत में जनता के फतवे को तो कबूल किया लेकिन साथ ही कहा कि काग्रेस ने धक्केशाही भी खूब की। भाजपा प्रधान रमेश शर्मा ने हार की जल्द समीक्षा की बात कही, जबकि अकाली दल के शहरी प्रधान कुलवंत सिंह मन्न ने कहा कि काग्रेस की फैलाई दहशत के चलते हमारे ज्यादातर वोटर वोट डालने नहीं आए, इसी कारण वोट प्रतिशत भी कम रहा।
पिछली बार 2012 में कुल 60 वार्डों में से 38 वाडरें पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा ने 19 सीटें जीती थीं जबकि इस बार कुल 80 वाडरें में से 51 सीटों पर लड़ते हुए आठ सीटें भाजपा जीत पाई। इसी तरह पिछली बार कुल 60 सीटों में से अकाली दल 22 सीटों पर लड़ 11 सीटों पर विजयी रहा था, जबकि इस बार कुल 80 सीटों में से 39 पर अकाली दल ने अपने प्रत्याशी खड़े किए थे जिसमें से चार सीटों पर हमारे प्रत्याशी जीते।
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साल भाजपा अकाली दल
1997 12 10
2002 6 3
2007 22 13
2012 19 11
2012 8 4