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नवांशहर को 4 साल में काउ सेस के मिले 50 लाख रुपये, फिर भी सड़कों पर अवारा घूम रहे बेसहारा पशु

नगर कौंसिल की ओर से करीब 25 लाख रूपये की राशि गोशालाओं को दी गई है। कभी-कभी बिजली विभाग व आबकारी विभाग गो सेस प्राप्त कर नगर कौंसिल को प्रदान करता है। इन विभागों की ओर से नियमित तौर पर यह पैसा नगर कौंसिल को नहीं दिया जा रहा है।

By DeepikaEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 02:46 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 02:46 PM (IST)
नवांशहर को 4 साल में काउ सेस के मिले 50 लाख रुपये, फिर भी सड़कों पर अवारा घूम रहे बेसहारा पशु
शहर में बेसहारा जानवर सड़कों पर घूमते हुए। (सांकेतिक)

सुशील पांडे, नवांशहरः नगर कौंसिल की ओर से बेशक गो सेस के तौर पर हर वर्ष लाखों रूपये जमा किए जाते हैं पर यह पैसा शहर की सड़कों पर बेसहारा घूम रही गायों व गौवंशों के रख-रखाव पर खर्च ही नहीं किया जा रहा है। शहर में बेसहारा जानवर आम घूमते देखे जा सकते हैं। नगर कौंसिल को हर वर्ष करीब एक लाख रूपये गो सेस के तौर पर प्राप्त होते हैं। पिछले 4 वर्षों में करीब 50 लाख रूपये की रकम नगर कौंसिल को प्राप्त हुई है।

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नगर कौंसिल की ओर से करीब 25 लाख रूपये की राशि गोशालाओं को दी गई है। इसके अलावा कभी-कभी बिजली विभाग व आबकारी विभाग गो सेस प्राप्त कर नगर कौंसिल को प्रदान करता है। इन विभागों की ओर से नियमित तौर पर यह पैसा नगर कौंसिल को नहीं दिया जा रहा है। शहर में बेसहारा पशुओं को पकड़कर उन्हें गोशाला में रखने और उनकी देखभाल और खानपान के लिए पैसे एकत्र करने को लेकर पंजाब सरकार ने साल 2009-10 में एक विशेष टैक्स (गो सेस) शुरू किया था।

शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या बरकरार

वहीं नवांशहर नगर कौंसिल की तरफ से यह सेस वर्ष 2018 से ही लेना शुरू कर दिया गया था। यह सेस तेल, बिजली, प्रापर्टी टैक्स, शराब, सीमेंट, मैरिज पैलेस व दो और चार पहिया वाहनों पर भी लगाया गया था। इस गो सेस का मकसद सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं को पकड़कर उन्हें गोशाला में रखना था। नवांशहर नगर कौंसिल पिछले 4 वर्षों में 50 लाख रूपये से ज्यादा गो सेस जमा कर चुका है। इसके बावजूद भी शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या खत्म नहीं हो रही है।

नगर कौंसिल के पास बेसहारा, घायल और बीमार पशुओं के इलाज करवाने का भी कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। घायल और बीमार पशुओं को अस्पताल लेकर जाने के लिए कौंसिल के पास कोई भी गाड़ी या एंबुलेंस तक नहीं है। लोगों को अपने खर्च पर या किसी एनजीओ के माध्यम से घायल व बीमार पशुओं को इलाज करवाना पड़ता है, जबकि इन सब बेसहारा घायल और बीमार पशुओं के इलाज करवाने की जिम्मेदारी भी नगर कौंसिल की है।

समय-समय पर निगम अधिकारियों की तरफ से बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने और इनका कोई हल करने के बड़े-बड़े दावे किए जाते है और बड़ी-बड़ी योजनाएं भी बनाई जाती हैं, लेकिन वह सिर्फ हवा बातें साबित होकर रह जाती है। इस बारे में नगर कौंसिल के अध्यक्ष सचिन दीवान का कहना है कि जब भी गौशालाओं को गो सेस का पैसा दिया जाता है तो उनको कहा जाता है कि वो शहर में बेसहारा घूम रहे पशूओं के रख रखाव पर भी ध्यान दें।

नगर कौंसिल की ओर वसूला जाने वाला काउ सेस

आइटम सेस (रुपये में)

तेल टेंकर प्रति चक्कर 100

शराब अंग्रेजी प्रति बोतल 10

शराब देसी प्रति बोतल 5

सीमेंट प्रति बैग 1

बिजली प्रति यूनिट 2

मैरिज पैलेस एसी प्रति फंक्शन 1,000

मैरिज पैलेस नान एसी प्रति फंक्शन 500

चार पहिया वाहन प्रति वाहन 1,000

दो पहिया वाहन प्रति वाहन 200


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