सबको मिले न्याय, इसलिए मंदीप ने बिना फीस के भी लड़े केस
देश के संविधान में कानून सबके लिए एक समान है तो फिर एक समान कानूनी सेवाएं भी प्रत्येक नागरिक के लिए उपलब्ध होनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, जालंधर : देश के संविधान में कानून सबके लिए एक समान है तो फिर एक समान कानूनी सेवाएं भी प्रत्येक नागरिक के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। मात्र पैसे की वजह से ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई कानूनी सहायता लेने से ही वंचित रह जाए। इसी सोच पर चलते हुए क्रिमिनल मामलों के जाने माने एडवोकेट मंदीप ¨सह सचदेवा उन लोगों के केस नि:शुल्क लड़ रहे हैं, जिनके पास फीस अदा कर पाने का सामर्थ्य नहीं होता। 1993 से वकालत कर रहे मंदीप ¨सह सचदेवा अब तक लगभग 50 हजार केस लड़ चुके हैं और उनमें से लगभग 15 फीसद मामले ऐसे हैं जो उन्होंने बिना फीस लिए हुए ही लड़े हैं।
58 वर्ष पहले एडवोकेट मंदीप ¨सह सचदेवा के पिता स्वर्गीय गुरदीप ¨सह सचदेवा ने जालंधर में वकालत शुरू की थी। आधी सदी से भी ज्यादा समय से वकालत के साथ जुड़े सचदेवा परिवार का अच्छा खासा नाम भी था। मंदीप ¨सह सचदेवा ने कहा कि उनके पिता ने ही यह निर्णय लिया था कि पैसे की वजह से किसी का केस लड़ने से कभी इंकार नहीं करना। जब लोग उनके पास आकर कहते हैं कि केस तो आपस से ही लड़वाना है, लेकिन आपकी फीस देने के पैसे नहीं है तो फिर संबंधित व्यक्ति की आर्थिक स्थिति एवं मजबूरी को देखते हुए केस नि:शुल्क लड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि समाज के लिए न्याय दिलाना अहम है और उसके बाद पैसा आता है। एडवोकेट मंदीप ¨सह सचदेवा बताते हैं कि उन्होंने 7 वर्ष तक फ्री लीगल सर्विसिज अथॉरिटीज के तहत भी नि:शुल्क सेवाएं दी हैं।
विदेशी दूल्हों की तरफ से शादी के बाद छोड़ दी गई उन पंजाबी लड़कियों को भी वह कानूनी सहायता उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनके परिवार वाले केस लड़ने की क्षमता नहीं रखते हैं। ऐसी लड़कियों के लिए कानूनी सहायता देकर उन्हें न्याय दिलाना एक लक्ष्य बना लिया है। बहुत सारी लड़कियों को न्याय मिला है और शेष को मिलने की आशा है। वह अपना फर्ज जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब ऐसे अपराधी सजा भुगतेंगे तो भविष्य में इसके दोहराव पर अंकुश लग सकेगा।
उन्होंने कहा कि भविष्य में भी उनकी यही कोशिश रहेगी कि प्रत्येक जरूरतमंद को वह न्याय दिला सकें और पैसा इसके आड़े नहीं आना चाहिए।