जिला परिषद चुनावों की भेंट चढ़ी मेगा लोक अदालत
पेंशनर्स के लिए मंगलवार को मेगा लोक अदालत जिला परिषद चुनाव की भेंट चढ़ गई। डिप्टी कमिश्नर व¨रदर कुमार शर्मा लोक अदालत के शुभारंभ के मौके पर पहुंचे, उनके जाते ही केंद्रीय पेंशनार्थियों को ये कहकर लौटा दिया गया कि मेगा अदालत सिर्फ पंजाब सरकार के पेंशनार्थियों के लिए ही है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : पेंशनर्स के लिए मंगलवार को मेगा लोक अदालत जिला परिषद चुनाव की भेंट चढ़ गई। डिप्टी कमिश्नर व¨रदर कुमार शर्मा लोक अदालत के शुभारंभ के मौके पर पहुंचे, उनके जाते ही केंद्रीय पेंशनार्थियों को ये कहकर लौटा दिया गया कि मेगा अदालत सिर्फ पंजाब सरकार के पेंशनार्थियों के लिए ही है। जो पेंशनार्थी पहुंचे भी उनकी समस्या सुनने को संबंधित विभाग के अधिकारी व मुलाजिम ही नहीं थे, सिर्फ उनसे शिकायत का आवेदन लेकर रखकर उन्हें विदा कर दिया। मेगा अदालत में असिस्टेंट कमिश्नर (ग्रीवेंस) शायरी मलहोत्रा, लीड बैंक मैनेजर वतन ¨सह, जिला कल्याण अधिकारी लख¨वदर ¨सह आदि मौजूद थे। केस.1
रा¨जदर पाल शर्मा जून 1993 में फूड एंड सिविल सप्लाई ऑफिस से एकाउंट अफसर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। 30 सितंबर 2016 को हाईकोर्ट की फुल बेंच ने करणवीर वर्सेज पंजाब सरकार के मामले में साल 2006 से पहले सेवानिवृत्त हुए सभी पेंशनार्थियों की पेंशन रिवाइज करने के आदेश पारित किए थे। रा¨जदर पाल को आज तक हाईकोर्ट के फैसले का लाभ नहीं मिला है। वे आदेश आने के बाद से अब तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल रहा है। मंगलवार को मेगा अदालत में उनकी एप्लीकेशन लेकर ये कहकर विदा कर दिया कि आज चुनाव के कारण विभाग के अधिकारी नहीं आए हैं, उन्हें एप्लीकेशन फॉरवर्ड कर दी जाएगी। केस.2
एजूकेशन विभाग से सेवानिवृत्त हुए हरीशपाल 28 फरवरी 2003 को सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद उनकी पेंशन शुरू हो गई थी, कुछ समय बाद पेंशन ये कहकर बंद कर दी गई थी कि उनके खिलाफ विभाग में एक केस चल रहा है, इस कारण अब उन्हें पेंशन नहीं मिलेंगी। केस खत्म हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन हरीशपाल की पेंशन आज तक शुरू नहीं हुई है। मेगा अदालत में शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद न होने के कारण उनका आवेदन असिस्टेंट कमिश्नर (ग्रीवेंस) शायरी मलहोत्रा ने लेकर रख लिया। केस.3
वाॉटर एंड सेनीटेशन विभाग में चपरासी के रूप में कार्यरत रेशमलाल को सेवानिवृत्ति होने के बाद उन्हें पेंशन मिल रही थी। रेशमलाल का 2003 में निधन हो गया था, तब से लेकर आज तक उनकी पत्नी ज्ञान कौर पति की पेंशन ट्रांसफर कराने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं, लेकिन आज तक पति को मिलने वाली पेंशन उनके नाम पर ट्रांसफर नहीं हो सकी है। मेगा अदालत में वे उम्मीद लेकर पहुंची थी, लेकिन यहां भी उनकी समस्या हल करने वाले संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद नहीं थे, सिर्फ आवेदन तक सीमित रही।