बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना, विधायक ने कैंट वाले किए किनारे.. नकोदर वालों को मिली तरजीह
जालंधर के विधायक परगट सिंह के परिवार में शादी समारोह के दौरान करीबियों में शामिल कैंट हलके के तमाम लोगों को नजरअंदाज कर दिया गया। समारोह में नकोदर के ज्यादातर लोगों को शामिल किया गया था। इसे लेकर अब इलाके में सियासी बहस छिड़ गई है।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। हाल में जालंधर कैंट हलके से विधायक परगट सिंह के परिवार में शादी समारोह का आयोजन हुआ। नेताओं के परिवार में शादी हो और उनके करीबियों को न बुलाया जाए तो बात गले से नीचे नहीं उतरती है। समारोह में विधायक के करीबियों में शामिल कैंट हलके के तमाम लोगों को नजरअंदाज कर दिया गया। कई तो एक दिन पहले तक इंतजार करते रहे, लेकिन निमंत्रण नहीं मिला। कई ऐसे चेहरे भी थे जो किसी न किसी के साथ समारोह में शामिल होने पहुंच ही गए। समारोह में शामिल होने के बाद उन्हें राज पता चला कि यहां नकोदर के ज्यादातर लोगों को शामिल किया गया था। इसके बाद से लगातार सियासी गलियारों में बहस छिड़ी हुई है कि आखिर विधायक ने कैंट वाले तमाम करीबियों को किनारे करके नकोदर वालों को इतनी तरजीह क्यों दी। इस राज को जानने के लिए विधानसभा चुनाव का लोगों को इंतजार करना होगा।
फेसबुक पर कम हुए राजा के फालोअर्स
शहर के प्रथम नागरिक व मेयर जगदीश राज राजा का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन तीन साल के कार्यकाल में शहर के लोगों का अनुभव खराब ही रहा है। विकास को लेकर जालंधर पिछड़ता ही चला गया। इससे लोग परेशान हो गए हैं। शायद यही वजह है कि फेसबुक जैसे प्लेटफार्म पर भी अब चाहने वालों की लगातार कम हो रही संख्या ने जगदीश राजा की चिंता बढ़ा दी है। 80 वार्डों वाले शहर में राजा के फेसबुक पर जुड़े लोगों की संख्या अब 2053 ही रह गई है। जब राजा मेयर नहीं थे तो फेसबुक पर उनके चाहने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा होती थी। बीते कुछ दिनों से राजा ने मामले को गंभीरता से लिया है और अगले चुनाव के मद्देनजर फेसबुक पर रोजाना की गतिविधियों को अपलोड करना शुरू कर दिया है, जिससे लोगों को लगे कि राजा एक्टिव (सक्रिय) मेयर हैं।
गुरु से आगे निकल गए चेले
मामला शहर में लगातार बन रही अवैध इमारतों से संबंधित है। बीते एक साल से शहर में धड़ाधड़ अवैध इमारतों का निर्माण करवाया जा रहा है। कोरोना काल में नगर निगम के दफ्तर में लंबे समय तक ताला जड़ा रहा। नतीजतन नगर निगम के अधिकारियों व मुलाजिमों ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। इन अवैध निर्माणों को रोकने के लिए बनाई गई कमेटी में शामिल मोटू-पतलू (दो पार्षदों) की जोड़ी ने दर्जनों अवैध इमारतों के मालिकों से करोड़ों रुपये की वसूली कर ली है। इन इमारतों के निर्माण की जांच हुई तो गाज अधिकारियों पर गिरनी तय थी। खुद को फंसता देखकर अधिकारियों ने उससे पहले ही मोटू-पतलू का राज खोलकर सभी को चौंका दिया। इसके बाद से ही दोनों के गुरु कांग्रेसी विधायक भी सकते में हैं कि उनके चेलों ने कैसे करोड़ों रुपये की उगाही उनके नाम पर कर डाली और उनके पल्ले कुछ भी डाला।
सेंट्रल में अकाली दल का 'कमल'
बात सुनने में अजीब है कि शिरोमणि अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन टूटने के बाद अकाली दल आने वाले विधानसभा चुनाव में कमल को चुनावी मैदान में क्यों उतारेगा। इस पर सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। सियासी दलों का गठबंधन टूटने के बाद दोनों ही दलों के दूसरी लाइन के दर्जनों नेताओं में खुशी ही लहर है। उनके चेहरे खिले रहते हैं। कारण, अब विधानसभा चुनाव में दोनों ही दल अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे। इसके चलते अभी से तमाम नेताओं ने अपने स्तर से अपने-अपने हलकों का चयन करके वहां से दावेदारी ठोकनी शुरू कर दी है। इन्हीं में सेंट्रल हलके से दावेदारी ठोकने वाले अकाली दल के कमल नाम के नेता भी शामिल हैं। उन्होंने हलके में बाकायदा बैठकों से लेकर जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। देखना है कि आने वाले दिनों में उनका यह अभियान किस करवट बैठता है।