जालंधर में है पर्यटन का खजाना, यहां आएं तो इन स्थानों पर जरूर घूमने जाएं
जालंधर में भले ही तमाम ऐतिहासिक धरोहरें जमींदोज हो चुकी हैं लेकिन श्री देवी तालाब मंदिर भैरों मंदिर सहित तल्हण साहिब गुरुद्वारा और नूरमहल की सराय आज भी मौजूद हैं।
जालंधर, जेएनएन। क्या आपको भी लगता है कि जालंधर में सैर-सपाटे के लिए ज्यादा कुछ नहीं? आपके घर कोई मेहमान आए तो क्या सोच में पड़ जाते हैं कि इन्हें कहां घूमाया जाए? ऐसा है तो सात हजार साल पुराने इस शहर की समृद्ध धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ आज आपको कुछ अन्य शहर व आस-पास के आकर्षणों के बारे में भी बताते हैं।
जालंधर में धार्मिक मान्यताओं को मानने वालों के लिए घूमने व जानने के कई स्थान हैं। चंडीगढ़ से पहले पंजाब की सियासी राजधानी के रूप में अपनी पहचान रखने वाले जालंधर में भले ही तमाम ऐतिहासिक धरोहरें रख-रखाव के आभाव में जमींदोज हो चुकी हैं, लेकिन श्री देवी तालाब मंदिर, भैरों मंदिर, सहित तल्हण साहिब गुरुद्वारा और नूरमहल की सराय आदि प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल आज भी मौजूद हैं।
शहर में ही घूमने के लिए आपको कम से कम पूरा एक दिन का समय चाहिए। अगर आप धर्मिक प्रवृति के हैं और शुरुआत मंदिर में माथा टेकना चाहते हैं तो आप श्री देवी तालाब मंदिर जा सकते हैं। यहां कार, ऑटो या टैक्सी से पहुंचा जा सकता हैं। वहां मंदिर देखने के बाद आप पास ही स्थित सती माता के मंदिर और फिर दो किलोमीटर दूर स्थित श्री सिद्ध बाबा सोढल का मंदिर देख सकते हैं। इन तीनों स्थलों को घूमने के लिए आपको कम से कम पांच घंटे का समय लगेगा।
इसके अलावा आप भैरों बाजार स्थित ऐतिहासिक भैरों मंदिर भी देख सकते हैं। यह देवी तालाब से एक किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन तंग बाजार में होने के कारण कार पर यहां जाना मुश्किल है। यहां सुबह-सुबह जाना ही सही रहेगा। यहां से लौटते हुए इमाम नासिर मसजिद देख सकते हैं और शाम में आप जालंधर कैंट की ओर तल्हन साहिब गुरुद्वारा व पौराणिक सेंट मैरी कैथीड्रल देख सकते हैं।
श्री देवी तालाब मंदिर
जालंधर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से श्री देवी तालाब मंदिर का मुख्य स्थान है। यहां पर हर समय श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है। खासकर नवरात्रि और दिसंबर के महीनों में। सैकड़ों साल पुराना यह मंदिर लगभग 32 एकड़ में फैला हुआ है। भारत के 51 शक्तिपीठों में से यह एक है। इसका इतिहास माता सती से जुड़ा है।
कहा जाता है कि पिता दक्ष के द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर माता सती ने आत्मदाह कर लिया। जब भगवान शिव को यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हो गए और सती का पार्थिव शरीर उठाकर तांडव करने लगे और अपनी तीसरी आंख भी खोल ली। इसलिए भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए, वे 51 टुकड़े पृथ्वी पर गिरे। जहां-जहां ये टुकड़े गिरे वहां शक्ति पीठ स्थापित हुए। मान्यता है कि जहां माता सती का दाहिना स्तन गिरा था, माता त्रिपुरमालिनी मंदिर उसी स्थान को दर्शाता है।
बाबा सोढ़ल मंदिर
जालंधर स्थित बाबा सोढल मंदिर में दूग्ध अभिषेक करते हुए एक श्रद्धालु।
