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संस्मरणः एचएमवी में पांच मिनट में बदल दी थी सुषमा स्वराज ने नई पीढ़ी की सोच! Jalandhar News

वर्ष 2002 में सुषमा जी एचएमवी की एल्मुनी मीट में आईं थीं। तब छात्रओं को उनकी पहली पंक्तियां नागवार गुजरी थीं हालांकि कुछ देर बाद हॉल तालियों से गूंज रहा था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 10:45 AM (IST)
संस्मरणः एचएमवी में पांच मिनट में बदल दी थी सुषमा स्वराज ने नई पीढ़ी की सोच! Jalandhar News
संस्मरणः एचएमवी में पांच मिनट में बदल दी थी सुषमा स्वराज ने नई पीढ़ी की सोच! Jalandhar News

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। मुझे याद है 2002 का वह दिन जब हंसराज महिला महाविद्यालय (एचएमवी) की एलुमनी मीट में सुषमा जी को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था। इसी दिन महाविद्यालय में सालाना पुरस्कार वितरण समारोह भी रखा गया था। अपने संबोधन के पहले वाक्य में सुषमा जी ने महिला सशक्तीकरण को पारंपरिक अंदाज व अपने विचारों के साथ भारतीय संस्कृति में लपेटकर श्रोताओं के सामने यह कहते हुए पेश किया था कि सही मायने में महिला सशक्तीकरण वह है, जिसमें महिलाएं खुद आगे बढ़ें और समाज को भी आगे बढ़ाने में भागीदारी निभाएं। जिस समय सुषमा जी ने यह वाक्य बोला, उस समय सभागार में बैठे हुए सैकड़ों लोग व छात्रएं एकबारगी उनके विचारों से सहमत नजर नहीं आईं।

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पाश्चात्य संस्कृति से लबरेज छात्रओं को सुषमा जी की पहली पंक्तियां नागवार गुजरी थीं, लेकिन पांच मिनट के संबोधन के बाद वहीं छात्रएं तालियां बजाकर सुषमा जी के विचारों को व उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेती हुईं दिखाई दे रही थीं। दोपहर के करीब 1.30 बज रहे थे और सुषमा जी सधे हुए शब्दों में अपनी बातें रख रहीं थीं। सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था।

उनके करीब 25 मिनट के भाषण में सबसे अहम बात यही थी की महिलाएं पहले भी सशक्त थीं आज भी हैं और आगे भी रहेंगी, लेकिन वह तभी तक सशक्त रहेंगी जब तक कि वह अपने अंदर के कुदरती विचारों के साथ समाज को आगे बढ़ाने का काम करेंगी। जिस दिन महिलाएं पुरुष बनकर पुरुषों के स्टाइल में उन्हें पीछे छोड़ने की दौड़ में शामिल हो जाएंगी, उस दिन वह महिला सशक्तीकरण से एक सीढ़ी पीछे होती चली जाएंगी। करीब 25 मिनट के संबोधन के बाद सभागार में मौजूद हंसराज महिला विद्यालय की पूर्व छात्र व तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर सरोजनी गौतम शारदा सबसे पहले सभागार में खड़ी होती हैं और जोरदार अंदाज में उनके विचारों से सहमत होते हुए तालियां बजाती हैं।

वाकई किसी महिला नेत्री या किसी महिला शख्सियत के विचारों के लिए इतने जोरदार अंदाज में सैकड़ों की संख्या में लोगों को हाथ उठाकर और तालियां बजाकर समर्थन करते हुए देखना मेरे लिए कभी न भूल पाने वाला पल था। शायद यही वजह है कि आज जब सुषमा जी के निधन की खबर मिली, तो मैं अपने विचारों को साझा करने से रोक नहीं पाया। हंसराज महिला महाविद्यालय से निकल कर सुषमा जी जालंधर के बल्टर्न पार्क व सुरजीत हॉकी स्टेडियम में चल रहे खेलों के समापन समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचती हैं और युवाओं को जोशीले अंदाज में गगन छू लेने की प्रेरणा देती हैं। फिर थोड़ा समय मीडिया से भी मुखातिब होने के लिए निकालती हैं। उस समय सुषमा जी भाजपा की टिकट वितरण कमेटी की सदस्य भी थीं। तत्कालीन मेयर सुरेश सहगल जालंधर से नॉर्थ हलके से टिकट के सशक्त उम्मीदवार थे।

मीडिया के सामने ही पहलवान नाम से दिल्ली तक प्रसिद्ध मेयर ने जालंधर की आवाज बनकर अपने टिकट की मांग रखी। सुषमा जी ने बहुत ही शालीनता के साथ उनकी मांग को मेरी तरफ मुखातिब होते हुए टाल दिया और आश्वस्त भी कर दिया कि अगर मीडिया उनके कार्यकाल को क्लीन चिट देता है, तो वह जरूर मीडिया की तरफ से यह बात पार्टी तक पहुंचा देंगी। सुषमा जी से बातचीत के दौरान मैंने उनके हरियाणा स्थित गोविंदपुरी इलाके का जिक्र किया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा अब तो आप मीडिया वाले नहीं मेरे भाई हो और खुलकर तमाम सवालों के जवाब दिए और जालंधर और मुझ पर पर अपनी अमिट छाप छोड़ कर रुखसत हो गईं।

सुषमा ने कहा था मां सरस्वती के नाम पर कॉलोनी होना महिलाओं का सम्मान

जालंधर: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की खबर से देश भर में जहां शोक की लहर दौड़ गई, वहीं कपूरथला रोड पर स्थित सरस्वती विहार के निवासी भी सदमे में हैं। कॉलोनी निवासियों को इस बात का मलाल था कि जिस शख्सियत ने इस कॉलोनी को लेकर कभी न भूल सकने वाले अल्फाज कहकर पूरे इलाके का मान बढ़ाया था, आज वह इस दुनिया से रुखसत हो चुकी है। वर्ष 2007 में जब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जालंधर दौरे के दौरान सरस्वती विहार में आना हुआ था तो उस समय के कॉलोनी के प्रधान एनके महेंद्रू के निवास स्थान पर उन्होंने अपने सियासी व सामाजिक अनुभव साझा किए थे।

वर्ष 2007 में सरस्वती विहार में तत्कालीन कॉलोनी प्रधान एनके महेंद्रू के साथ पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज।

महेंद्रू बताते हैं कि उस समय सुषमा स्वराज ने कॉलोनी वासियों के आपसी भाईचारे की सराहना करते हुए कॉलोनी के नाम पर भी अपने कमेंट दिए थे। उनका कहना था कि मां सरस्वती के नाम पर इस कॉलोनी का नामकरण करना महिला सशक्तीकरण का पूरक है। उन्होंने कहा था कि आज किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कम नहीं है। जरूरत है केवल पुरुष प्रधान समाज में संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठने की। महेंद्रू बताते हैं कि कॉलोनी को लेकर सुषमा स्वराज के मुंह से निकले वह अल्फाज कभी भी नहीं भुला सकते। सुषमा स्वराज की प्रतिभा ही थी कि उन्होंने थोड़ी देर में ही सभी का मन जीत लिया था।

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