दिल्ली में 'आप' की जीत से विधायकों में मची खलबली... और भ्रष्टाचार पर आहलुवालिया का डबल स्टैंडर्ड
तीन साल तक तो विधायक राजनीति और एक-दूसरे के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे रहे। अब चुनाव नजदीक आते देख दोबारा विकास की बातें करने लगे हैं।
जालंधर [जगजीत सुशांत]। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत ने शहर के विधायकों में खलबली मचा दी है। अपना किला डोलता देख विधायक अब अपना गुस्सा नगर निगम पर निकाल रहे हैं। उनकी समझ में आ गया है कि बिना काम किए अगली बार जीत नहीं मिलेगी। इसलिए वे नगर निगम की ओर से करवाए जाने वाले कार्यों पर फोकस करने लगे हैं। विधायकों ने सरकार से मिलने वाले 25-25 करोड़ रुपये के काम के एस्टीमेट बनाने शुरू कर दिए हैं। तीन साल तक तो विधायक राजनीति और एक-दूसरे के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे रहे लेकिन अब वापस विकास पर लौट रहे हैं। अफसरों से हलकों में चल रहे काम की जानकारी ले रहे हैं। काम की भी मॉनिटरिंग की जा रही है। ठेकेदारों पर गुस्सा निकाल रहे हैं। पार्षदों को भी लग रहा है कि विधायकों के जागने से उनके काम भी आसानी से हो सकेंगे। विधायक अब पार्षदों को साथ लेकर निगम के चक्कर लगा रहे हैं।
करप्शन पर डबल स्टैंडर्ड
इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में करप्शन को लेकर चेयरमैन दलजीत सिंह आहलुवालिया का डबल स्टैंडर्ड सामने आया है। चेयरमैन आहलुवालिया ने कई मामलों में फंसे ईओ जतिंदर सिंह को जालंधर ऑफिस में तैनात करवा लिया। इसके लिए सरकार पर दबाव भी बनाया। वहीं, मुलाजिम संजीव कालिया के मामले में उनका रुख अलग है। संजीव कालिया के वापस जालंधर ऑफिस में तबादले पर चेयरमैन नाराज हैं। यह नाराजगी लोकल बॉडी मंत्री को लिखे लेटर में भी सामने आई है। चेयरमैन ने लिखा है कि कालिया पर करप्शन के आरोप हैं। हैरानी की बात यह है कि ईओ जतिंदर सिंह तो कई मामलों में जेल भी जा चुके हैं। ऐसे ट्रस्ट ऑफिस के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में भी चेयरमैन के डबल स्टैंडर्ड की खूब चर्चा है। जतिंदर सिंह हर तरह के काम के माहिर माने जाते हैं और इसलिए ट्रस्ट को उबारने के साथ-साथ चेयरमैन के इंटरेस्ट वॉच करने का भी जिम्मा भी उन्हें दिया गया है।
बेरी के धरने के ठेकेदार
पीएपी चौक से फ्लाईओवर की सर्विस लेन बंद करने के मामले में विधायक राजिंदर बेरी ने बुधवार को धरना दिया था। इसमें उन्हें नगर निगम के कई ठेकेदारों का भी समर्थन मिला। प्रदर्शन के दौरान कई ठेकेदार धरने में बढ़-चढ़कर शामिल हुए और तंबू लगाने से लेकर, पानी की सप्लाई में सहयोग किया। इनमें से कई ठेकेदार अपने काम को लेकर विवाद में भी रहे हैं। पहले ही यह बातें आम हैं कि नगर निगम पर विधायक बेरी का होल्ड है और कई बड़े काम बेरी के करीबियों के पास हैं। इनके काम में गड़बड़ी भी मिली है और चर्चा में रहने के बावजूद नगर निगम अफसर इन पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। विधायक के ठेकेदारों से संबंध अच्छे हैं और कई बार यह संबंध चर्चा में रहे हैं। उनके कुछ रिश्तेदार भी ठेकेदारी करते हैं और उनका तो धरने में शामिल होना तो बनता ही है।
17 लाख की एलईडी से किसका भला
नगर निगम की अमीरी का जवाब नहीं है। खासकर अफसरों के तो ठाठ हैं। इसलिए तो शहर में 17-17 लाख रुपये से एलईडी स्क्रीन लगाने से पहले एक बार सोचा तक नहीं। काम करवाने के लिए परेशान चल रहे मेयर, विधायकों को भी दरकिनार कर दिया गया। कंपनी बाग चौक और मॉडल टाउन में लगाई गई यह एलईडी स्क्रीन लोगों को ट्रैफिक सिस्टम समेत कई मामलों में जागरूक करेगी। निगम ऑफिस ही नहीं शहर के लोगों में भी अब यह चर्चा बन गई है कि भारी भरकम राशि में खरीदी गई यह स्क्रीन शहर को कितना फायदा देगी यह बाद की बात है लेकिन ठेकेदार, अफसर को इसने जरूर फायदा करवाया होगा। निगम रिटायर्ड मुलाजिमों को पेंशन तक नहीं दे पा रहा है। स्ट्रीट लाइट सिस्टम फेल हो चुका है, सीवरेज सिस्टम बिगड़ा है। इसके बावजूद शहर की खूबसूरती बढ़ाने के नाम पर रुपया दोनों हाथों से लुटाया जा रहा है।
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