पाकिस्तान की पेशकश को लेकर एसजीपीसी व पीएम से करेंगे मुलाकात : वडाला
जागरण संवाददाता, जालंधर :नकोदर हलके से विधायक गुरुप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि श्री करतारपु
जागरण संवाददाता, जालंधर :नकोदर हलके से विधायक गुरुप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि श्री करतारपुर साहिब के लिए मार्ग देने की पाकिस्तान की पेशकश सराहनीय है। उन्होंने कहा कि देरी से ही सही उनके पिता दिवंगत जत्थेदार कुलदीप ड्क्षसह वडाला द्वारा शुरू की गई मुहिम रंग लाई है। उन्होंने कहा कि इस फैसले का श्रेय हर उस शख्स को जाता है, जिसने भले एक बार ही इसके लिए अरदास ही क्यों न की हो।
नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ताजपोशी समारोह के दौरान उक्त मुद्दा उठाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बड़े मिशन के लिए एक दौरा नहीं बल्कि लंबा संघर्ष करना पड़ता है। लिहाजा, इसके लिए प्रयास करने वाला हर शख्स बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि आशा की किरण दिखने के बाद गुरुद्वारा करतारपुर साहिब रावी दर्शन अभिलाषी' संस्था का शिष्टमंडल एसजीपीसी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर स्थाई रूप से रास्ता देने की माग रखेगा।
स्वर्गीय कुलदीप वडाला ने बनाया था अंतरराष्ट्रीय मुद्दा
पत्रकारवार्ता के दौरान गुरुप्रताप सिंह वडाला ने कहा कि श्री करतारपुर साहिब के लिए रास्ते की माग को स्वर्गीय कुलदीप सिंह वडाला ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया था। इसके तहत तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ पाकिस्तान सरकार से मुलाकात कर इसके लिए प्रयास करने की माग रखी थी। उन्होंने कहा कि लगातार 18 वर्षो से हर माह अमावस्या पर सैकड़ों पंथ हितैषियों को साथ लेकर डेरा बाबा नानक सीमा पर जाकर अरदास करने वाले जत्थेदार कुलदीप ड्क्षसह वडाला के लिए यह मिशन जुनून बन चुका था। यही कारण था कि जीवन के अंतिम पड़ाव में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। इस दौरान वडाला ने बताया कि वर्ष 1999 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान सदा-ए-सरहद बस लेकर गए थे तब भी वडाला साहिब ने सिख संगत की इस माग को उनके समक्ष रखा था। उन्होंने ने बताया कि वहा पर अरदास करने वाली संगत की संख्या बढ़ी तो कुलदीप ड्क्षसह वडाला ने धुस्सी बाध का निर्माण भी करवाया। जत्थेदार कुलदीप ड्क्षसह वडाला ने साल 2001 में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब रावी दर्शन अभिलाषी' संस्था का निर्माण किया था। राजनीति से ऊपर उठकर गुरु घर के दर्शनों के लिए मार्ग खोलने का प्रयास करने के चलते संस्था के साथ देखते ही देखते सैंकड़ो पंथ हितैषी जुड़ गए थे।