Move to Jagran APP

जालंधर की आर्किटेक्ट मीनल ने ‘गोइंग जीरो वेस्ट’ पर जंग से प्लास्टिक के महादानव को दी मात

पर्यावरण के प्रति चिंतित मीनल ने दो साल में घर को प्लास्टिक व कूड़ा मुक्त कर दिया। घर का कूड़ा भी अब खाद बनकर उनके किचन गार्डन के काम आ रहा है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 01:41 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 01:41 PM (IST)
जालंधर की आर्किटेक्ट मीनल ने ‘गोइंग जीरो वेस्ट’ पर जंग से प्लास्टिक के महादानव को दी मात
जालंधर की आर्किटेक्ट मीनल ने ‘गोइंग जीरो वेस्ट’ पर जंग से प्लास्टिक के महादानव को दी मात

जालंधर, [मनीष शर्मा]। कूड़े का ढ़ेर देख सबको चिढ़ होती है। सड़कों पर बिखरा प्लास्टिक देख गुस्सा भी आता है। अक्सर हम सरकार को कोसते हुए निकल जाते हैं लेकिन हम खुद ही इस परेशानी को हल कर सकते हैं, यकीन न हो तो जालंधर के रिशी नगर में रहने वाली आर्किटेक्ट मीनल वर्मा को देखिए, जिन्होंने बिल्डिंगों के साथ प्लास्टिक व कूड़ा मुक्त पर्यावरण के सपने को भी आकार दे दिया।

loksabha election banner

पर्यावरण के प्रति चिंतित मीनल ने दो साल में घर को प्लास्टिक व कूड़ा मुक्त कर दिया। शुरूआत में एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को बैग व सजावट का जरिया बनाया तो अब इसको लेना ही बंद कर दिया। घर का कूड़ा भी अब खाद बनकर उनके किचन गार्डन के काम आ रहा है। एक जैसी सोच वालों को साथ जोड़ने के लिए फेसबुक पर उन्होंने ‘गोइंग जीरो वेस्ट’ ग्रुप बना रखा है। जिसमें देश-विदेश दो हजार परिवार जुड़कर अपने-अपने प्रयास सांझे करते रहते हैं।

प्लास्टिक की कतरनों से बनाई सजावट

सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि कूड़ा व प्लास्टिक भी बड़ी समस्या

मीनल वर्मा कहती हैं कि मेरा जन्म चंडीगढ़ में हुआ तो साफ-सफाई व पर्यावरण की चिंता शुरू से ही रहती थी। बठिंडा के ज्ञानी जैल सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज से आर्किटेक्ट की डिग्री ली। फिर आर्किटेक्ट ललित वर्मा से शादी के बाद जालंधर आ गईं। यहां पानी की बहुत बर्बादी होती थी तो शुरूआत उसी से की। इसी दौरान देखा कि सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि कूड़ा व प्लास्टिक भी बड़ी समस्या है। घर में एकदम प्लास्टिक बंद करना संभव नहीं था तो धीरे-धीरे इसे कम करना शुरू किया। जो प्लास्टिक आता, उसका बैग, सजावट का सामान बना देती। प्लास्टिक कम आने लगा तो घर में कूड़ा भी कम होता गया। रसोई से जो कूड़ा निकलता, उसकी जैविक खाद बनाने लगी।

 

सिंगल यूज प्लास्टिक से बनाया सामान। 

पार्टी में घर से बर्तन लेकर जाती हैं, डिस्पोजल नहीं करते इस्तेमाल

मीनल हंसते हुए बताती हैं कि जब मैं परिवार के साथ किसी परिचित की पार्टी में जाती तो घर से अपने बर्तन लेकर जाती। दूसरे डिस्पोजल में खाते और हम अपनी प्लेट में। लोग पहले तो इसे विचित्र मानते लेकिन इसका महत्व जानकर फिर सभी ने डिस्पोजल बंद कर दिए और सामान्य बर्तन इस्तेमाल करने लगे। कभी बाजार से गोलगप्पे, बर्गर या अन्य ऐसी चीजें भी लानी हों तो घर से बर्तन लेकर जाती हैं। अब भी वह हर वक्त अपनी कार में थैला व दूसरे बर्तन रखती हैं कि क्या पता बाजार से क्या लेना पड़ जाए?। मीनल कहती हैं कि कूड़े का प्रबंधन व प्लास्टिक से दूरी हमें अपनी संस्कृति बनानी होगी, तभी समस्या खत्म होगी। हर बार सरकार को नहीं कहना होगा कि पाबंदी लगा दो, हमें मांग घटानी होगी। इसके इस्तेमाल से इन्कार कर उपभोक्ता को अपनी ताकत पहचाननी होगी। पानी, हवा हो या मिट्टी, हमें बदलाव का इंतजार नहीं बल्कि खुद बदलना होगा।