यह मंदिर जालंधर के पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां सितंबर में अनंत चतुदर्शी को भव्य मेला लगता है, जिसमें बहुत दूर-दूर से लोग बाबा सोढ़ल महाराज जी का दर्शन करने आते हैं। सोढल बाबा को भक्तों द्वारा चढ़ाए गए दूध से वहां बना तालाब भर जाता है। इसी के छींटों को बाबा के आशीर्वाद के रूप में लोग ग्रहण करते हैं।
सेंट मैरी कैथीड्रल
यह चर्च जालंधर छावनी के माल रोड पर स्थित है। इस चर्च का उद्घाटन 19 अक्टूबर 1849 को दिवाली के दिन किया गया था। इससे पहले 1847 में सेंट पैट्रिक नाम का चर्च बनाया गया, जो कि धर्मनिरपेक्षता का विरोध करने वाले दंगों के बीच ध्वस्त हो गया था। यह चर्च सुगंधित फूलों, बगीचों और रोजरी बिला नामक गैलरी से सुसज्जित है।
इमाम नासिर मस्जिद
यह एक प्राचीन मस्जिद है। इसमें लगभग 800 साल पुरानी एक दरगाह है। कहा जाता है कि संत बाबा फरीद ने इसका दौरा किया था। यहां पर एक वर्षों पुरानी जामा मस्जिद भी है, जो कि देखने लायक है। जालंधर से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नकोदर में आप विश्व प्रसिद्ध सूफी संत लाडी शाह की मजार के दर्शन कर सकते हैं, जिसे मुराद शाह की मजार भी कहा जाता है।
जहाज वाला तल्हण साहिब गुरुद्वारा
यह गुरुद्वारा लगभग 150 साल पुराना है। यह गुरुद्वारा शहीद बाबा निहाल सिंह को समर्पित है। इसे जहाजों वाला गुरुद्वारा भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर विदेश जाने की कामना कर के श्रद्धालु जहाज (खिलौना) चढ़ा कर मन्नत मांगते हैं। लोगों का यह विश्वास है कि ऐसा करने से उनकी विदेश जाने की मुराद पूरी हो जाती है। हर रविवार को काफी संख्या में जहाज चढ़ाए जाते हैं।
जंग-ए- आजादी मेमोरियल
करतारपुर स्थिति जंग-ए-आजादी मेमोरियल भी जालंधर में एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
जालंधर के आसपास ऐतिहासिक धरोहरें भी हैं लेकिन यदि इतिहास में आपकी रूचि है तो सबसे पहले जाएं करतारपुर के पास स्थित जंग-ए-आजादी मेमोरियल देखने। 2013 में जालंधर-अमृतसर रोड पर जालंधर से 20 किलोमीटर दूर बने इस आधुनिक संग्रहालय को देखने के लिए आपको कम से कम तीन घंटे चाहिए। बच्चों के साथ आप यहां आजादी की लड़ाई से संबंधित तमाम जानकारियां आडियो विजुअल इफेक्ट्स के साथ हासिल कर सकते हैं।
उस्ताद व शागिर्द के मकबरे
नकोदर में बाबा मुराद शाह की मजार से दो किलोमीटर दूर नकोदर की कचहरी के पास स्थित 17वीं शताब्दी में निर्मित उस्ताद व शागिर्द के मकबरे को देख सकते हैं। इनका निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था। उस्ताद मकबरा मुहम्मद मोमिन हुसैनी का है, जो अपने समय में एक बहुत बड़े संगीतकार और रईस थे। शागिर्द हाजी जमाल का मकबरा है। ये मोमिन हुसैनी के शागिर्द थे। एक बहुत ही खूबसूरत बागीचे के बीच इन दोनों कमरों का निर्माण किया गया है।
नूरमहल सराय
यहां से आप निकलकर नूरमहल रोड पर चलें और 25 किलोमीटर दूर स्थित नूरमहल की प्रसिद्ध सराय को देखें। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में नूरजहां के आदेश पर करवाया गया था। ईरान, अफगानिस्तान और लाहौर सहित उस तरफ से तमाम स्थानों से दिल्ली तक व्यापार के लिए जाने वाले व्यापारी इसी रूट का इस्मेमाल करते थे। यह सराय भी उन्हीं के विश्राम के लिए बनाई गई थी। यहां से आप रुड़का कलां होते हुए फिल्लौर मार्ग को पकड़ें और रुड़का कलां की फुटबाल एकेडमी देखते हुए आप फिल्लौर में स्थित किले को देखने जा सकते हैं या वापस जालंधर लौट सकते हैं। अगर फिल्लौर जाते हैं तो वहां सतलुज दरिया व किले के अलावा ओम जय जगदीश हरे के रचयिता श्रद्धाराम फिल्लौरी की यादगार देखी जा सकती है।
