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हरभजन सिंह एकेडमी से लौट रहे एक्टिवा सवार को ट्रक ने मारी टक्कर, पिता के सामने क्रिकेटर बेटे ने तोड़ा दम

जालंधर के डीएवी कालेज फाटक के पास एक्टिवा पर जा रहे पिता-पुत्र को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी और पिता के आंखों के सामने बेटे ने दम तोड़ दिया। हादसे में में पिता जितेंद्र सभ्रवाल गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:33 AM (IST)
हरभजन सिंह एकेडमी से लौट रहे एक्टिवा सवार को ट्रक ने मारी टक्कर, पिता के सामने क्रिकेटर बेटे ने तोड़ा दम
जालंधर के डीएवी कालेज फाटक के पास एक्टिवा पर जा रहे पिता-पुत्र को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी।

जालंधर, जेएनएन। बेटे को क्रिकेट की बुलंदियां छूने का सपना एक पिता देख रहा था। इसके लिए वह पूरा प्रयास कर रहा था। बेटा भी डिस्ट्रिक्ट लेवल पर अंडर-16 में खेलता था, लेकिन सोमवार दोपहर के समय उसका सपना टूट गया। कारण, डीएवी कालेज फाटक के पास एक्टिवा पर जा रहे पिता-पुत्र को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी और पिता के आंखों के सामने बेटे ने दम तोड़ दिया।

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हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले अली मोहल्ला निवासी जितेंद्र सभ्रवाल सोमवार सुबह बेटे 15 वर्षीय दीक्षांत को लेकर द हरभजन सिंह क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिलवाने ले गए। दीक्षांत भी पूरी तैयारी के साथ अपनी किट लेकर गया था। हालांकि वह नेट पर प्रैक्टिस नहीं कर पाया। वहां से लौटते समय यह हादसा हो गया, जिसमें पिता जितेंद्र सभ्रवाल गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाया गया है।

नशे में धुत ट्रक चालक लोगों ने पकड़ा

मौके पर दीक्षांत की क्रिकेट किट पड़ी थी। लोगों ने नशे में धुत ट्रक चालक जम्मू कश्मीर निवासी नाफा राम को पकड़ लिया। थाना डिवीजन नंबर एक की पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक चालक को गिरफ्तार कर थाने ले आई। पुलिस ने ट्रक जब्त कर चालक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और आरोपित का मेडिकल करवाया है। थाना एक के प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि नाफा राम जम्मू से जालंधर में किसी का सामान उठाने के लिए आया था।

हर समय साये की तरह बेटे के साथ रहते थे पिता

जेडीसीए के सीनियर कोच हरजिंदर हैरी व हरभजन सिंह क्रिकेट एकेडमी के मैनेजर बिक्रम सिद्धू ने बताया कि दीक्षांत जेडीसीए की ओर से अंडर-16 खेल रहा था। पहली बार एकेडमी में नेट प्रैक्टिस करने के लिए पहुंचा था। दीक्षांत हमेशा अपने पिता के साथ होता था। मैच के दौरान उसे छोड़ने व ले जाने की जिम्मेवारी पिता की ही होती थी।


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