निगम कंगाल, मुलाजिम बेहाल, जीएसटी पर वेतन का दारोमदार
वित्तीय संकट से जूझ रहे नगर निगम की तंगहाली दूर करने को अब रिकवरी पर जोर दिया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
वित्तीय संकट से जूझ रहे नगर निगम की तंगहाली दूर करने को अब रिकवरी पर जोर दिया जा रहा है। आलम यह है कि जीएसटी की किश्त नहीं तो मुलाजिमों का वेतन भी नहीं। इसके बावजूद अफसरशाही के लापरवाह रवैये के चलते बीते वित्त वर्ष कोई भी विभाग टैक्स रिकवरी का टारगेट पूरा नहीं कर पाया था। जबकि मुलाजिमों को समय पर वेतन न मिलने के चलते कर्मचारियों ने हड़ताल भी की, पर इसका भी अफसरशाही पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा।
निगम के आर्थिक हालात पर कमिश्नर बसंत गर्ग का कहना है कि प्रशासन इन परिस्थितियों से पार पाने के लिए कई अहम कदम उठा रहा है। सभी विभागों के अधिकारियों को फील्ड स्टाफ से प्रतिदिन की जाने वाली रिकवरी की डाटा रिपोर्ट लेने के निर्देश दिए गए हैं। सभी विभागों को प्रतिदिन रिपोर्ट सौंपने के साथ ही हर सप्ताह कंपाइल रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। गर्ग के अनुसार रिकवरी टारगेट पूरे न करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। विज्ञापन नीति से 15 करोड़ से ज्यादा इनकम की उम्मीद
कमिश्नर ने उम्मीद जताई कि जल्द ही विज्ञापन नीति लागू होगी। इससे सालाना 15 करोड से ज्यादा की आमदनी होगी। जीआइएस सर्वे में मिले आंकड़ों से भी निगम के खजाने को बड़ा लाभ होने की संभावना है। इस पर काम शुरू कर दिया गया है। अकाउंट्स विभाग के सूत्रों की मानें तो निगम की मासिक आय से मुश्किल से बिजली और फ्यूल के बिलों का भुगतान व रूटीन के कुछ खर्चे ही पूरे हो पाते हैं। निगम पर भी है करोड़ों की देनदारी
शहर में सड़कों की सफाई में लगीं रोड स्वी¨पग मशीनों का संचालन करने वाली कंपनी का निगम पर करीब ढाई करोड़ रुपये बकाया है। सूत्रों के मुताबिक अन्य ठेकेदारों और सुपर सक्शन मशीन संचालित करने वाली कंपनियों की भी निगम पर 20 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है। वरियाना डंप में दो बुलडोजर चला रही कंपनी का भी निगम पर करीब 1 करोड़ रुपये बकाया है। बैंक ने भी गारंटी देने से कर दिया था इनकार
नगर निगम की खस्ता आर्थिक स्थिति का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते साल चंडीगढ़ की एक कंपनी के साथ निगम प्रशासन ने शहर में 65 हजार सोडियम स्ट्रीट लाइट्स को एलईडी में बदलने का कांट्रैक्ट हुआ था। कंपनी के साथ समझौते के तहत निगम को कंपनी को बैंक से साढ़े चार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दिलानी थी। पंजाब नेशनल बैंक में निगम का खाता होने के बावजूद बैंक प्रबंधन ने कंपनी को निगम की साढ़े चार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने से इनकार कर दिया था।
वित्त वर्ष 2017-18 को लेखा जोखा
विभाग टारगेट रिकवरी
- सीवरेज व वाटर सप्लाई 35 करोड़ मात्र 24 करोड़ की
- प्रॉपर्टी टैक्स विभाग 32 करोड़ साढ़े 23 करोड की
- बिल्डिंग ब्रांच 32 करोड़ सिर्फ 21 करोड़ की