लॉकडाउन में साफ हुई काला संघिया ड्रेन फिर प्रदूषित
काला संघिया ड्रेन तीन महीने में ही फिर से गंदे नाले में बदल गई है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : लॉकडाउन में साफ हुई काला संघिया ड्रेन तीन महीने में ही फिर से गंदे नाले में बदल गई है। ड्रेन से बूटी की सफाई करवाई गई तो फिर से काले पानी का बहाव शुरू हो गया है। ड्रेन को साफ रखने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती का असर भी नजर नहीं आ रहा। हालांकि एनजीटी ने नगर निगम की अपील पर बस्ती पीरदाद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से सीवरेज के पानी की निकासी की मंजूरी दी हुई है, लेकिन इसके अलावा भी कई जगह से गंदा पानी ड्रेन में फेंका जा रहा है। फोकल प्वाइंट से पहले ही ड्रेन में गंदा पानी आ रहा है। कई गांवों, डेयरियों और कारखानों के गंदे पानी की निकासी भी ड्रेन में हो रही है। ड्रेन का पानी आगे जाकर सतलुज दरिया में गिरता है। नदियों में सीवरेज और इंडस्ट्री का गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एनजीटी काफी सख्त है। बस्ती पीरदाद में नया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। फोकल प्वाइंट में एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट भी तैयार किया जा रहा है, लेकिन इसमें दो साल और लग सकते हैं। नगर निगम ने एनजीटी की सख्ती के बाद ड्रेन में गिरने वाले सभी सीवरेज प्वाइंट बंद कर दिए थे। एनजीटी की मानिटरिग कमेटी और पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर संत बलबीर सिंह सीचेवाल का कहना है कि जांच में सामने आ जाएगा कि कौन गंदा पानी ड्रेन में फेंक रहा है। ड्रेन में इंडस्ट्री ने अंडर ग्राउंड तरीके से पाइप डालकर भी गंदे पानी की निकासी की हुई है। ड्रेन सिर्फ बरसाती पानी की निकासी के लिए होती है लेकिन जैसे-जैसे शहरीकरण होता गया, वैसे-वैसे ड्रेन में कारखानों, सीवरेज की गंदगी भी डलनी शुरू हो गई।
40 करोड़ से ड्रेन को ब्यूटीफाई करने का प्लान
स्मार्ट सिटी कंपनी काला संघिया ड्रेन को ब्यूटीफीई करने का प्लान कर रही है। इस पर करीब 40 करोड़ रुपए खर्च आने की संभावना है। विधायक बावा हैनरी और पार्षद जगदीश समराए ने इसका सुझाव दिया था। ड्रेन के आसपास के इलाकों में करीब दो लाख लोग रह रहे हैं। अगर ड्रेन को प्रदूषण मुक्त करके सुंदरीकरण किया जाता है तो इन दो लाख लोगों को राहत मिलेगी। ड्रेन के आसपास के इलाके में कई तरह की बीमारियां फैलती हैं। जमीन का पानी भी प्रदूषित हो चुका है। निगम को सीवरेज फेंकने की मंजूरी 30 सितंबर तक
शहर में सीवरेज जाम की बढ़ती शिकायतों और बस्ती पीरदाद ट्रीटमेंट प्लांट की कम क्षमता को देखते हुए नगर निगम की अपील पर एनजीटी ने 30 सितंबर तक प्लांट से ड्रेन में पानी छोड़ने की मंजूरी दी थी। यह समय सीमा भी समाप्त हो रही है। अगर एनजीटी इस मंजूरी को आगे नहीं बढ़ाती है तो जालंधर वेस्ट और नॉर्थ हलके में सीवरेज व्यवस्था एक बार फिर चरमरा सकती है।
एनजीटी मीटिग में उठाएंगे मामला : संत सीचेवाल
संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा है कि ड्रेन में गंदा पानी डालने का मामला उनकी जानकारी में है। उन्होंने कहा कि एनजीटी की मीटिग में वह यह मामला रखेंगे। काला संघिया ड्रेन को प्रदूषण मुक्त करने का काम जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पहले भी कारखानों पर कार्रवाई हो चुकी है और एक बार फिर से जांच करेंगे कि कौन-कौन ड्रेन को प्रदूषित कर रहा है।