शाही अंदाज में निकलेगी बाबा नानक की बरात, हजारों संगतें होंगी बराती, दमक उठा सुल्तानपुर लोधी
नानक नगरी सुल्तानपुर लोधी की शोभा आज निराली दिख रही है। पूरा शहर और क्षेत्र बाबे दी बरात के लिए सजधज कर तैयार है। गुरु श्री नानक देव की निराली बरात कल शाही अंदाज में निकलेगी। इसमें हजारों संगतें बराती होंगे और घोड़ों के संग
कपूरथला, [हरनेक सिंह जैनपुरी]। बाबे दा ब्याह: गुरु श्री नानक देव जी की नगरी सुल्तानपुर लोधी की शोभा आज निराली दिख रही है। सुल्तानपुर लोधी सहित पूरा क्षेत्र सजधज कर तैयार है। गुरुद्वारा श्री बेर साहिब को छटा भी अनूठी है। सभी बाबा श्री गुरु नानक देव की बरात में जाने की तैयारी में लगे हैं। बाबा श्री गुरु नानक की बरात कल रविवार को शाही अंदाज में निकलेगी। इसमें पंच प्यारों की अगुवाई में हजारों संगतें बराती होंगी। इसमें घोडों के संग बैंड बाजे के साथ सैकड़ों वाहन का काफिला होगा।
हाथी, घोड़ों व बैंड बाजों संग सैकड़ों वाहन होंगे शामिल
श्री गुरु नानक देव जी के विवाह पर्व संबंधी बरात रुपी नगर कीतर्न रविवार को गुरुद्वारा श्री बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी से बटाला के लिए धूमधाम व शाही ठाठ बाठ से रवाना होगा। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्र-छाया एवं पांच प्यारों की अगुवाई में बाबा नानक की बरात सरबत के भले की अरदास के बाद रवाना होगी।हजारों संगतें बाराती बनेगे। हाथी, घोड़ों, बैंड बाजों के साथ स्कूटर से लेकर कार एवं विभिन्न लग्जरी गाड़ियों से लेकर बस ट्रक व ट्राले तक शामिल होगे। बरात की तैयारियां कई दिनों से चलती रही हैं।
फूलों की वर्षा के बीच कल सुबह ढोल नगाड़ों संग कीर्तन रुपी बरात होगी बटाला रवाना
विभिन्न किस्म की भीनी भीनी खुशबू बिखेरने वाले ताजा फूलों की वर्षा के बीच 12 सितंबर को सुबह साढ़े छह बजे ढोल नगाड़ों के साथ गुरुद्वारा बेर साहिब से नगर कीर्तन रुपी बारात रवाना होगी। इसमें अनेक संत महापुरुषों के अलावा एसजीपीसी प्रधान बीबी जागीर कौर, कमेटी सदस्य, गणमान्यों समेत हजारों की तदाद में संगतें शामिल होंगी। श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन का लंबा समय सुल्तानपुर लोधी में व्यतीत किया। गुरु जी द्वारा अपना ग्रहस्थी जीवन भी सुल्तानपुर लोधी से ही शुरू हुआ।
गुरु जी की शादी बटाला में माता सुलखनी जी से हुई थी। गुरु जी सुल्तान पुर लोधी से अपने निवास अस्थान से बरात लेकर बटाला गए थे, उसी दिन की महत्ता के मद्देनजर गुरु जी के विवाह पूर्व को धूमधाम व श्रदा से मनाया जाता है। आज शाम को करीब साढ़े छह बजे बटाला की संगत सुल्तानपुर लोधी से विवाह के लिए शगुन देने और बारात के रूप में नगर कीर्तन लेने के लिए सुल्तानपुर लोधी पहुंचेगी।
ननकाणा साहिब के बाद सुल्तानपुर लोधी का बड़ा महत्व
पाकिस्तान स्थित श्री ननकाणा साहिब एवं करतारपुर साहिब के बाद देश में सुल्तानपुर लोधी ही एक ऐसा शहर है, जिसका श्री गुरु नानक देव जी से बेहद लंबा व गहरा नाता रहा है। यही से गुरु जी की बटाला के लिए बरात गई और शादी के बाद वह डेढ़ दशक तक सुल्तानपुर लोधी में ही रहे। इसी शहर में गुरु जी के घर दो पुत्रों बाबा श्री चंद व बाबा लक्षमी दास का जन्म हुआ।
