Jalandhar News: किसानों का जालंधर कैंट स्टेशन पर रेल रोको प्रदर्शन, 51 रेल गाड़ियां रद
जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन पर किसानों की तरफ से केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से मांगें पूरी न करने के विरोध में वीरवार को तीन दिवसीय रेल रोको प्रदर्शन शुरू किया। किसान संघर्ष मोर्चा कमेटी के सदस्य दोपहर 12 बजे कैंट स्टेशन पर पहुंच गए थे जिनकी तरफ से करीब 12.30 बजे प्रदर्शन करते हुए रेल लाइनों पर दरियां बिछाकर धरना लगा दिया।
जागरण संवाददाता, जालंधर। किसानों की तरफ से जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन (Jalandhar Cantt Railway Station) पर केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से मांगें पूरी न करने के विरोध में वीरवार को तीन दिवसीय रेल रोको प्रदर्शन (Rail Roko Protest) शुरू किया। किसान संघर्ष मोर्चा कमेटी के सदस्य दोपहर 12 बजे कैंट स्टेशन पर पहुंच गए थे, जिनकी तरफ से करीब 12.30 बजे प्रदर्शन करते हुए रेल लाइनों पर दरियां बिछाकर धरना लगा दिया।
इन ट्रेनों के यात्रियों को हुई परेशानी
जिस वजह से अमृतसर-दिल्ली, दिल्ली अमृतसर और लुधियाना-जम्मू रूट पर चलने वाली अमृतसर जयनगर 14674, अजमेर एक्सप्रेस 19612, छत्तीसगढ़ 18238, चंडीगढ़ इंटरसिटी एक्सप्रेस 12412, भक्ता वाला खेमकरण 06944 सहित 51 रेल गाड़ियों को रद कर दिया है। इसकी वजह से यात्रियों को खूब परेशानी हुई। हर कोई बार-बार पूछताछ केंद्रों से अपने से संबंधित रेल गाड़ी की सूचना मांग रहा था, मगर रेल गाड़ियों की पूरी तरह से जानकारी नहीं मिल पा रही थी।
क्योंकि किसानों की तरफ से रेल मार्ग बाधित किया हुआ थे। जिस वजह से रेल गाड़ियों को विभिन्न स्टेशनों पर ही रोक दिया गया था। ऐसे में शान ए पंजाब को फगवाड़ा तक ही चलाया, वहीं बीकानेर सूपरफास्ट 22474, जयपुर इंटरसिटी 22477, हमसफर एक्सप्रेस 22920-19 को नकोदर, फिल्लौर होते हुए लुधियाना के लिए चलाया गया।
केंद्र सरकार के खिलाफ जम कर गुस्सा निकाला
जिला प्रधान गुरमेल सिंह रेड़वा की अध्यक्षता में किसान रेल रोको प्रदर्शन में बैठे। जिन्होंने धरने पर बैठते ही घोषणा कर दी कि उनका यह प्रदर्शन 30 सितंबर शाम चार बजे तक जारी रहेगा। उसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जम कर गुस्सा निकाला। क्योंकि बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए कोई सहायता नहीं जारी की गई।
बड़े स्तर पर संघर्ष करने की कही बात
कैरियर गुरनाम सिंह ने कहा कि उत्तर भारत और पंजाब में बाढ़ से प्रभावित किसान मजदूरों को कोई भी सहायता केंद्र सरकार की तरफ से नहीं दी गई। मनरेगा मजदूरों के लिए 200 दिन पक्का रोजगार दिया जाए, केंद्र सरकार की तरफ से काश्त की गई सभी फसलों की कम से कम समर्थन मूल्य तय करने की मांगें हैं। केंद्र सरकार ने अगर तीन दिनों के भीतर इन मांगों पर गौर नहीं किया तो पंजाब के सभी 19 संगठन एकजुट होकर बड़े स्तर पर संघर्ष का रास्ता अपनाएंगे।