स्किल सेंटर की कमी से जूझ रही जालंधर की खेल इंडस्ट्री, दो हजार करोड़ का हाेता है सालाना कारोबार
स्किल लेबर ना होने की वजह से कई लेदर बाल तैयार करने वाले यूनिट बंद हो चुके हैं। खेल इंडस्ट्री की बात करें तो दस प्रतिशत से भी कम स्किल लेबर है। जालंधर खेल इंडस्ट्री की बात करें तो 2200 इकाईयां है। प्रतिवर्ष दो हजार करोड़ का कारोबार करती है।
जालंधर, [कमल किशोर]। खेल इंडस्ट्री स्किल लेबर से जूझ रही है। इंडस्ट्री स्किल सेंटर खोले जाने की मांग कई बार राज्य सरकार से कर चुके हैं। इंडस्ट्री बस्ती बावा खेल के नजदीक ही स्किल सेंटर बनाना चाहती है। राज्य की खेल इंडस्ट्री में बनने वाले उत्पाद विभिन्न देशों में निर्यात किए जाते है।
करोड़ों रुपये का कारोबार करती है। खेल इंडस्ट्री की बात करें तो दस प्रतिशत से भी कम स्किल लेबर है। जालंधर खेल इंडस्ट्री की बात करें तो 2200 इकाईयां है। प्रतिवर्ष दो हजार करोड़ का कारोबार करती है। कई लेदर बाल, बैडमिंटन व शटल तैयार करने वाले यूनिटें बंद हो चुकी हैं। इसका कारण स्किल लेबर ना होना है। अब शटल चीन व ताइवान से फाइबर से तैयार होकर आ रही है।
खेल इंडस्ट्री रख चुकी है सरकार के समक्ष मांग
खेल इंडस्ट्री से जुड़े लोग एक वर्ष पहले स्किल सेंटर निर्माण के लिए मांग रख चुके है। सरकार ने सेंटर खोले जाने का आश्वासन दिया है। फिलहाल इंडस्ट्री की मांग को पूरा नहीं किया है। स्किल लेबर होगी तो इंडस्ट्री में क्वालिटी उत्पाद तैयार होगा। उत्पाद की निर्भरता एक स्किल लेबर पर ही निर्भर करती है। स्किल सेंटर खोले जाने से इंडस्ट्री को स्किल लेबर मिलेगी।
सरकार से आश्वासन ही मिल रहे हैः आशीष आनंद
स्पोर्टेक्स के चेयरमैन आशीष आनंद ने कहा कि स्किल सेंटर खोले जाने संबंधी मांग को सरकार के समक्ष रख चुके है। सरकार से आश्वासन ही मिल रहे है। खेल इंडस्ट्री को सेंटर की जरूरत है। स्किल लेबर ना होने की वजह से लेदर बाल तैयार करने वाले कई यूनिट बंद हो चुके है। फुटबाल सिलाई की लेबर भी इंडस्ट्री में कम है।
इंडस्ट्री के लिए सेंटर जरूरत बन गयाःसुमित शर्मा
फिलिप इंटरनेशनल के एमडी सुमित शर्मा ने कहा कि सेंटर खोले जाने पर विभिन्न स्किल कोर्स शुरु करवाए जाने चाहिए। खेल इंडस्ट्री ने लाखों हजारों मजदूरों को रोजगार दिया हुआ है। इंडस्ट्री के लिए सेंटर जरूरत बन गया है। स्किल लेबर के साथ इंडस्ट्री सरवाइव के साथ-साथ उत्पाद क्वालिटी वाला तैयार होगा।