यहीं पर गुरु जी ने नवाब दौलत खा एवं उनके मौलवी को नमाज अता करने की असलीयत समझाई थी। अपने करीब 15 साल के प्रवास दौरान गुरु साहिब सुबह बेई नदी में स्नान कर प्रभू भक्ति में लीन हो जाते थे। गुरु साहिब ने बेई के किनारे बेरी का एक वृक्ष लगाया जो आज भी लहलहा रहा है। यही से गुरु जी ने बेई में डुबकी लगाई और तीन दिन बाद प्रकट होकर मूल मंत्र एकओकार सतनाम करता पुरुख का उचारण कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की अधारशीला रखी।
गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में नमन करतीं महिलाएं। (जागरण)
श्री गुरु नानक देव जी अपनी दिनचर्या की शुरूआत काली वेई में स्नान करके करते थे। उसके पश्चात वहीं परमात्मा की भक्ति में लीन हो जाते थे। सूर्य उगने तक अपने घर आ जाते थे। तत्पश्चात वह सुल्तानपुर लोधी के नवाब दौलत खा के मोदीखाने की सेवा मग्न हो जाते थे और तेरा तेरा तोलते हुए गरीबों की झोलिया भरते रहते।
बेरी का वृक्ष सदियों से दे रहा मीठे फल
इस भौरा साहिब के बिलकुल पास ही गुरु नानक देव जी हाथों से लगी बेरी का वृक्ष भी है जो साढ़े पांच शताबदियों के बाद भी लहलहाते हुए फल दे रहा है। उन्हीं दिनों यहां पर अल्ल दित्ता नामक एक भक्त गुरू नानक देव जी का अनन्य भक्त बन गया, जिसे खरबूजे शाह के नाम से पुकारा जाता था।
गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में नतमस्तक होते श्रद्धालु। (जागरण)
पहली उदासी के समय जब श्री गुरु नानक देव जी सुल्तानपुर लोधी से प्रस्थान करने लगे तब भक्त अल्ला दित्ता ने उनसे निवेदन किया कि महाराज जी, मैं तो आपके दर्शन किए बगैर रह हीं नहीं सकता। आपके चले जाने के बाद मैं आपके दर्शन कैसे करूंगा। तब गुरु जी ने काली वेई के किनारे एक दातुन गाड़ दी, जो हरी हो कर बेरी का वृक्ष बन गई। गुरु जी ने बेरी के वृक्ष की ओर इशारा करते हएु कहा कि उस बेरी वृक्ष के दर्शन करने मात्र से ही स्वत: तुम्हें मेरे दर्शन हो जाया करेंगे। भक्त अल्ला दित्ता ने उस वृक्ष की नश्वरता की शंका व्यक्त की तो गुरु नानक देव जी ने कहाकि यह बेरी का वृक्ष सदैव अमर रहेगा।
गुरुद्वारा गुरु का बाग
श्री गुरु नानक देव जी अपने विवाह के बाद परिवार के साथ इस स्थान पर रहे। इस स्थान पर ही गुरु साहिब जी के घर पुत्र बाबा श्री चंद एवं बाबा लक्षमी दास का जन्म हुआ। इसी वजह से इस स्थान को गुरु का बाग कहते हैं। पहले इस स्थान पर छोटी इमारत होती थी। सुंदर बाग भी होता था, धीरे धीरे शहरीकरण बढ़ने के साथ बाग तो खत्म हो गया लेकिन गुरु के बाग की यादें वहा पर कायम है। इस स्थान पर अब गुरुद्वारा साहिब की बेहद सुंदर इमारत का निर्माण हुआ है।
गुरुद्वारा श्री सेहरा साहिब
यह वह पविंत्र स्थान है, यहा पर श्री गुरु अजुर्न साहिब जी अपने सपुत्र गुरु हरगोबिंद साहिब जी की बरात लेकर जाते समय रात को रुके थे। सुबह होने पर इस स्थान से सेहरा बांध कर डल्ले शादी के लिए पहुंचे थे। इसी कारण इस स्थान का नाम सेहरा साहिब है। इस गुरुद्वारे को गुरु नानक देव जी ने धर्मशाला का नाम दिया था। इससे साबित होता है कि बाबा नानक जी ने सबसे पहले यहा पर धर्मशाला स्थापित की और उसमें पंचम पातशाह श्री गुरु अजुर्न देव जी और छट्ठी पातशाही व उनके पुत्र गुरु हरगोबिंद साहिब जी ठहरे थे।