नैचुरल टैलेंट और चींटियों ने बना दिया था भज्जी का करियर, बल्लेबाज बनने आए थे बन गए स्पिनर
हरभजन सिंह ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया है लेकिन आपको पता है एक मध्यमवर्गीय परिवार से आए हरभजन ने कितना संघर्ष किया। जालंधर से निकले भज्जी अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमके। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी के बारे में...
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। क्रिकेटर हरभजन सिंह ने हर प्रकार के क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा शुक्रवार को दोपहर में इंटरनेट मीडिया पर की है। जालंधर स्थित अपने आवास में मां का आशीर्वाद लेने के बाद उन्होंने यह घोषणा की। क्रिकेट जगत में टर्बनेटर के नाम से जाने जाते हरभजन सिंह उर्फ भज्जी ने 23 साल भारतीय क्रिकेट को दिए और दूसरा से लेकर अपनी गेंदबाजी ही नहीं, बल्कि बल्लेबाजी के जौहर भी कई मौकों पर दिखाए। उनके संन्यास लेने की घोषणा के बाद दैनिक जागरण ने उनके जीवन से जुड़े विभिनिन अनछुए पहलुओं पर नजर डाली।
कहावत है पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं। क्रिकेटर हरभजन सिंह उर्फ भज्जी उर्फ टर्बनेटर पर यह कहावत एकदम फिट बैठती है। जालंधर रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर की टूरी पर निम्न मध्यमवर्गीय लोगों की कालोनी दौलत पुरी निवासी सरदार सरदेव सिंह के घर जब 3 जुलाई 1980 में लड़के ने जन्म लिया तो वाल बेयरिंग तथा वाल्व का निर्माण व कारोबार करने वाले सरदेव को अहसास हो गया था कि इसने अपने परिवार का नाम दुनिया में रोशन करना है।
स्कूल से भाग कर कपड़े धोने वाली थापी (लकड़ी का छोटा बैट) से भज्जी गली में बच्चों के साथ क्रिकेट खेलना ज्यादा पसंद करते थे। उस समय भज्जी को घर से खेलने के लिए डांट ही मिलती थी, लेकिन भज्जी ने अपने अभिभावकों सहित उन तमाम अभिभावकों द्वारा बच्चों को सुनाई जाने वाली कहावत ..पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब,खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब.. को महज 14 साल की उम्र में गलत साबित कर दिया।
दोस्तों के साथ हरभजन सिंह। फाइल फोटो
उन्होंने इसी उम्र में जालंधर की तरफ से पटियाला के मैदान में खेलते हुए अमृतसर के खिलाफ दो पारियों में 15 विकेट झटक कर दावा ठोंक दिया था कि अब वह रुकने वाले नहीं है। उनकी इस सफतला के पीचे उनके नेचुरल टैलेंट के साथ चींटियों का भारी योगदान था। पिच का दौरा करके उनके कोच दविंदर अरोड़ा ने जब एक जगह पर पीली मिट्टी देखी तो भज्जी को इशारा किया। भज्जी समझ गए पीली मिट्टी का मतलब वहां पर चीटिंयों ने घर बनाने की कोशिश की है और मिट्टी नीचे से पोली होगी, आफ स्पिनर के लिए ऐसा स्पाट भगवान के वरदान से कम नहीं होता है। इसी स्पाट और भज्जी की घूमती गेंदों ने उन्हें 15 विकेट दिला दिए थे। यही थी भज्जी की पहली शुरूआत।
इसके बाद क्रिकेटरों की सफलता की दूसरी सीढ़ी कटोच शील्ड प्रतियोगिता में अंडर 15 की टीम में भज्जी ने जालंधर से जगह बनाई और चंडीगढ़ में आयोजित मैच में फिर तीन विकेट झटके।इस मैच में भज्जी के सामने युवराज सिंह जैसे दिग्गज बल्लेबाज थे, लेकिन भज्जी ने किसी को अपने सामने टिकने नहीं दिया। यहां तक पहुंचते-पहुंचते भज्जी रेलवे के ग्राउंड से निकलकर जालंधर के बर्लटन पार्क क्रिकेट स्टेडियम में प्रैक्टिस करने पहुंच चुके थे। वहां भज्जी पर तत्कालीन सचिव सुरजीत राय बिट्टा व राकेश राठौर नी नजर पड़ी तो भज्जी का खेल और चमक उठा।
क्रिकेट टीम के साथ भज्जी। फाइल फोटो
भज्जी के पूर्व कोच दविंदर अरोड़ा बताते हैं दिल से भज्जी एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन खिलाड़ी के तौर पर उनकी मेहनत ने उन्हें आगे बढ़ाया। रोजाना सुबह पांच से सात बजे तक स्टेडियम में पैक्टिस करने के बाद दोपहर में फिर 11 से 2 बजे तक प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाते थे। दो घंटे के आराम के बाद फिर शाम को 4 से 6 बजे तक भज्जी स्टेडियम में प्रैक्टिस करते थे। शुरुआती दौर में भज्जी बल्लेबाज बनने आए थे। कोच ने एक दिन उनके हाथों में गेंद पकड़ाई और उनके हाथों ने निकली गेंद में नेचुरल स्पिन देखकर अरोड़ा खुद हैरान हो गए। फिर भज्जी की बल्लेबाजी छुड़वाकर उन्होंने गेंदबाजी शुरू करवा दी। इसे लेकर भज्जी कुछ समय नाराज भी रहे, लेकिन कुछ सालों में ही सही गाइडेंस और भज्जी की मेहनत ने उन्हें क्रिकेट के शिखर तक पहुंचा दिया था।