ग्रुप में जुडे देश-विदेश के लोग

आर्किटेक्ट मीनल वर्मा के बनाए ग्रुप में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों के भी लोग जुडे हुए हैं। यह सभी सदस्य आपस में अपने प्रयास की जानकारी देकर अपने घर को प्लास्टिक व कूडामुक्त करने में जुटे हैं। मीनल वर्मा के ‘गोइंग जीरो वेस्ट’ ग्रुप में अमेरिका, कनाडा, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, आॅस्ट्रेलिया, स्वीडन, इटली, यूके व ब्राजील आदि देशों के सदस्य हैं। देश में भी दिल्ली, मुंबइ, बैंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, गुरुग्राम, तमिलनाडू, जम्मू-कश्मीर, केरल व उत्तराखंड के लोग इससे जुडकर प्लास्टिक व कूडे के खिलाफ जंग लड रहे हैं।

 

प्लास्टिक से बैग बनाती मीनल वर्मा।

मीनल के कूड़ा प्रबंधन व प्लास्टिक रोक के तरीके

- बाजार से कुछ भी लाना हो तो अपने बैग या बर्तन में लाती हैं।

- फलों के छिलके में सिरका व रीडा मिला बायोएंजाइम बना बर्तन आदि धोती हैं, कैमिकल क्लीनर इस्तेमाल नहीं करती।

- पुरानी जुराबों से बर्तन धोने का स्क्रबर बनाती हैं।

- प्लास्टिक की खाली बोतलें में पौधे लगा देती हैं।

- प्लास्टिक के छोटे-छोटे लिफाफों खासकर दूध वालों से से बड़े बैग बनाए, जो सामान लाने के लिए बार-बार इस्तेमाल होते हैं।

- प्लास्टिक की जो रंग-बिरंगी कतरन बची, उसे प्लास्टिक की ही बोतल में भरकर सील कर सजावट में इस्तेमाल कर रही हैं।

- फल खाने के बाद हम बीज फेंक देते हैं लेकिन वो उसे जमीन में दबा देती हैं।

- बालों के पिन, स्टैप्लर पिन, सेफ्टी पिन, एल्युमिनियम की पैकिंग व फ्वाइल पेपर, टूटे चम्मच आदि अलग से रख कबाड़ के तौर पर देती हैं।

- हेडफोन या ईयरफोन की तार टोकरी में इस्तेमाल करते हैं।

- पुरानी कॉपी में जो पेज इस्तेमाल नहीं होते, उन सबको निकालकर नई कॉपी बना इस्तेमाल करती हैं।

- नारियल पानी पीने के लिए भी स्टील की स्ट्रॉ रखी है ताकि प्लास्टिक इस्तेमाल न हो।

- केंद्र सरकार दे चुकी ‘वाटर हीरो’ का खिताब

‘वाटर हीरो’ का मिल चुका है खिताब

घर में पानी की बचत के लिए केंद्र सरकार का जलशक्ति मंत्रालय मीनल को ‘वाटर हीरो’ का खिताब दे चुका है। मीनल किचन में फल, सब्जी, दाल व चावल धोने के बाद पानी को नाली में फेंकने की जगह बाल्टी में जमा कर इस्तेमाल करती हैं। आरओ के साथ पाइप जोड़ पानी ड्रम में इकट्ठा कर घर की सफाई करती हैं। वाशिंग मशीन से निकला पानी वाशरूम धोने के काम आ जाता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए छत से नीचे गिरते पानी के नीचे ड्रम लगा उसे जमा कर इस्तेमाल करती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.