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पंजाब में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम, यूनाइटेड अकाली दल का ढींडसा के नेतृत्व वाले शिअद में विलय

पंजाब में यूनाइटेड अकाली दल का ढींडसा के नेतृत्व वाले शिअद में विलय हो गया है। इसकी घोषणा खुद यूनाइटेड अकाली दल के प्रधान भाई मोकम सिंह ने की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 02:55 PM (IST)
पंजाब में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम, यूनाइटेड अकाली दल का ढींडसा के नेतृत्व वाले शिअद में विलय
पंजाब में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम, यूनाइटेड अकाली दल का ढींडसा के नेतृत्व वाले शिअद में विलय

जेएनएन, जालंधर। पंजाब में शनिवार को बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हुआ। यूनाइटेड अकाली दल का शनिवार को सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल में विलय हो गया है। गुरुद्वारा नौवीं पातशाही गुरु तेग बहादुर नगर में आयोजित कार्यक्रम में यूनाइटेड अकाली दल के प्रधान भाई मोकम सिंह ने पार्टी के विलय की घोषणा की।

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भाई मोकम सिंह ने कहा कि उनके लिए पहले पंथ और पंजाब है उसके बाद पार्टी और राजनीति है। कहा कि बादल परिवार ने पंजाब का नुकसान किया है और अब सिख पंथ को बचाने की लड़ाई लड़नी है। सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि बादल परिवार का साथ छोड़ने में देर जरूर हुई है, लेकिन वह बिना दाग के बाहर आए हैं और अब पंजाब के हितों की लड़ाई जोरदार ढंग से लड़ी जाएगी।

उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले लगातार बड़े हैं और इसमें बादल परिवार की डेरा सिरसा के साथ मिलीभगत भी सामने आई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए संगत माफ नहीं करेगी और बादल परिवार का जो हाल हो रहा है वह किसी से छुपा नहीं है। सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि वह केंद्र सरकार के किसान विरोधी ऑर्डिनेंस का विरोध करते हैं। केंद्र सरकार को यह ऑर्डिनेंस वापस लेना चाहिए इसके लिए प्रधानमंत्री के नाम पत्र भी लिखा है।

सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि उनका लक्ष्य पंजाब का हित है और न तो वह किसी पद की इच्छा रखते हैं न ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि अगर उनके नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल की सरकार बनती है तो वह मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।

पार्टी का धार्मिक विंग अलग होगा

ढींडसा ने कहा कि उनकी पार्टी का राजनीतिक और धार्मिक विंग अलग-अलग होगा, जो धार्मिक क्षेत्र में जाना चाहते हैं और एसजीपीसी के माध्यम से सेवा करना चाहते हैं उन्हें यह शपथ पत्र लेनी होगी कि वह राजनीति नहीं करेंगे और न ही पार्टी में कोई पद लेंगे।


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