कूड़े को लेकर पार्षद करते हैं प्रदर्शन, हाउस में आते ही हो जाते हैं चुप
नगर निगम की जिम्मेवारी है कि कूड़े का निस्तारण करे। इस समस्या के हल के बुलाई जाने वाली हाउस की मीटिग में लोगों के चुने प्रतिनिधि पार्षद इन मुद्दों पर चर्चा तक नहीं करते।
जागरण संवाददाता, जालंधर
शहर की सबसे बड़ी समस्या कूड़े के निपटारे पर शहर की सुप्रीम बॉडी नगर निगम गंभीर नहीं है। वेस्ट मैनेजमेंट पर पिछले सात साल से भाग-दौड़ हो रही है लेकिन अभी तक नतीजा शून्य है। नगर निगम की जिम्मेवारी है कि कूड़े का निस्तारण करें लेकिन शहर की समस्याओं, मुद्दों पर योजना और हल ढूंढने के लिए बुलाई जाने वाली हाउस की मीटिग में इन मुद्दों पर चर्चा तक नहीं होती। लोगों के चुने प्रतिनिधि पार्षद इन मुद्दों पर चर्चा तक नहीं करते और मेयर तक के यह हालात हैं कि वह पार्षदों को प्री-मीटिग में ही इस बात के लिए तैयार कर लेते हैं कि हाउस में इन मुद्दों को न उठाएं।
इस बार भी हाउस की मीटिग में सिर्फ हंगामा होता रहा और कूड़े की समस्या को लेकर एक बार भी बात नहीं हुई। वार्ड नंबर 60 और 61 में कूड़े की समस्या को लेकर टकराव तक की नौबत आ चुकी है लेकिन इन दोनों वार्डों के पार्षदों ने भी वेस्ट मैनेजमेंट के ऊपर बात तक नहीं की। मॉडल टाउन डंप को लेकर कैंट हलके के कई पार्षद धरना दे चुके हैं लेकिन इस मुद्दे को उठाने के सही प्लेटफार्म पर किसी ने बात नहीं की।
सिर्फ वार्ड नंबर 38 के पार्षद राजीव ओमकार टिक्का ने शहर में कूड़े के ढेरों का मुद्दा उठाया लेकिन न तो इस पर मेयर ने कोई जवाब दिया और न ही इसे दूसरे पार्षद ने समर्थन किया। यह हैं मौजूदा हालात
शहर में रोजाना करीब 500 टन कूड़ा निकलता है। यह कूड़ा वरियाणा डंप पर जमा हो रहा है। डंप से गंदा पानी आसपास के खेतों में जा रहा है जिससे फसल बर्बाद हो रही है। वरियाणा डंप पर साल 2003 में कूड़े से खाद बनाने का प्लांट भी लगाया गया था लेकिन उसे ठीक तरह से नही चलाया गया जिस कारण कूड़ा बढ़ता ही गया। अब कूड़े को खाद में बदलने के लिए पिट्स प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ है लेकिन इसका नतीजा आने में समय लगेगा।
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स्मार्ट सिटी 70 करोड़ रुपये खर्च कर खत्म करेगी वरियाणा डंप का कूड़ा वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के अभाव में वरियाणा में कूड़े के डंप पर 7.34 लाख क्यूबिक से ज्यादा टन कूड़ा इकट्ठा हो चुका है। पिछले सात साल से तो सिर्फ प्रोजेक्ट शुरू करने की बात ही हो रही है लेकिन किसी न किसी विवाद के कारण काम नहीं हो पाया। अब स्मार्ट सिटी कंपनी के 70 करोड़ रुपये इस पर खर्च किए जाएंगे। वरियाणा में करीब साढे 14 एकड़ जमीन पर बने कूड़े के पहाड़ों खड़े हैं। बायोमाइनिग प्रोजेक्ट के तहत कूड़े को खत्म करने का टेंडर इसी महीने लग जाएगा। इससे वरियाणा डंप के आसपास की कॉलोनियों, गावों को राहत मिलेगी।
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सरकार बदलते ही बदल जाती है प्लानिग
नगर निगम में फोकस काम होने पर नहीं है बल्कि काम का क्रेडिट लेने पर है। सरकार बदलते ही पुरानी सरकार के समय शुरू होने वाले कामों को रोक दिया जाता है। अकाली-भाजपा सरकार ने अंडरग्रांउड डंप बनाने की पहल की तो कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव जीतते ही इस प्लान को ड्रॉप कर दिया। अब पिट्स प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। छोटे प्लांट भी लगाने की तैयारी है लेकिन यह प्लांट सिर्फ दो टन का है। पिट्स और 2 टन के प्लांट से शहर में रोजाना निकलने वाला 500 टन कूड़ा कैसे प्रोसेस होगा, यह सवाल बहुत बड़ा है। पिट्स प्रोजेक्ट के लिए 26 साइट्स तय की है लेकिन यह नाकाफी है। सरकारों की लड़ाई में लोगों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। शहर में कूड़े की समस्या पर अब तक कोई ठोस प्लान नहीं आया है। ----------------
मेयर राजा के पास कोई प्लान नहीं : सुनील ज्योति
पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने कहा कि मेरे मेयर रहते जितने भी प्रोजेक्ट शुरू हुए थे वह राजनीतिक कारणों से रोक दिए गए। अब मेयर जगदीश राज राजा से कूड़े के लिए कोई प्लान नहीं बन रहा। हाउस में भी विपक्ष का जवाब देने के बजाए हंगामे के लिए कांग्रेस के पार्षदों को आगे कर देते हैं। सबसे जरूरी है कि कूड़े को संभालना। प्रोसेसिग दूसरे पड़ाव का काम है। मेयर तो अभी कूड़े को संभालने का ही इंतजाम नहीं कर पा रहे। स्वच्छ भारत मिशन का केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपया भेजा है लेकिन प्लानिग न होने के कारण इसे कहां खर्च किया जाए यह भी मेयर को समझ नहीं आ रहा।
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सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं : मेयर
मेयर जगदीश राजा ने कहा कि हाउस की मीटिग में विपक्ष सिर्फ इसी इरादे से आता है कि हंगामा करके रुकावट डालें। कूड़े के विषय में लगातार काम हो रहा है और कूड़े के निपटारे के मामले में सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पिट्स प्रोजेक्ट का रिजल्ट भी जल्द आना शुरू होगा। यह प्रोजेक्ट सस्ता है और कूड़े को वार्डों में ही प्रोसेस कर सकेंगे। बायोमाइनिग प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू होगा और वरियाणा डंप का कूड़ा खत्म होगा। छोटे प्लांट भी लगाए जा रहे हैं और इससे कूड़े को पैदा होने वाले इलाकों में ही खाद में बदला जाएगा। पहले जो प्लानिग की गई थी वह सिर्फ दिखावे की थी। अब जो काम कर रहे हैं उसके नतीजे हमेशा के लिए अच्छे रहेंगे।