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अपग्रेडेशन : लॉक डाउन लाएगा इंडस्ट्री में तकनीकी बदलाव

श्रमिकों के पलायन के बीच इंडस्ट्री तकनीकी अपग्रेडेशन के राह पर जाती दिखाई दे रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 12:42 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 12:42 AM (IST)
अपग्रेडेशन : लॉक डाउन लाएगा इंडस्ट्री में तकनीकी बदलाव
अपग्रेडेशन : लॉक डाउन लाएगा इंडस्ट्री में तकनीकी बदलाव

जागरण संवाददाता, जालंधर : दो माह से जारी लॉक डाउन और श्रमिकों के पलायन के बीच इंडस्ट्री तकनीकी अपग्रेडेशन के राह पर जाती दिखाई दे रही है। श्रमिकों की भारी किल्लत झेल रहे इंडस्ट्री संचालक अब मशीनरी अपग्रेडेशन और ऑटोमेशन की तरफ गंभीरता से सोचने लगे हैं। तर्क है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में खुद को भारतीय इंडस्ट्री ने साबित करना है तो फिर श्रमिकों की किल्लत से प्रभावित होने वाले उत्पादन का कोई मजबूत विकल्प तलाशना जरूरी होगा। चीन से फैले कोरोना वायरस के बाद अब इंडस्ट्री एवं व्यापार की धारणाएं भी बदल गई हैं। यह भारतीय इंडस्ट्री के लिए एक उम्दा मौका है, लेकिन उत्पादन की अंतरराष्ट्रीय दौड़ में क्वालिटी एवं समयबद्धता को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता है यही वजह है कि इंडस्ट्री संचालक अब न्यूनतम श्रमिकों की निर्भरता के साथ उत्पादन की एक नई राह पर चलना चाहते हैं। अपग्रेडेशन की लिमिट बढ़ाई जाए : भसीन

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इंडस्ट्री संचालक तो लंबे अरसे से ऑटोमेशन की प्रक्रिया में जुटे थे, लेकिन लॉक डाउन से पैदा हुई परिस्थितियों के मद्देनजर अब इसे तीव्र गति से करना होगा। सरकार ने अपग्रेडेशन के लिए एक करोड़ की लिमिट तय की है, जिस पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जोकि ऑटोमेशन के लिए नाकाफी है। इसे तुरंत बढ़ाने की जरूरत है।

तेजिंदर सिंह भसीन, अध्यक्ष, उद्योग नगर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, गदईपुर इंडस्ट्री अपग्रेडेशन के लिए मिले सहयोग : अशोक

स्पो‌र्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चरिग इकाइयों में कटिग, प्रिटिग, पैकेजिग आदि के काम ऑटोमेशन से संभव हैं। इससे काम को रफ्तार मिलेगी व गुणवत्ता भी बरकरार रखी जा सकती है। हालांकि ऑटोमेशन की कीमत फिलहाल ज्यादा है। सरकार इंडस्ट्री अपग्रेडेशन के लिए सपोर्ट करे। ये समय की बड़ी जरूरत है।

अशोक वर्मा, संचालक, सावी इंटरनेशनल

मॉडर्नाजेशन के लिए हो विशेष प्रावधान : अश्विनी

कम हो रही श्रमिकों की संख्या ने इंडस्ट्री अपग्रेडेशन एवं ऑटोमेशन को जरूरी बना डाला है। अब दुनिया भर की इंडस्ट्री चीन के अलावा भी विकल्प तलाश रही है। ऐसे हालातों में फिलहाल भारतीय इंडस्ट्री को मॉडर्न नहीं कह सकते। इंडस्ट्री मॉडर्नाइजेशन एवं ऑटोमेशन के लिए सरकार को विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।

अश्विनी विक्टर, संचालक, विक्टर टूल्स एमएसएमई इकाइयों को मशीनों की खरीद पर एक अक्टूबर 2019 से लेकर 31 मार्च 2020 तक 15 फीसद व फुटवियर मैन्युफैक्चरिग इकाइयों को एक जनवरी 2016 से अब तक 30 फीसद कैपिटल सब्सिडी मिली। केंद्र की तरफ से 31 मार्च 2020 के बाद टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन को लेकर अभी तक कोई पॉलिसी घोषित नहीं की गई है।

पुनीत जैन, सीए


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