पिता की मौत के बाद परिवार को बोझ खुद उठाया, पांच बहनों की शादी की
भज्जी के पिता सरदेव सिंह की मौत 2000 में हुई थी। उस समय भज्जी का राष्ट्रीय क्रिकेट करियर शुरू ही हुआ था, लेकिन भज्जी ने अपने कदम नहीं रोके और घर के मुखिया की जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने पांचों बहनों की शादी की और उसके बाद अपनी शादी की। फिल्म अभिनेत्री गीता बसरा के साथ शादी भी उन्हें लव अफेयर होने कई साल बाद इसीलिए की क्योंकि पहले वह परिवार में मुखिया की जिम्मेवारी से मुक्त होना चाहते थे।
कोरोना काल में 20 हजार लोगों को राशन किटें वितरित करवाईं
भज्जी ने कोरोना काल में जब हर तरफ कोहराम मचा था तो उस दौर में जालंधर के 20 हजार परिवारों को राशनकिटें मुहैया करवाईं। एक टीम लगाकर उन्होंने जालंधर में रह रहे गरीहबों व दिहाड़ीदार मजदूरों को राशन उपलब्ध करवाया। इतना ही नहीं अस्पतालों में सैकड़ों मेडिकल किटें और कोरोना किटों का वितरण भी भज्जी ने करवाया। फेश शील्ड से लेकर दवाइयों तक का वितरण भी उन्होंने इसी दौरान करवाया।
सिद्धू के साथ भज्जी। फाइल फोटो
अनाथ आश्रम में जाकर मनाते हैं अपना जन्म दिवस
भज्जी हर साल अपने जन्म दिवस के मौके पर जब भी जालंधर में होते हैं या किसी और शहर में तो वहां के अनाथ आश्रम में या बुजुर्ग आश्रम में जाकर भज्जी वहां के सदस्यों के साथ जन्म दिन मनाते हैं। इस दौरान उनकी मां अवार कौर तथा परिवार के अन्य सदस्य भी होते हैं। जालंधर में उन्होंने 2001 से यह सिलसिला शुरू किया और आज तक उनका यह सिलसिला जारी है। अब तो उनके जन्म दिन से पहले अनाथ आश्रम व बुजुर्ग आश्रम में रहे वाले सदस्य उन्हें जन्म दिन की शुभकामनाएं भी पहले ही भेजने लगे हैं।
मां के साथ हरभजन सिंह। फाइल फोटो
उसने एक अच्छा बेटा होकर दिखाया, वो मेरी ही नहीं पंजाब का बेटा हैःअवतार कौर
खुशी के आंसुओं से डूबी नम आंखों के साथ भज्जी की मां अवतार कौर कहती हैं कि भज्जी ने हमेशा एक अच्छा बेटा होकर दिखाया है। हमने कभी भी उसे कुछ करने से रोका नहीं। बल्कि उसने जो कहा हमने करने दिया। उसने हमेशा अच्छा परिणाम दिया, जिससे हमें फख्र हो। भज्जी मेरा ही नहीं पूरा पंजाब का बेटा है। उसने जालंधर व पंजाब तथा अपने परिवार का नाम देश भर मेें रोशन किय़ा है। हमेशा खुश रहता है और कुछ न कुछ नया करने के बारे में सोचता रहता है। वह आगे भी जो करेगा अच्छा ही करेगा। मेरी दुआएं हमेशा उसके साथ हैं।
संन्यास के बाद और भी फिल्मों में काम करने की तैयारी
भज्जी ने संन्यास लेने से पहले ही फिल्मी दुनिया में अपने करियर की संभानाएं तलाश ली हैं। उन्होंने अभी तक पांच हिंदी व पंजाबी तमिल फिल्मों में अभिनय भी किया है। इनमें मुझसे शादी करोगी,भज्जी इन प्राबलम,सेकेंड हैंड हसबैंड, डिकोलूना व फ्रेंडशिप फिल्में शामिल में। उन्हें तमिल फिल्मों से अच्छा आफर भी मिल रहा है। इ अलावा उन्होंने कुछ पंजाबी गीतों के एलबम में भी अभियन करने की तैयारी कर रखी है।
शानदार प्रदर्शन से हमेशा चौंकाया
- आस्ट्रेलिया के मैदान में उसी की टीम के खिलाफ खेलते हुए हैट्रिक बनाने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने। तीन टेस्ट मैचों की सिरीज में भज्जी ने 32 विकेट हासिल किए थे
- पंजाब से खेलते हुए अंडर 16 की टीम से सात विकेट हासिल किए। इसी प्रतियोगिता में हरियाणा के खिलाफ 5 विकेट हासिल किए
- इसी प्रतियोगिता में पंजाब से खेलते हुए भज्जी ने हिमाचल के खिलाफ 11 विकेट हासिल किए
- आस्ट्रेलिया टीम के पूर्व कप्तान रिक्की पोटिंग को सबसे ज्यादा बार आउट किया। 50 वें विकट का लक्ष्य, 250 वें विकेट का लक्ष्य फिर 300 वें विकेट का लक्ष्य भज्जी ने पोटिंग को आउट करके पूरा किया
- 130 टेस्ट में मेचौं में 2224 रन व 417 विकेट हासिल किए
- 236 वन डे में 1237 रन व 269 विकेट हासिल किए
- 108 टी-20 मैचों में 108 रन व 25 विकेट हासिल किए