लावारिस पशुओं को गोशाला भेजने का रास्ता खुला, निगम ने उठाया बड़ा कदम
नगर निगम ने दूसरी किश्त के रूप में 15 लाख रुपये की राशि जमा कराकर लावारिस जानवरों को शाहकोट की कनियांकलां गोशाला में शिफ्ट करने का रास्ता खोल दिया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : आखिरकार लावारिस जानवरों को शाहकोट स्थित कनियांकलां गोशाला में शिफ्ट करने का रास्ता खुल गया है। नगर निगम ने जिला प्रशासन की सहमति के 140 दिन बाद दूसरी किश्त के रूप में 15 लाख रुपये की राशि जमा करवा दी है।
ये स्थिति उस समय है जब नगर निगम के पास काउ सेस के रूप में पिछले साल ही लगभग पौने तीन करोड़ रुपये आ चुका था। उसमें से निगम ने जिला प्रशासन के साथ बनी सहमति के अनुसार 30 लाख रुपये की राशि जमा करवाकर मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग साइन कर दिया है। 15 लाख रुपये की राशि पहले ही जमा करा दी गई थी। एमओयू पर डीसी वरिंदर शर्मा, मेयर जगदीश राजा की मौजूदगी में शनिवार को एनिमल वेलफेयर सोसायटी की सदस्य व शाहकोट की एसडीएम नवनीत कौर बल एवं नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर राजीव वर्मा ने हस्ताक्षर किए।
शाहकोट की एसडीएम नवनीत कौर बल एवं निगम के ज्वाइंट कमिश्नर राजीव वर्मा ने MoU पर हस्ताक्षर किए।
32 रुपये प्रति पशु देने होंगे
एमओयू के अनुसार नगर निगम को 32 रुपये प्रति जानवर प्रतिदिन के हिसाब से एनिमल वेलफेयर सोसायटी को भुगतान करना होगा। ये भुगतान गोशाला में जानवर भेजने से पहले निगम को करना होगा। डीसी ने कहा कि एमओयू बड़ी राहत देने वाला कदम है, इससे शहर में हादसों का कारण बन रहे आवारा जानवरों की समस्या हल होगी। मेयर राजा ने कहा कि इस गंभीर समस्या के हल के लिए नगर निगम पूरा सहयोग करेगा।
इस मौके पर एसडीएम वरिंदर पाल सिंह बाजवा, एसडीएम नवनीत कौर बल, एसडीएम संजीव शर्मा, मेयर के ओएसडी हरप्रीत वालिया, डिप्टी डायरेक्टर एनिमल हसबेंडरी डॉ. सतबीर सिंह बाजवा भी मौजूद थे।
शहर में हैं 700 से ज्यादा लावारिस पशु
गो सेवा आयोग में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जालंधर जिले में लगभग साढ़े पांच हजार आवारा जानवर हैं, शहर में ये संख्या 700 से ज्यादा है। आवारा जानवरों के चलते शहर में हर दिन औसत एक व्यक्ति घायल हो रहा है।
फंड की कमी नहीं, इच्छाशक्ति चाहिए
गो सेवा आयोग पंजाब के पूर्व चेयरमैन कीमती लाल भगत का कहना है कि इच्छा शक्ति के अभाव में एमओयू साइन होने में इतना वक्त लगा है। काउ सेस के रूप में निगम के पास एक साल पहले ही लगभग पौने दो करोड़ रुपये जमा हो चुके थे। उनके कार्यकाल में गोसेवा आयोग के प्रयासों से 90 लाख रुपये पावरकॉम से, 80 लाख रुपये ट्रांसपोर्ट विभाग से काउ सेस के रूप में एकत्र करके दिया गया था। बाद में अन्य विभागों से भी राशि जमा हुई जो लगभग पौने तीन करोड़ है। इसके बावजूद 30 लाख रुपये जमा कराने में इतना वक्त लगा दिया गया।