बाढ़ पीड़ित क्षेत्र से चला नगर कीर्तन सुल्तानपुर लोधी पहुंचा
गांवों से चला नगर कीर्तन बाबे की नगरी सुल्तानपुर लोधी पहुंचा।
संवाद सूत्र, शाहकोट : पंजाब में सबसे ज्यादा बाढ़ का दंश झेलने वाले गांव जाणीया चाहल व आसपास के गांवों से चला नगर कीर्तन बाबे की नगरी सुल्तानपुर लोधी पहुंचा। गुरुद्वारा बेर साहिब से होते हुए यह नगर कीर्तन पवित्र बेईं किनारे से होते हुए निर्मल कुटिया जाकर संपन्न हुआ। नगर कीर्तन की अगुवाई कर रहे पांच प्यारों के साथ संत बाबा सीचेवाल भी चल रहे थे।
सुल्तानपुर लोधी में दाखिल हुआ यह नगर कीर्तन गुरुद्वारा बेबे नानकी, गुरुद्वारा हट साहिब और गुरुद्वारा बेर साहिब से होता हुआ तलवंडी चौधरियां के पुल से बेई के किनारों से होते हुए निर्मल कुटिया पहुंचा। गांव जाणीया चाहल के गुरु घर में शुक्रराने के लिए रखे गए श्री अखंड पाठ साहिब के भोग डाले गए। नगर कीर्तन चक वडाला, मेहराजवाला, गट्टा मुंडी कासू, भानेवाल, लखू दिया छन्ना, मुंडी चोलिया, नल, मानक, वाड़ा योद्ध सिंह, सुचेतगढ़, जब्बोंवाल और सद्दूवाल से होते हुए सुल्तानपुर लोधी पहुंचा। वातावरण प्रेमी पदम श्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि इन गांवों में बाढ़ के साथ किसानों की सौ फीसद फसल तबाह हो गई थी। इस छठे नगर कीर्तन के दौरान जहां संत सीचेवाल ने बाबे नानक की शिक्षाओं का बखान किया वहीं उन्होंने बताया कि बाढ़ के साथ जो भारी तबाही इन गांव में हुई थी उसमें से उभरने के लिए श्री गुरु नानक देव जी की ओर से दिए किरत करो, नाम जपो वड छको के सिद्धांत ने ही पीड़ित क्षेत्र में चढ़ती कला बरताई थी। श्री गुरु नानक देव जी ने 500 वर्ष पहले जो किरत करो का संदेश दिया था उसने ही पीड़ित लोगों को बचाया और सरबत के भले को रूप मान किया था। इस मौके पर जाणीया चाहल से मेजर सिंह, बलकार सिंह, मनदीप सिंह, गुरमेल सिंह, हरजीत सिंह, गट्टी पीर बख्श के सरपंच सुखविदर सिंह, मेहराजवाला के सरपंच कुलवंत सिंह, हरबंस सिंह, जोगिदर सिंह, गुरमेल सिंह, सुरजीत सिंह शंटी तथा और सेवादार भी उपस्थित थे।