फिल्लौर का किला
इस किले को दो नामों से जाना जाता है। फिल्लौर का किला और महाराजा रणजीत सिंह का किला। यह फिल्लौर में जीटी रोड पर बना है। इसको अब पुलिस लाइन के हवाले कर दिया गया है। इसका निर्माण शाहजहां के शासन काल के समय सन 1628 से 1658 में किया गया था। बाद में सन 1831 में महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल में इसे किले में तब्दील कर दिया गया। यह भी एक घूमने लायक स्थल है। यदि आप जालंधर कैंट घूमने जाएं तो वहां जलियांवाला बाग नरसंहार के दोषी जनरल डायर की कोठी भी देख सकते हैं।
फिल्लौर का किला, यहां वर्तमान में पंजाब पुलिस एकेडमी स्थित है।
पुष्पा गुजराल साइंस सिटी
यदि जालंधर से कपूरथला की ओर जाएं तो रास्ते में ही बच्चों के लिए पुष्पा गुजराल साइंस सिटी में जानकारियों का खजाना आपके मिलेगा। यहां पर आप खुद व बच्चों के साथ घूम सकते हैं और विज्ञान की दुनिया के चमत्कारों से रूबरू हो सकते हैं। आगे कपूरथला में आप मोरक्को की विश्व प्रसिद्ध मीनार-ए-मस्जिद की डिजाइन पर बनी मोरिश मस्जिद देख सकते हैं। महाराजा कपूरथला जगजीत सिंह ने इसका निर्माण 1930 में करवाया था। दो किलोमीटर पर पंचमुखी हनुमान जी के मंदिर भी जा सकते हैं। कपूरथला में स्थित बेहद शानदार आर्किटेक्चर वाले सैनिक स्कूल और कई इमारतों के दर्शन किए जा सकते हैं। वापसी में कपूरथला जालंधर रोड पर स्थित रेल कोच फैक्ट्री भी देखी जा सकती है।
वंडरलैंड थीम पार्क
जालंधर-नकोदर मार्ग पर जालंधर से 12 किलोमीटर दूर स्थित वाटर गेम्स के लिए प्रसिद्ध वंडरलैंड में बच्चों से लेकर बुजुर्ग और नौजवान वर्ग के लोग मनोरंजन करते हैं। यह एक थीम पार्क है, जो कि 11 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। यहां पर पानी की सवारी से लेकर डरावने घर, उड़ते ड्रैगन, रेन डांस फ्लोर, प्ले हाउस, नौकायन आदि शामिल हैं। पर्यटक यहां पर आकर खूब आनंद उठाते हैं।
जालंधर स्थित वंडरलैंड में बड़ी संख्या में शहरवासी घूमने जाते हैं।
हरलीन वाटर फन पार्क
यह पार्क जालंधर के होशियारपुर रोड पर स्थित है। यह पार्क गर्मी से बचने के लिए आए परिवारों, जोड़ों और बच्चों का स्वागत करता है। छह रनों वाला यह पूल मनोरंजन से घिरा हुआ क्षेत्र है। यह महिलाओं और बच्चों के लिए अलग व्यवस्था है।
टीआर एंजॉय वर्ल्ड
मनोरंजन के लिए यह जालंधर का बेहतरीन पार्क है। यहां बच्चों और वयस्कों के लिए पानी की स्लाइड और मनोरंजन का एक खजाना है। इस पार्क की खासियत यह है कि यहां एक फूड कोर्ट है, जहां अच्छा स्नैक्स और पेय पदार्थ मिलते हैं।
निक्कू पार्क
मॉडल टाउन में पिकनिक स्थल के रूप में इस्तेमाल होने वाला यह बेहद ही खूबसूरत और प्रसिद्ध पार्क है। यहां पर बच्चों के लिए अनेक सवारियां हैं। इस पार्क में एक छोटा सा चिड़ियाघर भी है, जिसे देखकर बच्चे अपना मनोरंजन करते हैं। अनेकों प्रकार के झूले भी यहां पर मौजूद हैं। हालांकि इन दिनों विवाद के चलते इसे कुछ समय के लिए बंद किया गया है।
जवाहर पार्क
जालंधर कैंट में आप प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ देश भक्ति से ओतप्रोत भी हो सकते हैं जवाहर पार्क में जाकर। यहां शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की प्रतिमाओं के अलावा टैंक व भारत के स्वतंत्रता संघर्ष से संबंधित और भी कई आकर्षक चीजें प्रदर्शित हैं।
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