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मकसूदां थाना ब्लास्टः पुलिस वालों की जान लेना था कश्मीरी आतंकियों का लक्ष्य, मांगी थी दुआ

14 सितंबर को मकसूदां थाने में आतंकियों ने बम विस्फोट पुलिस कर्मियों को मारने के लिए किए थे। उन्होंने इसके लिए दुआ तक मांगी थी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 11:14 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:27 AM (IST)
मकसूदां थाना ब्लास्टः पुलिस वालों की जान लेना था कश्मीरी आतंकियों का लक्ष्य, मांगी थी दुआ
मकसूदां थाना ब्लास्टः पुलिस वालों की जान लेना था कश्मीरी आतंकियों का लक्ष्य, मांगी थी दुआ

संवाद सहयोगी, जालंधर। मकसूदां थाने में 14 सितंबर को हुए सीरियल बम ब्लास्ट सिर्फ पुलिस को डराने के लिए नहीं बल्कि पुलिस वालों को मारने के लिए किए गए थे। चारों ने थाने के बाहर आतंकियों ने बम फेंकने से पहले एक दूसरे की कामयाबी के लिए दुआ मांगी थी। वह तो पुलिस वालों की किस्मत अच्छी थी कि जब फेंके गए तब सारे पुलिस कर्मी कमरों में थे। बम ब्लास्ट के बाद चारों वहां से पहले पैदल ही भागे। मकसूदां मंडी से उन्होंने आटो किया और सीधा बस स्टैंड पहुंचे थे। मामले में दबोचे शाहिद और बशीर ने पुलिस रिमांड के दौरान ये खुलासे किए हैं। 

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यह सब उन्होंने थाना डिवीजन नंबर 1 में पुलिस की पूछताछ में बताया। थाना सदर का चार दिन का रिमांड खत्म होने पर सभी को दोबारा अदालत में पेश किया गया जहां से थाना 1 की पुलिस ने चार दिन का रिमांड मांगा। मकसूदां थाने में हुआ ब्लास्ट थाना 1 की हद में आता था जिसके चलते वहां पर मामला दर्ज हुआ था। ऐसे में अब चार दिन तक थाना 1 की पुलिस कश्मीरी युवकों से पूछताछ करेगी। 

गाजी और रउफ के आने पर ही मिले थे बम, रात में की सारी प्लानिंग
जांच में सामने आया था कि दोनों को बम उस समय मिले थे जब गाजी और रउफ मकसूदां चौक पर बस से पहुंचे थे। उसी वक्त वहां पर खड़े होकर इंतजार किया और कुछ देर में एक युवक, जिसने मुंह बांधा हुआ था, आया और बम दे गया। चारों बम एक लिफाफे में थे जिसे रस्सी से बांधा गया था। जानकारी के मुताबिक चारों ने बम एक साथ फेंके थे और बम फेंकने के बाद एक साथ भागे थे। मकसूदां में बम ब्लास्ट की रेकी और प्लानिंग सारी वारदात से एक रात पहले बशीर और क्यूम के पीजी में हुई थी।

बिना देखे ही फेंके थे बम, नजर नहीं आया कौन कहां खड़ा
जांच में यह भी सामने आया है कि दोनों ने बिना देखे ही थाने के अंदर बम फेंके थे। किसी को भी अंदाजा नहीं था कि अंदर कौन कहां पर खड़ा है। बताया जा रहा है कि जिस तरह से पुलिस कर्मियों को टारगेट बनाया गया था, उससे यदि यह पता चल जाता कि अंदर कोई खड़ा नहीं तो बम फेंकने का समय बदल सकता था।

यह है मामला
मकसूदां थाने में ब्लास्ट के मामले में पुलिस ने जालंधर के सेंट सोल्जर कालेज में सिविल इंजीनियङ्क्षरग कर रहे दो छात्रों 22 वर्षीय शाहिद कयूम और 23 वर्षीय फाजिल बशीर को गिरफ्तार किया था। उनके दो साथी रउफ अहमद उर्फ रउफ और मीर उमर रमजान उर्फ गाजी फरार हैं। जांच में सामने आया था कि क्यूम और बशीर करीब दो साल से जालंधर में पढ़ रहे थे। मकसूदां में ही दोनों एक पीजी में रहते थे। दोनों आंतकी संगठन अंसर गजावत उल हिंद के सरगना जाकिर रशीद भट्ट उर्फ जाकिर मूसा के साथी हैं। मूसा और उसके राइट हैंड आमिर ने ही दोनों को कश्मीर में आतंकी ट्रेनिंग दी थी। वहीं रउफ और मीर कश्मीर में रहते हैं।

वारदात से एक दिन पहले 13 सितंबर को रउफ और मीर कश्मीर से हवाई जहाज के जरिए चंडीगढ़ मोहाली में पहुंचे। वहां से बस के जरिए जालंधर में आए और मकसूदां चौक पर दोनों को कयूम और बशीर से मिले। चारों ने मकसूदा के पीजी में एक साथ रात गुजारी। वारदात वाले दिन 14 सितंबर को उन्होंने साढ़े चार से साढ़े पांच बजे तक रेकी की। इसके बाद 7.40 मिनट पर चारों ने चार हैंड ग्रेनेड थाने में फेंके और पटेल चौक के रास्ते सीधा बस स्टैंड पहुंचे। वहां से दो जम्मू कश्मीर के लिए रवाना हो गए।


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