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..जब एक-दूजे को दिल दे बैठे जसनीव और पूजा

दिल्ली की रहने वाली डॉ. पूजा कपूर व जालंधर के निजात्म नगर निवासी डॉ. जसनीव कपूर के प्यार के सफर की ऐसी है कहानी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:21 AM (IST)
..जब एक-दूजे को दिल दे बैठे जसनीव और पूजा
..जब एक-दूजे को दिल दे बैठे जसनीव और पूजा

जालंधर (जासं) : कहते है कि रिश्ते ऊपर से ही बन कर आते है। ऐसा ही हुआ दिल्ली की रहने वाली डॉ. पूजा कपूर व जालंधर के निजात्म नगर निवासी डॉ. जसनीव कपूर के साथ। दिल्ले में किसी रिश्तेदार की शादी में डॉ. जसनीव गए थे और पूजा भी दूसरी तरफ से शादी में शामिल होने आई थी। शादी में दोनों ने एक-दूसरे को देखा और पहली ही नजर में एक-दूसरे के दिल दे बैठे। हड्डी रोग माहिर डॉ. जसनीव कपूर और बाल रोग माहिर डॉ. पूजा कपूर की जोड़ी को सबसे अलग उनकी आपसी अंडरस्टै¨डग बनाती है।

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डॉ. जसनीव कपूर ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज पटियाला से आर्थो की पीजी कर रहा था। उधर पूजा बीजी मेडिकल कॉलेज अहमदाबाद में पीडियाट्रिक की पीजी कर रही थी। हम दोनों दिल्ली के एक होटल में 20 फरवरी 1999 को रिश्तेदार की शादी पर मिले थे। बात हुई तो लगा कि हमारी लाइक्स व डिसलाइक्स एक सी हैं। इसी कारण दिल मिले। यह सिलसिला कई बार डेट्स में बदल गया।

फोटो देख दिल में लड्डू फूटे

किसी के रिश्ता सुझाने पर जब मम्मी-पापा ने मुझे डा. जसनीव की फोटो दिखाई तो देखते ही मानो मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे। मैंने तुरंत 'हां' कर दी थी, क्योंकि वह डॉ. जसनीव को पहले ही रिश्तेदार की शादी में मिल चुकी थी। लड़का देखने के लिए सहमत हो गई और परिजनों के साथ दिल्ली पहुंच गई। जब पेरेंट्स की तरफ से इस रिश्ते को जोड़ने की अनुमति मिल गई तो अगले दिन डॉक्टर जसनीव ने पूरे हक के साथ मुझे फोन किया और पूछा कि रात को आपने फोन क्यों नहीं किया। तो मैंने उनसे मजाक करते हुए कहा शादी की बातचीत फाइनल होने बाद ही फोन कर सकती थी हूं। तब वह बोले 'सब कुछ फाइनल है और आपसे ही शादी करूंगा।' यह सुन कर मेरी खुशी का कोई ठिकाना न रहा।'

ताकि टाइम न हो वेस्ट

डा. पूजा बताती है कि जब वह घूमने जाते तो उन्हें रास्ते में आईसक्रीम या फिर पॉपकोर्न बेचने वाला मिलता तो डॉ. जसनीव उन्हें इसलिए कुछ नहीं खिलाते थे कि कहीं उनके मिलने का समय कम न हो जाए। यूं पहुंच गया था अहमदाबाद..

डॉ. जसनीव कपूर बताते हैं,'जब वह पहली बार डॉ. पूजा से मिला तो वह मेरे दिल पर छा गई। उन्होंने बिना किसी विलंब के सीधे ही प्रपोज कर दिया। क्या आप मुझसे शादी करेंगी? साल भर डे¨टग का सिलसिला खूब चला। उस समय मोबाइल फोन नहीं होते थे। लैंड लाइन फोन पर ही बातें होती थी। एक बार बॉस के किसी रिश्तेदार की मौत हो गई और एक सप्ताह की छुट्टी हो गई। पूजा से मिलने की इतनी बेसब्री थी कि उसी दिन बिना टिकट बुक करवाए ट्रेन के डिब्बे में चढ़कर, गेट के पास बैठकर ही अहमदाबाद पहुंच गया। फिर एक साल बाद 20 फरवरी को शादी हो गई लेकिन आज भी उन्हें एक-दूसरे को डेट करना अच्छा लगता है।'


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