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मुगल काल में बसे ‘नीलामहल’ में अपना घर देखने आज भी पाकिस्तान से आते हैं लोग Jalandhar News

मुगलराज में यहां एक महल बनवाया गया था जिसका रंग नीला था। इसीलिए क्षेत्र का नाम नीलामहल पड़ा था। इससे सटा क्षेत्र भी इसी नाम से जाना जाने लगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 01:53 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 08:35 AM (IST)
मुगल काल में बसे ‘नीलामहल’ में अपना घर देखने आज भी पाकिस्तान से आते हैं लोग Jalandhar News

जालंधर [प्रियंका सिंह]। शहर के वाल्मीकि गेट और पटेल चौक के बीच स्थित मोहल्ला नीलामहल मुगलों ने चार सौ साल पहले बसाया था। बंटवारे के बाद यहां से मुसलिम समुदाय के ज्यादातर लोग पाकिस्तान शिफ्ट हो गए और यहां पर स्थानीय लोग रहने लगे। हालांकि बंटवारे से पहले भी यहां कुछ हिंदू परिवार रहते थे। सभी में आपसी भाईचारा था। मुगलराज में एक महल बनवाया था, जिसका रंग नीला था। इसलिए क्षेत्र का नाम नीलामहल पड़ा था। इससे सटा क्षेत्र भी इसी नाम से जाना जाने लगा। बंटवारे से पहले यहां पर केवल दो ही परिवार हिंदू थे। आजादी के बाद भले ही मुस्लमान परिवार पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी यादें आज भी यहां बसती हैं।
 

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पाकिस्तान से अपने पुश्तैनी घर देखने यहां आते हैं लोग

दविंदर सैनी बताते हैं कि पहले जो लोग यहां रहते थे या फिर जिनके बुजुर्गों ने यह मोहल्ला बसाया था, वो आज भी पाकिस्तान से कई बार अपने घर देखने के लिए आते रहते हैं। अब पूरे नीलामहल का नक्शा बदल चुका है, लेकिन गेट और गलियां आज भी कायम हैं। पाकिस्तान से आने वाले यहां के लोगों से पूछते है कि उनका घर कहां पर था, अब कहां है। दविंदर बताते हैं उनके दादा बताते थे कि कैसे नीलामहल का नाम पड़ा है। जो भी लोग पाकिस्तान से आते हैं, वो सीधा मेरे पास ही आते हैं। फिर मैं उन्हें उनके घर के बारे में बताता हूं।
 

खो गए निशां

आज तो नीलामहल का नाम ही रह गया है इसके अलावा और कुछ भी नहीं। यहां पर मुस्लमानों द्वारा बनाया गया एक मदरसा भी था, जहां पर अब सन्नाटा छाया हुआ है। इस मदरसे के साथ एक बरसाती नाला भी बहता था जहां बारिश के दिनों में पानी भरा रहता था। अब उस नाले को बंद कर वहां पर कई दुकानें बना दी गई हैं। महल की रूपरेखा बिल्कुल बदल गई है। आज भी लोग वही पुराने नीलामहल को ही याद करते हैं। इस महल से कई छोटी बड़ी लड़ाइयां भी लड़ी गई हैं। दुश्मन भी यहां के योद्धा से लोहा लेने से पहले सौ बार सोचते थे। यहां पर बहुत बड़ा महल था जहां से कई एतिहासिक यादें जुड़ी हुई हैं। अब अगर वहां पर जाकर उस स्थान को ढूंढा जाए तो कहीं भी उसका कोई भी नाम निशान नहीं है।

लोगों को नहीं पता इस स्थान की अहमियत

एक खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थान को सरकार संभालने में नाकाम साबित हुई है। नीलामहल तो कब का खत्म हो गया लेकिन उसका मुख्य गेट कुछ साल पहले तक था। इसे अब नए तरीके से बनाया गया है, लेकिन उस महल की जगह अन्य घर बन गए हैं। आज वहां पर जो लोग रह रहे हैं उन्हें पता भी नहीं कि इस स्थान की अहमियत क्या है।


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